अब जबकि डेमोक्रेट कार्यपालिका और विधायिका दोनों ही स्थानों पर प्रभावी भूमिका में हैं तो अरब –इजरायल संघर्ष में अमेरिका की नीति में किस परिवर्तन की अपेक्षा की जाये?
जिन लोगों की नियुक्तियाँ हुई हैं वे तो अभी तक केंद्रस्थ वामपंथी झुकाव की ओर संकेत करती हैं। जबकि इसका उल्लवल पक्ष है कि जैसा कि समीक्षक स्टीवन रोसेन ने अवलोकन किया है, इससे प्रतीत होता है कि इस टीम में कोई भी , " परिभाषित वाम एजेंडे के भ्रम से प्रभावित नहीं है – निश्चित तौर पर उनमें से अनेक बुद्धिमान और मेधावी हैं और अधिकतर अकादमिक बुद्धिहीनता से स्वयं को रोक रखा है" । विशेष रूप से यदि बराक ओबामा के पूर्ववर्ती सम्पर्कों को देखें ( अली अबूनिमाह, राशिद खालिदी, एडवर्ड सेड ) और सम्भावित स्वप्न टीम के विकल्प के रूप में तो यह एक राहत लेकर आयी है।
लेकिन नकारात्मक पक्ष भी है, जिसे कि रोसेन बताते हैं कि सम्भावित लोग " उदार और अधिक केंद्रस्थ स्थिति के हैं कि कोई भी उन असाधारण खतरों को लेकर सतर्क नहीं करने वाला जो हमारे समक्ष हैं और न ही इनके लिये कोई सामान्य से परे किसी प्रतिक्रिया की सलाह देने वाला है"
यदि बडे चित्र पर दृष्टि डालें जो कि लोगों की नियुक्ति से आगे है तो भी इसी प्रकार की समान मिश्रित स्थिति देखने को मिलती है। अभी इस माह के आरम्भ में कांग्रेस द्वारा पारित किये गये इजरायल समर्थक प्रस्ताव को देखें, " गाजा में हो रहे आक्रमणों से अपनी रक्षा करने के लिये इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार को स्वीकार करते हुए, इजरायल के प्रति अमेरिका के सशक्त समर्थन को दुहराते हुए तथा इजरायल और फिलीस्तीन की शांति प्रक्रिया का समर्थन करते हुए"। इसे सीनेट और सदन दोनों ही स्थानों पर 390 के मुकाबले 5 के अंतर से एकमत से स्वीकार किया गया जिसमें कि 22 सदस्यों ने "उपस्थित" बताया । इन 22 सदस्यों में से 21 डेमोक्रेट थे और 22 वें सदस्य रोन पाल रिपब्लिकन थे।
इस मत में दो बिंदु अंतर्निहित हैं: पहला इजरायल समर्थक व्यवहार के प्रति दोनों दलों के समान व्यवहार से गाजा संघर्ष भी प्रभावित हुआ है। दूसरा, जो लोग इजरायल के प्रति दुर्भाव रखते हैं या उसके प्रति उदासीन हैं उन्हें डेमोक्रेटिक पार्टी में सहारा मिल जाता है।
पिछले एक दशक के जनमत सर्वेक्षण निरंतर यह प्रदर्शित करते आये हैं कि अमेरिका के लोग बडी मजबूती से इजरायल से साथ खडे हैं परंतु इसमें रिपब्लिकन की अपेक्षा डेमोक्रेट कहीं कम। वर्ष 2000 में पहले ही यह दिखा चुका हूँ कि , " अनेक अवसरों पर रिपब्लिकन पार्टी के लोग इजरायल के अधिक मित्र हैं अपेक्षाकृत डेमोक्रेट के और उनके नेतृत्व से भी यह भिन्नता प्रदर्शित होती है" । पिछले वर्षों में जनमत सर्वेक्षण के बाद सर्वेक्षण ने इस परिपाटी को पुष्ट किया है यहाँ तक कि हिजबुल्लाह और हमास युद्ध के दौरान भी। कुछ उदाहरण देखे जा सकते हैं:
- मार्च 2006 गालअप : " आपकी सहानुभूति इजरायल की ओर अधिक है या फिलीस्तीन की ओर ?" उत्तर 72 प्रतिशत रिपब्लिकन तथा 47 प्रतिशत डेमोक्रेट ने इजरायल के प्रति सहानुभूति प्रदर्शित की। ( भिन्नता :25 प्रतिशत अंकों की )
- जुलाई 2006 एनबीसी\ वर्ल्ड स्ट्रीट जर्नल " आपकी सहानुभूति इजरायल के प्रति या अरब देशों के प्रति अधिक है?" उत्तर 81 प्रतिशत रिपब्लिकन ने तथा 43 प्रतिशत डेमोक्रेट ने इजरायल के प्रति सहानुभूति प्रदर्शित की। (भिन्नता : 38 प्रतिशत अंकों की)
- अगस्त 2006 , एलएटी\ ब्लूमबर्ग : क्या आप सहमत हैं " कि अमेरिका को स्वयं को इजरायल से सम्बंध किये रखना चाहिये?" 64 प्रतिशत रिपब्लिकन तथा 39 प्रतिशत डेमोक्रेट इससे सहमत थे। (भिन्नता 25 प्रतिशत अंकों की)
- मार्च 2008 गालअप पोल: 84 प्रतिशत रिपब्लिकन तथा 64 प्रतिशत डेमोक्रेट इजरायल के पक्षधर थे। (भिन्नता 20 प्रतिशत अंकों की)
- दिसम्बर 2008 रासमुसेन रिपोर्ट : 75 प्रतिशत रिपब्लिकन ने तथा 55 प्रतिशत डेमोक्रेट ने कहा कि इजरायल अमेरिका का सहयोगी है। ( भिन्नता 20 प्रतिशत अंकों की)
रिपब्लिकन का इजरायल के लिये समर्थन लगातार अधिक रहा है जो कि 20 प्रतिशत अंक से 38 प्रतिशत अंक डेमोक्रेट से अधिक है और औसतन यह 26 प्रतिशत अंक है। सदैव ऐसा नहीं था। निश्चित रूप से डेमोक्रेट और रिपब्लिकन ने नाटकीय रूप पिछले साठ वर्षों और तीन समयावधि में इजरायल के प्रति अपने व्यवहार में परिवर्तन कर लिया है।
प्रथम कालखण्ड , 1948 से 70 में हैरी ट्रूमैन और जान केनेडी ने यहूदी राज्य के प्रति काफी गर्मजोशी दिखाई और ड्विथ आइजनहावर जैसे रिपब्लिकन ने उदासीनता दिखाई थी। दूसरे कालखंड 1970 से 91 के मध्य रिचर्ड निक्सन और रोनाल्ड रीगन जैसे रिपब्लिकन ने इजरायल को शक्तिशाली सहयोगी के रूप में प्रशंसित करना आरम्भ कर दिया जैसा कि 1985 में मैंने निष्कर्ष निकाला था इसका अर्थ है कि, " उदारवादी और परम्परावादी इजरायल बनाम अरबवासियों को उसी अनुपात में समर्थन करते हैं"। 1991 में शीत युद्ध की समाप्ति के उपरांत यद्यपि एक तीसरा कालखंड आरम्भ हुआ जबकि डेमोक्रेट ने फिलीस्तीनी कार्य पर अपना अधिक ध्यान लगा दिया और इजरायल के प्रति उदासीन हो गये जबकि रिपब्लिकन इजरायल के प्रति कहीं अधिक गर्मजोशी दिखाने लगे।
रिपब्लिकन जेविश कोएलिशन के कार्यकारी निदेशक मैट ब्रूक्स ने सही ही कहा है, " डेमोक्रेट धीरे धीरे इजरायल से दूरी बना रहे हैं" । यह रुझान इस बात की ओर संकेत करता है कि अगले चार वर्षों तक तनाव की स्थिति रहने वाली है कि क्या इजरायल के प्रति यूरोपीय व्यवहार को ही अपनाया जाये या नहीं।
तनाव तो पहले से ही है। एक ओर तो ओबामा की टीम ने हमास के विरुद्ध इजरायल के युद्ध की आलोचना नहीं की और स्पष्ट किया कि हमास के साथ कोई सम्बंध नहीं रखेगी साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि इजरायल मध्यपूर्व का मुख्य सहयोगी है और अमेरिका की नीति इजरायल की सुरक्षा को ध्यान में रखेगी। दूसरी ओर इसने हमास के साथ सम्पर्क रखने का प्रयास किया है और साथ ही बातचीत के प्रति अधिक कठोर रुख अपनाया है और जेरूसलम को विभाजित करने की प्रवृत्ति के भी दर्शन कराये हैं।
संक्षेप में यहूदी राज्य की नीति को लेकर खेल जारी है।