आतंकवाद स्वाभाविक रुप से अचानक सामने आता है लेकिन लंदन में 37 लोगों को मारने वाला कल का विस्फोट अस्वाभाविक नहीं था . कुछ ब्रिटिश इस्लामवादी नेता ऐसे हमलों की संभावना व्यक्त कर रहे थे .
अल –मुजाहिरान ( अरबी में इसका अर्थ आप्रवासी है )नाम के ब्रिटिश इस्लामवादी संगठन ने कुछ समय से सार्वजनिक रुप से कहना शुरु कर दिया था कि ब्रिटेन अपनी सीमाओं के भीतर मुसलमानों के साथ अच्छे व्यवहार के कारण इस्लामिक हिंसक हमलों की परिधि से बाहर है .
अप्रैल 2004 को बात-चीत में अल –मुजाहिरान के लूटन शाखा के प्रमुख सैफुल इस्लाम ने कहा था कि वे संपूर्ण विश्व पर इस्लाम के नियंत्रण की प्रत्याशा में ओसामा बिन लादेन का शत् प्रतिशत् समर्थन करते हैं लेकिन ब्रिटेन में स्वयं कोई आतंकवादी हमला करने की संभावना से इंकार किया . हालांकि व्यापक अर्थों में उन्होंने आतंकवाद का समर्थन किया . “ यदि यहां कोई बम से हमला होता है तो मैं इसका विरोध नहीं करुंगा भले ही इसमें मेरा ही बच्चा क्यों न मारा जाए.लेकिन मेरे लिए यह इस्लाम के विरुद्ध होगा कि मैं यहां रहते हुए व्यक्तिगत रुप से ब्रिटेन के विरुद्ध हमलों में भाग लूं. इस्लाम के अनुसार जबतक वे मुसलमानों को यहां शांति से रहने देते हैं हम ब्रिटेन के साथ सुरक्षा समझौते को मानेंगे.” उसने इसकी और व्याख्या की “ यदि हम आतंकवाद में लिप्त होना चाहते हैं तो हमें यह देश छोड़ना होगा अन्यथा यह इस्लाम के विरुद्ध होगा .” आखिर सुरक्षा समझौता है क्या ?
अगस्त 2004 में न्यू स्टेट्समैन में जेमी कैंपबेल ने इनसाइड अलकायदा के लेखक मोहम्मद सैफोई को कहते हुए बताया था “ ब्रिटेन के इस्लामवादियों, ब्रिटेन की सरकार और खुफिया एजेन्सियों द्वारा सदैव कहा जाता है कि जबतक ब्रिटेन हसन बट ( इस्लामी आतंकवाद समर्थक ) जैसे लोगों को एक श्रेणी की स्वतंत्रता देता रहेगा तबतक ब्रिटेन की सीमाओं के भीतर आतंकवादी हमलों की योजना तो बनेगी लेकिन ये हमले यहां नहीं होंगे..”. न्यू स्टेट्समैन ने इस आधार पर व्यंग्यात्मक निष्कर्ष निकाला कि ब्रिटेन में इस्लामवादी आतंकवादियों से सहानुभूति रखने वाले मुखर और सक्रिय लोगों के बीच ब्रिटेन कहीं अधिक सुरक्षित है चाहे ब्रिटेन स्थित आतंकवादियों के षड्यंत्र की कीमत दूसरे देशों को क्यों न चुकानी पड़े. ब्रिटेन स्थित सीरिया के अप्रवासी अल – मुजाहिरीन के प्रमुख रहे ओमर बकरी मोहम्मद ने सुरक्षा समझौते को स्पष्ट करते हुए कहा कि पैगंबर मोहम्मद के सहयोगियों को इथोपिया के राजा ने संरक्षण दिया था . इस अनुभव के आधार पर कुरान का सुरक्षा समझौते का सिद्धांत प्रतिपादित हुआ .अर्थात् मुसलमान उस देश के निवासियों पर हमला नहीं करेंगे जहां वे सुरक्षा पूर्वक रह रहे हैं.मोहम्मद ने कहा कि इस कारण संभव नहीं है कि ब्रिटेन आधारित मुसलमान ब्रिटेन पर हनला करें.
लेकिन जनवरी 2005 में मोहम्मद ने कहा कि 11 सितंबर 2001 के पश्चात् आतंकवाद विरोधी कानूनों के बनने के बाद ब्रिटेन के मुसलमानों का सुरक्षा समझौता समाप्त हो चुका है . अब यह क्षेत्र दारुल हरब बन चुका है और मुस्लिम विजय के लिए खुला है . इसलिए अविश्वासियों (non believers )के संदर्भ में “कुफ्र की अपने जीवन और संपत्ति पर भी पवित्रता समाप्त हो चुकी है .”देश सुरक्षित स्वर्ग से शत्रु शिविर में बदल गया . सुरक्षा समझौते को फिर से बहाल करने के लिए जरुरी है कि ब्रिटेन आतंकवाद विरोधी कानून समाप्त करे तथा बिना मुकदमे के गिरफ्तार किए गए लोगों को रिहा करे .यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं तो मुसलमानों को वैश्विक क्रुसेड के विरुद्ध वैश्विक इस्लामिक शिविर में आ जाना चाहिए.
मोहम्मद ने ब्रिटिश लोगों को प्रत्यक्ष रुप से धमकी देते हुए कहा कि “यदि ब्रिटेन की सरकार ने मुसलमानों के साथ ऐसा ही व्यवहार जारी रखा तो मुसलमानों की प्रतिक्रिया भयानक होगी. ” स्पष्ट रुप से यहां अल –कायदा के नेतृत्व में आत्मघाती हमलों की धमकी दी जा रही है कि पश्चिम की सरकारों को समझना चाहिए कि यदि उन्होंने अपना रास्ता नहीं बदला तो मुसलमान उन्हें प्रतिदिन एक 9/11 दिखायेंगे.
लंदन टाईम्स के सीन ओ नील और याको लापीन ने जब मोहम्मद से समझौते वाले उनके वक्तव्य के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि “दारुल हरब की उनकी व्याख्या सैद्धांतिक है .” उन्होंने इसकी फिर व्याख्या कि “ इसका अर्थ हुआ कि मुसलमानों के लिए यह क्षेत्र अब पवित्र और सुरक्षित नहीं रह गया है इसलिए उन्हें यह स्थान छोड़कर अपने –अपने देश चले जाना चाहिए नहीं तो वे लोग घेरेबंदी में रहेंगे और स्वाभाविक रुप से हम घेरेबंदी में नहीं रहना चाहते .” मोहम्मद ने तो यहां तक स्वीकार कर लिया कि उसके लिए अविश्वासी (non believer) के जीवन का कोई मूल्य नहीं है .कल के विस्फोट सुरक्षा समझौते की समाप्ति की ओर संकेत करते हैं .इसके साथ ही हम आशा करते हैं कि यह ब्रिटेन के लिए अज्ञानता के युग की भी समाप्ति होगी तथा ब्रिटिश अधिकारी आतंकवाद का शिकार होने की प्रतीक्षा करने के स्थान पर इसे पहले ही नष्ट करने का प्रयास करेंगे.