यह समाचार देते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि यह विचार कि “कट्टरपंथी इस्लाम समस्या है और नरमपंथी इस्लाम समस्या का समाधान है .” दिनों दिन अधिक स्वीकृत होता जा रहा है लेकिन साथ ही एक बुरा समाचार यह भी है कि इस विषय में संशय बढ़ रहा है कि नरमपंथी मुसलमान कौन हैं .? इसका अर्थ हुआ कि आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध के वैचारिक पक्ष पर तो प्रगति हो रही है लेकिन बहुत धीरे .
सुखद समाचार – 11 सितंबर के पश्चात इस्लामवाद विरोधी मुसलमानों को अपनी आवाज मिल गई है . इस श्रेणी में अनेक अकादमिकों के नाम भी शामिल हो गए हैं जैसे अजार नफीसी ( जॉन्स हॉपकिन्स ) अहमद अल रहीम , केमालसिले तथा बसाम तिबी. महत्वपूर्ण इस्लामी हस्तियां जैसे अहमद सूमी मंसूर और मोहम्मद हिसाम कब्बानी खुलकर बोलने लगे हैं.
अनेक संगठन अस्तित्व में आ रहे हैं . फोयनिक्स के एरिजोना में जुहदी जासेर की अध्यक्षता वाला अमेरिकन् इस्लामिक फोरम फॉर डेमोक्रेसी तथा फ्री मुस्लिम कोयलिशन अगेन्सट टेररिज्म . इसके संस्थापक कमाल नवास के कारण मेरे लिए आरंभ में शंका का कारण था लेकिन ये वास्तव में इस्लामवादी विरोधी हैं.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक माह पहले उदारवादी अरबवासियों द्वारा एक याचिका दायर कर धर्म द्वारा हिंसा के प्रोत्साहन को रोकने के लिए एक संधि करने की वकालत की गई तथा मांग की गई कि ऐसे लोगों के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा चले . 23 देशों के 2500 बुद्धिजीवी मुसलमानों ने इस याचिका पर हस्ताक्षर किए. इसी समय व्यक्तिगत् मुसलमान भी आतंकवाद के साथ इस्लामवादियों के संबंधों की निंदा करने के लिए आवाज उठा रहे हैं.संभवत: इनमें सबसे महत्वपूर्ण लंदन के एक सउदी पत्रकार अब्दुल रहमान अल रशीद का एक लेख है “यह एक निश्चित तथ्य है कि सभी मुसलमान आतंकवादी नहीं हैं लेकिन साथ ही यह भी सत्य है और अपवादात्मक दृष्टि से कष्टदायक भी है कि लगभग सभी आतंकवादी मुसलमान हैं . हम अपने आप को इससे तबतक अलग नहीं कर सकते जबतक हम इस शर्मनाक तथ्य को स्वीकार न कर लें कि आतंकवाद एक इस्लामी उद्योग बन चुका है , पूरी तरह मुसलमानों के एकाधिकार में है तथा इसका क्रियान्वयन मुसलमान स्त्री पुरुषों द्वारा किया जा रहा है. .”
कुछ और विश्लेषकों ने भी अल रशीद के उदाहरण का अनुकरण किया है .मिस्र से ओसाम अल –गजाली हर्ब लिखते हैं . “ मुसलमानों और अरब के बुद्धिजीवियों तथा मतनिर्धारक नेताओं को ऐसे किसी भी विचार का प्रतिवाद और प्रतिरोध करना चाहिए जो मुसलमानों के कष्ट की आड़ में आतंकवाज जैसे बर्बर कृत्य का समर्थन करता है .”
वर्जीनिया के अनाउर बुखारस कहते हैं कि “आतंकवाद मुस्लिम समस्या है तथा इसे स्वीकार करने से परहेज करने से समस्या और बढ़ेगी ..”
दुखद समाचार – आस-पास नकली नरमपंथी भी बहुत हैं जिन्हें पहचान पाना मेरे जैसे व्यक्ति के लिए भी कठिन है जो इस विषय पर काफी ध्यान देता है . काउंसिल ऑन अमेरिकन इस्लामिक रेलेश्न्स को अब भी मुख्य धारा का समर्थन प्राप्त है तथा इस्लामिक सोसाइटी ऑफ नार्थ अमेरिका अब भी अमेरिकी सरकार को धोखा देने में सफल है .
झांसे में आकर अनेक पत्रकारों ने प्रोगेसिव मुस्लिम युनियन के तथाकथित नरमपंथ पर अनेक पुनरीक्षण लिख डाले जबकि इसका अधिकांश नेतृत्व ( सलाम अल मरायाती , सराह एलतनतावी , हुसैन इबीस , अली अबु निमा ) कट्टरपंथी हैं . सौभाग्यवश अधिकारियों ने तारिक रमादान और यूसूफ इस्लाम को अमेरिका से बाहर रख छोड़ा है . फिर भी खालेद अबू अल फदल अमेरिका में आ गया और इससे भी बुरा यह कि उसे राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किया गया.
यहां तक की आतंकवाद विरोधी रैलियां भी वैसे नहीं होतीं जैसी प्राय: वे दिखती हैं . 21 नवंबर को हजारों प्रदर्शनकारी जिनमें कुछ मुसलमान भी थे .Together for peace and against terror बैनर के नीचे जर्मनी के कोलोन में एकत्र हुए . प्रदर्शनाकरियों ने आतंकवाद के विरुद्ध नारे लगाए . राजनेताओं ने इसपर फील-गुड किया लेकिन कोलोन का प्रदर्शन 2 नवंबर को थियोवॉन गॉग की हत्या के बाद स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए किया गया था . इस कार्यक्रम के इस्लामवादी आयोजक Diyamet Isreli tuk Islam birligi ने इसका उपयोग वास्तविक दबाव को निकालने के लिए किया था इस प्रदर्शन में हुए भाषणों में आत्मालोचन का कोई भाव नहीं था तथा जिहाद और इस्लाम को शांति का प्रतीक बताया जा रहा था . इस जटिल और संशयपूर्ण स्थिति से कुछ निष्कर्ष सामने आते हैं.
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इस्लामवादी नरमपंथी मुसलमानों के प्रति बढ़ते आग्रह को देख रहे हैं और सीख रहे हैं कि कैसे नकली नरमपंथी तैयार किए जायें.समय के साथ उनका यह नाटक और भी सुधरेगा .
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यह स्पष्ट हो रहा है कि प्राथमिकता में कौन है . यह तो स्पष्ट है कि ओसामा बिन लादेन इस्लामवादी है तथा इर्शाद मंजी इस्लामवादी विरोधी हैं लेकिन अधिकांश मुसलमान इन दोनों के कहीं मध्य स्थित हैं . तुर्की में एक अनसुलझी बहस विगत 12 वर्षों से चल रही है कि वर्तमान प्रधानमंत्री रिसेप तईप एरडोगन इस्लामवादी हैं या नहीं.
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वास्तविक नरमपंथी मुसलमानों की खोज का काम तुक्के से या अनुमान से नहीं हो सकता जैसा कि अमेरिकी प्रशासन ने इस्लामवादियों को मान्यता , शिक्षा और संभवत: आर्थिक सहायता देकर किया है . इस भूल में मेरी भी भूमिका रही है . नरमपंथी मुसलमानों की खोज के लिए गंभीर और स्थायी शोध की आवश्यकता है .