पाम बीच पोस्ट के अनुसार फ्लोरिडा से अमेरिका के सीनेट के लिए केवल एक मुद्दा चुनावी संघर्ष की धुरी बन चुका है .यह न तो ईराक है न स्वास्थ्य संबंधी देखभाल शिक्षा , टैक्स या अर्थव्यव्स्था है . इसके अलावा दोनों ही प्रत्याशी एक आरोपित इस्लामी आतंकवाद सामी अल –अरियन के संबंध में क्रूर बहस में लिप्त हैं . उनका यह संघर्ष भविष्य के लिए एक सीख है .
अल – अरियन एक फिलीस्तीनी आप्रवासी है जो दक्षिण फ्लोरिडा के विश्वविद्यालय में इंजिनियरिंग का प्रोफेसर था जब 1994 में खोजी पत्रकार स्टीवन इमरसन ने एक वृत्त चित्र का प्रसारण कर यह स्थापित किया कि इस्लामिक कमेटी ऑफ फिलीस्तीन के अध्यक्ष रहते हुए अरियन ने अमेरिका में कुख्यात आतंकवादी संगठन फिलीस्तीनी इस्लामिक जेहाद की सहयता की थी .
अल अरियन के नियोक्ताओं ने इस पर कैसी प्रतिक्रिया की .उस समय दक्षिण फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के अध्यक्ष और अब सीनेट के लिए डेमोक्रेट प्रत्याशी बेटी कास्टर ने न तो अल- अरियन को हटाने के संबंध में कोई कार्यवाई की और न ही उसकी आलोचना की .इसके बजाए उन्होंने उससे संबंधित दस्तावेजों की समीक्षा के आदेश दे दिए और 1996 में जाकर उसे गैर-अनुशासनात्मक छुट्टी पर सवेतन भेज दिया .जब अमेरिका की सरकार 1998 में अरियन को दोषी सिद्ध करने में असफल रही तो कास्टर ने उन्हें उनके पुराने अध्यापन व्यवसाय पर रख लिया और एक वर्ष बाद कास्टर ने दक्षिण फ्लोरिडा का विश्वविद्यालय छोड दिया .( यह तो यू.एस.ए पैट्रीयोट एक्ट के पारित होने के बाद जब खुफिया सूचनाओं को पारित करने का अधिकार कानून प्रवर्तन संस्थाओं को मिला जब जाकर फरवरी 2003 में अल –अरियन को दोषी मानकर आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार किया गया .)
चुनाव में कास्टर के प्रतिद्वंदी मेल मार्टिनेज ने सुश्री कास्टर पर आरोप लगाया है कि वे विश्विद्यालय की इस्लामिक जेहाद से ऱक्षा करने में असफल रही हैं और उनका नेतृत्व कमजोर है.अकादमिक स्वतंत्रता के प्रति उनकी रुचि इतनी अधिक थी कि उन्होंने एक आतंकवादी प्रोफेसर को निकालकर परिसर में स्थित आतंकवादी प्रकोष्ठ के विरुद्ध संघर्ष नहीं किया .
सुश्री कास्टर ने उत्तर दिया कि युनियन और विश्वविद्यालय नियमों ने उनके हाथ बांध रखे थे.उसके पश्चात् उन्होंने आक्रामक रुख अपनाते हुए एक पुराने चित्र का उल्लेख किया .जार्ज डब्ल्यू बुश फ्लोरिडा में 2000 में प्रचार के समय अल –अरियन के साथ है कि फ्लोरिडा में जार्ज बुश के चुनाव प्रचार के पीठ मार्टिनेज ने संदिग्ध आतंकवादी सामी अल अरियन को बुश के साथ प्रचार करने दिया जिसे वर्षों बाद बेटी कास्टर ने निलंबित कर दिया .
हालांकि इस आरोप में तीन तथ्यात्मक भूलें हैं. लेकिन आरोप शक्तिशाली लगता है . मार्टिनेज स्वयं पीठ न हो कर मानद संयुक्त पीठासीन थे.उन्हें चित्रों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और यह स्वत: चुनाव प्रचार का हिस्सा बन गया .और सुश्री कास्टर ने अल – अरियन को निलंबित करने के साथ पर लंबी छुट्टी पर भेज दिया था जो कि अनुशासनात्मक कारवाई है .
विस्तृत रुप में मार्टिनेज के चुनाव प्रचार में ठीक ही कहा गया है कि दोनों प्रत्याशियों का शायद ही समान रिकार्ड है .मार्टिनेज ने सामी अल अरियन को कभी कुछ करने नहीं दिया जबकि बेटी कास्टर ने उसे अपने परिसर में छ: वर्षों तक काम करने दिया .या फिर रुडी गुयिलयानी की कठोर मान्यता के अनुसार कास्टर यही निर्धारित नहीं कर पाईं कि एक तथाकथित आतंकवादी को कैसे हटाया जाये.
सेंमीनोल काउंटी में मार्टिनेज के चुनाव प्रचार के पीठासीन अधिकारी लाड मागिल ने अपने समर्थकों को एक ई-मेल में इस विषय को प्रमुखता से उठाया है “हम और आप आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध की अग्रिम पंक्ति में है .क्योंकि यदि कॉस्टर की विजय होगी तो हम इस युद्ध में पराजित हो जायेंगे .”
मियामी हेराल्ड में मार्क कापूटो ने इंगित किया है कि दोनो प्रत्याशी अल अरियन मय हो गये हैं लेकिन यह समानता रुक जाती है क्योंकि जनता ने कास्टर को दंडित किया है और मार्टिनेज को पुरस्कृत किया है . इससे पता चलता है कि मार्टिनेज के लिए अरियन कोई मुद्दा नहीं है जबकि कास्टर प्रोफेसर द्वारा प्रस्तुत की गई समस्या को छ: वर्षों तक संभाल नहीं पायीं.
मैसन डिक्सन पोल के अनुसार सामी अल अरियन के प्रति कास्टर के नरम रुख को उनकी मुख्य कमजोरी माना गया है.मार्टिनेज के सलाहकार ने बताया कि जब पूछा गया कि आतंकवाद के विरुद्ध आप किसको बेहतर मानते हैं तो दो एक के अनुपात में लोगों ने मार्टिनेज का पक्ष लिया .मार्टिनेज ने अगस्त से अबतक 20 प्रतिशत मतदाताओं का झुकाव अपनी ओर किया है .जबकि कास्टर के पक्ष में केवल 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है . अल-अरियन प्रचार के कुछ प्रभाव सदैव के लिए हैं –
जैसे –जैसे इस्लामिक आतंकवाद का खतरा और क्षमता बढ़ रही है उससे लड़ने की अमेरिकी राजनेताओं की क्षमता उनकी राजनीतिक सफलता का पैमाना बनता जा रहा है .
अमेरिका के मतदाता उन्हें पुरस्कृत कर रहे हैं जो संदिग्ध आतंकवादियों के विरुद्ध कठोर नीति अपना रहे हैं. लेकिन दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों को उन कार्यकर्ताओं की अवहेलना करनी चाहिए जो इस्लामवादियों के वोट को शरण देने की बात करते हैं.
यह तो अनिश्चित है कि फ्लोरिडा की कांटे की लड़ाई में कौन विजयी होगा .कुछ भी हो जिसने भी आतंकवाद से रियायत की नीति अपनाई है उसने वास्तव में पराजय की चुनावी नीति अपनाई है .
नवंबर 2 ,2004 अपडेट मेल मार्टिनेज ने चुनाव जीता और अब वे फ्लोरिडा के नए सीनेटर होंगे .