हिन्दी अनुवाद - अमिताभ त्रिपाठी
युनाइटेड मुस्लिम एसोसिएशन फ्लोरिडा की ताम्बा वे शाखा ने खुले रूप में अपनी निकटता काउन्सिल आन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशन्स तथा अन्य इस्लामवादी संगठनों के साथ घोषित कर रखी है। बहुत पहले की बात नहीं है जब इस विश्वविद्यालय ने अपनी वेबसाइट ( जिसे सामी अल आरियन के बुरे दिनों में जिहाद विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता था) पर बड़ी प्रसन्नता से प्रकाशित कर रखा था कि यह 2004 के बसन्त सेमेस्टर में इस्लाम पर दो पाठ्यक्रम शामिल करेगा। ये पाठ्यक्रम हैं ( विलियम कमिंग्स द्वारा Islam in World history तथा ओ कोनोर द्वारा पढ़ाये जाने वाले Islam in America )। यह तो जो है सो है। परन्तु युनाइटेड मुस्लिम एसोसिएशन ने इन पंक्तियों के साथ उस समाचार को स्पष्ट किया
इस बात को सुनिश्चित करने के लिये कि ये प्रोफेसर अपनी सदिच्छा में ( इन्शा अल्लाह) इस्लाम को अच्छे ढ़ंग से चित्रित करें क्योंकि उससे कक्षा के कुछ मुस्लिम विद्यार्थी ही लाभान्वित होंगे, यद्यपि यह पाठ्यक्रम सामान्य आवश्यकता की पूर्ति नहीं करता है।
यह विषय श्वेत श्याम में आपके समक्ष है कि विश्वविद्यालय में इस्लाम अत्यन्त धार्मिक प्रार्थना विद्यालयों जैसे वातारण में पढ़ाया जाना चाहिये। इस मांग में ( इन्शा अल्लाह सम्बोधन) अन्तर्निहित है कि ये पाठ्यक्रम “दावा”के उद्देश्य की पूर्ति करते हुये इस्लाम की ओर लोगों को आकर्षित करें।
इस बात को सुनिश्चित करने के लिये एक इस्लामवादी संगठन ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिये छात्रों को भर्ती किया। इस बात की कल्पना की जा सकती है कि अध्यापक की बात को ये अस्वीकार करेंगे जिससे विद्यार्थी जोरदार शिकायत करेंगे और उनकी शिकायत यथायोग्य इस हद तक मानी जायेगी कि वह प्रोफेसर कमिंग्स और ओ कोनोर को भी प्रभावित करेगी। इससे उन पर इस्लाम और मुसलमान को बिना आलोचना के प्रस्तुत करने का दबाव होगा।
मध्य-पूर्व विषयों के विश्वविद्यालय स्तर के अध्ययन में क्षमा भाव की यह प्रक्रिया पहले से चल रही है। मैंने इस प्रकार का एक लक्षण अभिलेखित किया है कि मध्य-पूर्व विषय के जानकार “जिहाद” के अर्थ को स्वीकार करने से मना करते हैं। अधिक विस्तृत रूप में मेरे सहयोगी जोनाथन काल्ट हैरिस ने दिखाया है कि किस प्रकार विद्वान उग्रवादी इस्लाम के पूरे विषय को ही नजरअन्दाज कर जाते हैं।
हाई स्कूल के स्तर पर एक प्रमुख पाठ्यपुस्तक और व्यापक रूप से उपयोग में आने वाला पाठ्यक्रम जो कि सातवीं कक्षा के लिये है, पब्लिक स्कूल में प्रत्यक्ष रूप से इस्लाम के लिये भर्ती करता है। एक ने तो सार्वजनिक समर्थन प्राप्त टेलीविजन वृत्तचित्र में “दावा” का जिक्र किया।
इस सम्बन्ध में तो मैं कहता हूँ कि देवियों और सज्जनों एक स्थिति का आरम्भ हो चुका है एक ऐसा राज्य (अन्य स्थितियों के अतिरिक्त) जहाँ गैर-मुसलमान इस्लाम या मुसलमान के सम्बन्ध में आलोचना करने का साहस नहीं कर सकते।
फिर से कक्षा की ओर आते हैं। जहाँ विद्यार्थियों को अपनी रूचि की कक्षाओं में जाने का अधिकार है प्रोफेसरों को धिम्मीत्व से बचाने के लिये और किसी इस्लामवादी संगठन के दबाव में आने की स्थिति में मैं उन्हें कैम्पस वाच में अपनी सेवायें देने के लिये आमन्त्रित करता हूँ।