आज सबसे महत्वपूर्ण जीवित यूरोपीय कौन है? मैं इसके लिये डच राजनेता गीर्ट वाइल्डर्स को नामित करूँगा। मेरे ऐसा करने के पीछे मुख्य कारण यह है कि वह इस महाद्वीप में इस्लामी चुनौती का सामना करने की सबसे बेहतरीन स्थिति में हैं। उनमें इस बात की क्षमता है कि वह विश्व स्तर पर एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व के रूप में उभर सकें।
इस्लामी चुनौती के दो प्रकार हैं- एक ओर तो मूल स्थानीय जनसंख्या ईसाइयत से दूर होती जा रही है, अपर्याप्त जन्मदर और सांस्कृतिक संशय से ग्रस्त है वहीं दूसरी ओर समर्पित, अधिक संख्या और जन्मदर सहित सांस्कृतिक रूप से आग्रही मुस्लिम आप्रवासियों की बाढ। तेजी से बढती इस स्थिति ने यूरोप के समक्ष कुछ गम्भीर प्रश्न खडॆ कर दिये हैं। क्या यह अपनी ऐतिहासिक सभ्यता को बरकरार रख सकेगा या फिर इस्लामी कानून ( शरियत) के अंतर्गत जीने वाला मुस्लिम बहुल महाद्वीप बन जायेगा।
46 वर्ष के वाइल्डर्स पार्टी आफ फ्रीडम ( पीवीवी) के प्रमुख उन यूरोपीयों के निर्विवाद नेता हैं जो अपनी ऐतिहासिक पहचान को बनाये रखना चाहते हैं। यही कारण है कि वह और उनका राजनीतिक दल पीवीवी यूरोप के अन्य राष्ट्रवादी और आप्रवास विरोधी दलों से भिन्न है।
पीवीवी एक स्वतंत्रतावादी और मुख्यधारा का परम्परावादी दल है जिसकी जडें नव-फासीवाद, शुद्धतावाद, षडयंत्रवाद, सेमेटिक विरोध या अन्य प्रकार के अतिवाद में नहीं है ( वाइल्डर्स सार्वजनिक रूप से रोनाल्ड रीगन का अनुकरण करते दिखते हैं)। इस उदारता का कारण वाइल्डर्स का इजरायल के प्रति प्रेम है जिसके अंतर्गत वह दो वर्ष यहूदी राज्य में निवास भी कर चुके हैं साथ ही इस राज्य की दर्जन भर यात्रायें कर चुके हैं और डच दूतावास को जेरूसलम स्थानांतरित करने की वकालत भी कर रहे हैं।
इसके अतिरिक्त वाइल्डर्स एक करिश्माई, चतुर, सिद्धांतनिष्ठ और मुखर नेता हैं जो तेजी से नीदरलैंण्ड में एक ऊर्जावान राजनीतिक शक्ति बन चुके हैं। वैसे तो वह सभी विषयों पर अपने विचार रखते हैं परंतु इस्लाम और मुस्लिम उनके प्रमुख विषय हैं। डच राजनेताओं की रक्षात्मक प्रवृत्ति को चुनौती देते हुए उन्होंनें मोहम्मद को शैतान कहा और माँग की कि यदि मुसलमान नीदरलैण्ड में रहना चाहते हैं तो उन्हें कुरान का आधा भाग फाड देना चाहिये। इससे भी विस्तार में वह इस्लाम को ही एक समस्या के रूप में देखते हैं न केवल इसके हिंसक संस्करण को जिसे कि इस्लामवाद कहा जाता है।
अंत में पीवीवी को इस तथ्य से लाभ हुआ है समस्त यूरोप में अनोखे डच गैर शुद्धतावादी ढंग से शरियत को अस्वीकार करने के लिये अधिक तैयार हैं। एक दशक पूर्व यह पहली बार तब दिखा था जब एक वामपंथी और पूर्व कम्युनिष्ट और समलैंगिक प्रोफेसर पिम फार्च्यून ने कहना आरम्भ किया कि उनके मूल्य और जीवन शैली शरियत के कारण संकट में है। फार्च्यून ने वाइल्डर्स को अपना राजनीतिक दल स्थापित करने की अनुशंसा की और नीदरलैण्ड में मुस्लिम आप्रवास को रोकने के लिये कहा। 2002 में एक वामपंथी द्वारा फारर्च्यून की हत्या के बाद वाइल्डर्स ने उनके कार्य को आगे बढाया।
पीवीवी ने निर्वाचन की दृष्टि से भी काफी अच्छा किया है और नवम्बर 2006 के राष्ट्रीय संसदीय चुनाव में 6 सीटें जीतीं और जून 2009 के यूरोपीय संघ के चुनाव में डच सीटों का 16 प्रतिशत विजित किया। मतों से ऐसा प्रतीत होता है कि पीवीवी ने विविधतावादी ढंग से मत प्राप्त किये हैं और देश का सबसे बडा राजनीतिक दल बन रहा है।
परंतु उनके समक्ष कुछ कठिन चुनौतियाँ भी हैं।
नीदरलैण्ड के विभाजित राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए पीवीवी या तो कुछ समान सहयोगी प्राप्त करे और एक मिली जुली सरकार बनाये ( अत्यंत कठिन कार्य है क्योंकि वामपंथी और मुस्लिम वाइल्डर्स को दक्षिण पंथी अतिवादी कहकर निन्दित करते हैं) या फिर संसद में अपने दम पर बहुमत प्राप्त करें ( एक दूर की कौडी)।
वाइल्डर्स को अपने विरोधियों की गन्दी चालों से भी पार पाना होगा। सबसे महत्वपूर्ण तो यही कि ढाई वर्ष के आरम्भिक टकराव के बाद वे उन्हें घृणात्मक वक्तव्य और घृणा फैलाने के आरोप में न्यायालय में घसीटने में सफल हो गये हैं। अभियोजन पक्ष की ओर से मामला 20 जनवरी को एम्सटर्डम में आरम्भ होगा और यदि उन पर अभियोग सिद्ध होता है तो वाइल्डर्स पर 14,000 अमेरिकी डालर का जुर्माना या फिर 16 माह जेल की सजा होगी।
यह याद रखने की बात है कि वह अपने देश के अग्रणी राजनेता हैं। इसके अतिरिक्त अपने ऊपर खतरों को देखते हुए वह सदैव अंगरक्षक के साथ चलते हैं और समय समय पर सुरक्षित स्थानों पर अपना स्थान बदलते रहते हैं। इस पर निश्चित ही आश्चर्य होता है कि वास्तव में कौन पीडित है।
यद्यपि मैं इस्लाम के सम्बन्ध में वाइल्डर्स के साथ सहमति नहीं रखता( मैं मजहब का सम्मान करता हूँ परंतु इस्लामवादियों से पूरी शक्ति से लड्ता हूँ) हम कानूनी मामले के विरुद्ध कन्धे से कन्धे मिलाकर खडे हैं। मैं राजनीतिक मतभेद के अपराधीकरण के विरुद्ध हूँ विशेष रूप से एक जमीनी राजनीतिक आन्दोलन को न्यायालय के द्वारा बाधित किये जाने का। इसी कारण मिडिल ईस्ट फोरम के विधिक प्रकल्प ने वाइल्डर्स की ओर से कार्य करते हुए उनकी सहायता में पर्याप्त आर्थिक सहायता एकत्र की है और साथ ही अन्य प्रकार से भी सहायता की है। इसके साथ ही हम इस बात के मह्त्व को भी समझते हैं कि युद्ध के समय शत्रु के स्वरूप पर सार्वजनिक रूप से चर्चा होनी चाहिये।
वैसे यह विडम्बना ही है कि चाहे वाइल्डर्स को जेल हो या जुर्माना इससे उनके प्रधानमंत्री बनने की सम्भावनायें बढ जायेंगी। परंतु यहाँ राजनीतिक चालबाजी सिद्धांत पर हावी हो गयी है। वह उन सभी पश्चिमी लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो अपनी सभ्यता से प्रेम करते हैं। उनके परीक्षण का परिणाम और उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हम सभी पर प्रभाव होने वाला है।