अमेरिकी सेना में कार्यरत 21 वर्षीय नसीर जैसन अब्दो पिछले वर्ष अगस्त में पहली बार चर्चा में तब आया जब उसने इस बात पर बहस की कि अमेरिकी सेना में सेवारत रहना उसकी इस्लामी आस्था के साथ मेल नहीं खाता और इस आधार पर उसने अपनी आत्मा की आवाज के आधार पर एक आपत्ति दायर की और इस आपत्ति में इराक और अफगानिस्तान में जारी अमेरिकी युद्ध का संदर्भ देते हुए कहा कि एक मुस्लिम , " को इस्लाम के आधार पर अन्यायपूर्ण युद्ध में भाग नहीं लेना चाहिये । कोई भी मुस्लिम जिसे अपने अपने धर्म का ज्ञान है उसे अमेरिका की सेना में अपनी सेवायें नहीं देनी चाहिये"। इसके बाद उसने लिखा, " मैं अमेरिका की सेना में एक सैनिक नहीं रह सकता और इस्लाम के प्रति ईमानदार रहना चाहता हूँ"।
अब्दो ने पश्तो भाषा की कक्षा में अमेरिका विरोधी बयान दिया और काउंसिल आन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशंस को अपने फेसबुक के पन्ने पर " कार्यकलाप और रुचि" के रूप में अंकित किया। " उसने अपना आशय घोषित करते हुए कहा कि वह सेना की सेवायें छोडकर " इस्लामोफोबिया" से लडना चाहता है और "मुसलमानों को यह दिखाना चाहता है कि हम कैसे अपना जीवन व्यतीत कर सकते हैं"। और इस बात का प्रयास करते हुए इस सकारात्मक बात को स्थापित करना कि इस्लाम अच्छा और शांतिपूर्ण धर्म है। हम सभी आतंकवादी नहीं हैं जैसा कि आप जानते है?" ।
मई 2011 में अब्दो को अपनी आत्मा की आवाज के आधार पर आपत्ति का स्तर प्राप्त हो गया। लेकिन उसे यह भी सूचित किया गया कि अनुच्छेद 32 के अंतर्गत ( एक विशाल जूरी के समकक्ष सेना) उसकी सुनवाई होगी क्योंकि उसने अपने सरकारी कम्प्यूटर पर 34 शिशु अश्लील चित्र उतारे थे । अब्दो ने इस आरोप के विरुद्ध संघर्ष करने का संकल्प किया और सेना के आशय को झूठा बताया, " जाँच को 10 माह व्यतीत हो चुके हैं और मुझ पर केवल शिशु अश्लीललता का आरोप लगाया गया है जबकि आत्मा की आवाज पर आधारित आपत्ति का दावा सही पाया गया है । मेरे अनुसार यह सब कुछ अजीब लगता है " ।
15 जून को अनुच्छेद 32 की सुनवाई ने अवैध अश्लीललता के आधार पर अब्दो के कोर्ट मार्शल की सिफारिश की। 4 जुलाई को वह केंटुकी में फोर्ट कैम्पबेल की 101 एयरबोर्न प्रभाग से बिना अवकाश के अनुपस्थित हो गया । 27 जुलाई को वह फोर्ट हुड के निकट टेक्सास में किलेन की बंदूक की दुकान पर दिखा जहाँ से उसने हथियार, शस्त्र और बम बनाने के सामान खरीदे। उसने सेना के भण्डार से फोर्ट हुड के पैबन्द वाला एक गणवेश खरीदा ।
उस दिन बाद में जब पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया तो एफबीआई की प्रेस नोट के आधार पर, " अब्दो के पास .40 क्षमता का हैण्ड गन, शस्त्र, ( अल कायदा की अग्रेजी की पत्रिका " Inspire" से एक लेख जिसका शीर्षक था, " अपनी माँ की रसोई में बम बनायें" इसके साथ ही बम बनाने के सामान , जिनमें धुँवारहित छह बोतल गन पाउडर, शाट गन खोखे, शाट गन गोली, दो घडी, आटो तार के दो बंडल, दो प्रेशर कुकर और एक इलेक्ट्रिक ड्रिल पाये गये" । जो सामान अब्दो के पास मिले वे सभी Inspire पत्रिका की सूची में दिये गये सामानों से मिलते जुलते थे।
अब्दो ने एफ बी आई को बताया कि उसकी योजना , " गन पाउडर और कीलों को प्रेशर कुकर में डालकर होटल के कमरे में दो बम रखने की थी जिसे कि एक अनिश्चित रेस्टारेंट में उडाने की थी जिसमें कि अधिकतर फोर्ट हुड के सैनिक आते हैं" ।
उसका उद्देश्य क्या था?
दो उद्देश्य प्रतीत होते हैं। उसने स्वीकार किया कि वह कोर्ट मार्शल के कारण सेना से बदला चुकाने के लिये सैनिकों को मारना चाहता था। लेकिन उसका व्यापक उद्देश्य इस्लामवादी था और वह था काफिरों ( गैर मुस्लिम)को निशाना बनाना। उसने अमेरिका विरोधी बयान दिये, अल कायदा की पत्रिका पढता था, सीएआईआर की प्रंशसा की , इस्लामोफोबिया की निंदा की और घोषणा की कि वह अपने मुस्लिम साथियों के विरुद्ध नहीं लड सकता। उसी भण्डार से बंदूक से सम्बंधित सामान खरीदना जहाँ से मेजर निदाल हसन ने खरीदे और नवम्बर 2009 में उनका प्रयोग कर 14 लोगों की हत्या की । न्यायालय में अब्दो ने स्पष्ट शब्दों में , "निदाल हसन फोर्ट हुड 2009" और " अनवर अल अवलाकी" ( ह्सन का अल कायदा का व्यक्तित्व) का उल्लेख किया। उसने अबीरकासिमअल जनाबी इराक 2006" का उल्लेख भी जोरदार ढंग से किया " एक लडकी का नाम जिसके साथ 101 सेना टुकडी के सैनिकों ने सामूहिक बलत्कार कर उसकी ह्त्या कर दी थी" ।
यह मामला एक गम्भीर मुद्दे की ओर ध्यान दिलाता है – क्या अमेरिकी सरकार में सेवा करना इस्लाम के साथ सुसंगत है। अब्दो का आत्मा की आवाज पर आधारित आपत्ति का स्तर प्राप्त करना और उसके विरोध में उसका लगभग आतंकवादी बन जाना इस असंगति के पक्ष में एक सशक्त तर्क है। अमेरिकी सेना ने मौन रूप से उसके स्तर को स्वीकार कर इस तर्क को स्वीकार कर लिया और यह निर्णय सम्भवतः अमेरिकी सेना पर बार बार हुए मुस्लिम आक्रमण से प्रभावित था जिसमें कुवैत में हसन अकबर का आक्रमण, हसन का फोर्ट हुड पर भगद्ड मचाना और अर्कांसास में सेना भर्ती केंद्र पर अब्दुल हकीम मुहम्मद का आक्रमण शामिल हैं।
इस अब्दो सेना सहमति के अमेरिका में इस्लाम को लेकर व्यापक परिणाम होते हैं इससे यही प्रतीत होता है कि मुस्लिम पाँचवा स्तम्भ हैं और वे स्वामिभक्त नागरिक नहीं हो सकते। मेरी इससे असहमति है, मुस्लिम देशभक्त अमेरिकी और औदाहरणिक सैनिक भी हो सकते हैं। अब्दो मामले से यह फिर से ध्यान में आता है कि मुसलमानों के मामले में अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता है चाहे वह सरकार में सेवा का मामला हो या फिर विमान में सवारी का मामला हो। यह दुर्भाग्यपूर्ण है , अरुचिकर है लेकिन सामान्य सुरक्षा की यह माँग है।