वर्ष 2011 के अंत में इराक में अमेरिकी सेनाओं की वापसी के पश्चात तेहरान इस पडोसी देश को अपने क्षत्रप के रूप में परिवर्तित करने का प्रयास करेगा और अपना उपग्रह राज्य बनाने का प्रयास करेगा जो कि पश्चिम, उदारवादी अरब तथा इजरायली हितों के लिये हानिकारक होगा।
ईरान के तीव्र प्रयास तो जारी ही हैं, जब तेहरान इराक में उग्रवादी भेज रहा है और इराक के सीमा क्षेत्रों में अपनी सेना भी भेज रहा है। बगदाद ने इसके उत्तर में कमजोरी दिखाई है तथा इसके चीफ आफ स्टाफ ने ईरान के साथ क्षेत्रीय समझौते की बात की है तथा उच्च राजनेताओं ने बगदाद से 60 मील उत्तर पूर्व में स्थित अशरफ में ईरानी विद्रोही संगठन मुजाहिदीने खल्क के 3,400 सदस्यों वाले शिविर पर आक्रमण की अनुमति दी है। मुजाहिदीने खल्क का मुद्दा इस बात को स्पष्ट करता है कि ईरान इराक पर अपना दबदबा बना रहा है। इस सम्बन्ध में कुछ हाल के घटनाक्रम पर ध्यान देना उचित होगा:
7 अप्रैल को मुजाहीदेने खल्क ने एक खुफिया जानकारी देते हुए यूरेनियम क्षमता बढाने की ईरान की योग्यता का उल्लेख किया और इस रहस्योद्घाटन का समर्थन ईरान के विदेश मंत्रालय ने तत्काल किया।
8 अप्रैल को अमेरिका के रक्षा मंत्री की इराक यात्रा के बाद भी देश की सशत्र सेना ने अशरफ पर आक्रमण किया। फक्स न्यूज और सी एन एन ने अपने चित्रों में दिखाया कि इराकियों ने अमेरिका द्वारा आपूर्त हथियार और बुलडोजर से निशस्त्र नागरिकों पर धावा बोला और तीव्र निशानेबाजों ( शार्प शूटर्स ) ने 34 लोगों की ह्त्या कर दी और 325 को घायल कर दिया। इराकी सुरक्षा बल आपरेशन आदेश क्रमाँक 12, वर्ष 2011 से रहसोद्घाटन होता है कि यह इराकी सेना की आक्रमण की उच्च स्तरीय गोपनीय योजना थी और इससे पता चलता है कि अशरफ के निवासियों को किस प्रकार शत्रु के रूप में देखा जाता है और इससे बगदाद और तेहरान की मिलीभगत का पता भी चलता है।
यह घटना बगदाद द्वारा इस बात की प्रतिज्ञा लिये जाने के बाद घटी कि ईरानी विद्रोहियों की रक्षा की जायेगी और उनके साथ मानवीय ढंग से व्यवहार होगा। अमेरिका सीनेट के विदेश व्यवहार समिति के अध्यक्ष जान केरी ने ठीक ही इसे " जनसंहार" की संज्ञा दी है जबकि पूर्व राज्यपाल हावर्ड डीन ने इराक के प्रधानमंत्री को " जनसंहारक" बताया है। संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार समिति के उच्चायुक्त ने इस आक्रमण की निंदा की है और इराक के लिये संयुक्त राष्ट्र संघ के सहायक मिशन ने इस घटना पर गम्भीर चिंता व्यक्त की है।
( प्राप्त समाचारों के अनुसार ) 11 अप्रैल को ईरान के सर्वोच्च नेता अली खोमैनी के सेना विभाग के सलाहकार ने " मुजाहिदीने खल्क के गढ पर इराकी सेना के हाल के आक्रमण की प्रशंसा की और बगदाद से कहा कि वे आतंकवादी शिविरों पर इसी प्रकार आक्रमण करते रहें जब तक कि ये समाप्त न हो जायें।
24 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र संघ के इस बात पर जोर देने के बाद भी कि " कैम्प अशरफ के निवासियों को जबरन बाहर न भेजा जाये या किसी देश को न सौंपा जाये" बगदाद और तेहरान ने प्रत्यर्पण संधि कर ली जिसे कि राज्य नियंत्रित ईरानी मीडिया ने इस प्रकार व्याख्यायित किया कि यह मुजाहिदीने खल्क के सदस्यों को बलपूर्वक ईरान लाये जाने की योजना का अंग है, जहाँ कि उनके साथ भयानक व्यवहार प्रतीक्षा कर रहा है।
ईरान के विद्रोहियों के साथ इराक द्वारा किये जा रहे दुर्व्यवहार से जो प्रश्न खडे होते हैं उनमें मानवता के आधार पर चिन्ता तो है ही यह इराक में तेहारान के प्रभाव को बढने से रोकने में मुजाहिदीने खल्क की महती भूमिका को भी अवरुद्ध करता है।
इसके साथ ही वर्ष 2004 में अपने हथियार डालने के बाद वाशिंगटन द्वारा अशरफ निवासियों को संरक्षित दर्जा दिये जाने के कारण इस आक्रमण का दायित्व इस पर भी आता है, 1997 में इसने ईरान की ओर चारा डाला और तथ्य व कानून दोनों के ही विपरीत मुजाहिदीने खल्क को एक " विदेशी आतंकवादी" संगठन की सूची में डाल दिया।
बगदाद ने इस आतंकवादी छापे का खूब लाभ उठाया। उदाहरण के लिये ऐसा कहा गया कि ( कैलीफोर्निया के डेमोक्रेट) ब्रैड शेरमन ने , " व्यक्तिगत बातचीत में इराकी राजदूत के कार्यालय में माना कि रक्त से हाथ इराक सरकार के नहीं सने हैं वरन कुछ अंशों में इसका दायित्व अमेरिका के गृह मंत्रालय को जाता है क्योंकि मुजाहिदीने खल्क को एक आतंकवादी गुट के रूप में पंजीकृत किया गया है और इस आधार पर इराक को नहीं लगता कि इन शिविरों के मानवाधिकारों की रक्षा की जानी चाहिये" । आतंकवादी उपाधि दिये जाने से बगदाद को अशरफ के नागरिकों को निकालने और सम्भवतः ईरान को प्रत्यर्पित किये जाने का अवसर भी प्राप्त होता है।
जैसा सीनेटर केरी ने कहा है कि इस संकट के अवसर पर , " किसी प्रकार सभी प्रासंगिक पक्षों को शांतिपूर्ण और दीर्घकालिक समाधान निकालने का प्रयास करना चाहिये " ?
- अमेरिकी सरकार को चाहिये कि वह मुजाहिदीने खल्क को आतंकवादी सूची से निकाल दे जिसके लिये काँग्रेस में बडे पैमाने पर दलगत हितों से ऊपर बहुमत हो सकता है जैसा कि बराक ओबामा के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और प्रमुख रिपब्लिकन ने माना है।
- यूरोपियन यूनियन को चाहिये कि यदि वह यूरोपियन संसदीय प्रतिनिधिमंडल को अशरफ की यात्रा करने से रोकता है तो वह इराक पर आर्थिक प्रतिबंध लगाये । ( यूरोपियन यूनियन इराक का दूसरा सबसे बडा व्यापारिक सहयोगी है)
- संयुक्त राष्ट्र संघ को चाहिये कि वह अशरफ में इराक के लिये संयुक्त राष्ट्र संघ के सहायक मिशन को स्थायी स्वरूप से रखे जिसकी रक्षा एक छोटी अमेरिकी सेना करे ताकि भविष्य में इराक के किसी आक्रामण को रोका जा सके और संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार उच्चायुक्त की माँग भी पूरी की जा सके , " अशरफ आक्रमण की सम्पूर्ण, निष्पक्ष और पारदर्शी जाँच हो ताकि किसी भी व्यक्ति को जिसे अति बलप्रयोग का दोषी पाया जाये दंडित किया जा सके" ।
यह समय है कि तत्काल अशरफ शिविर के सम्बंध में कार्रवाई की जाये क्योंकि यह इराक पर ईरान के बढते प्रभाव को लेकर खतरे की घण्टी है इससे पहले कि तेहरान इराक को अपना क्षत्रप बना ले।