इराक में हाल में अर्धसम्पन्न चुनाव के बाद अमेरिकी सेनायें अगस्त में वापस होंगी तो यह उपयुक्त अवसर है कि प्रश्न किया जाये कि अमेरिका के करदाताओं को आखिर वर्ष 2003 से इराक में 45 बिलियन अमेरिकी डालर खर्च करने से क्या प्राप्त हुआ है आगे कौन से कदम उठाये जायेंगे।
इस 45 बिलियन डालर में अमेरिकी सेना पर हुआ खर्च शामिल नहीं है वरन इराक की सुरक्षा सेना के लिये 21 बिलियन डालर , इराक के आधारभूत ढाँचागत विकास के लिये 11 बिलियन डालर और इराक सरकर से सम्बंधित सेवाओं के लिये 6 बिलियन डालर ।
दुखद तो यह है कि इसके बडे भाग का अपव्यय हुआ है। पहला, जैसे ही अगस्त में गठबंधन सेना इराक छोडेगी तेहरान में बैठे मुल्ला इस क्षेत्र पर नियन्त्रण स्थापित कर लेंगे , दूसरा, अहंकार और अयोग्यता के चलते इराक में अमेरिकी खर्च का दुरुपयोग हुआ है। इन त्रुटियों का कुछ जायजा लेना है तो अमेरिकी प्रकल्प की सबसे बडी प्राथमिकता बगदाद में अमेरिकी दूतावास के परिसर को देख लें।
इस दूतावास के बारे में सब कुछ 2004 में अमेरिकी अधीनता के सर्वाधिक ऊँचाई वाले समय में सोचा गया। पृथ्वी के सबसे बडे कूटनीतिक स्थल के रूप में यह 104 एकड ( 42 हेक्टेयर ) में विस्तृत है यह अगले सबसे बडे अमेरिकी कूटनयिक स्थल (बीजिंग में अमेरिकी दूतावास) से दस गुना बडा है और वेटिकन सिटी से थोडा ही छोटा है। इसमें एक छोटा शहर है , इसके 21 भवनों में स्टोर, रेस्टारेंट , स्कूल, मूवी थियेटर, अग्नि शमन स्थल और एथलेटिक्स की सुविधा , विद्युत , टेली कम्युनिकेशन , जल और गंदे जल के निवारण की व्यवस्था शामिल है। पंद्रह फुट की घनी दीवार इस पूरे परिसर की रक्षा करती है। 5,500 स्टाफ यहाँ रहते हैं । इसका वार्षिक बजट 1.5 बिलियन डालर का है।
इस परिसर का खर्च इतना अधिक हो गया कि खर्चे के कारण यह प्रभावित हुआ और दयनीय निर्माण के चलते भी देर हुई। आरम्भ में अनुमान था कि वर्ष 2007 में 92 मिलियन डालर के खर्च के साथ पूरा होगा लेकिन जब वर्ष 2009 में इसका उद्घाटन हुआ तो वास्तव में इसकी कुल लागत 700 मिलियन डालर की थी। वाशिंगटन पोस्ट ने एकदम नये भवन के चौकीदार की जुबानी सुनाया।
पहली समस्या का आरम्भ तब हुआ जब चौकीदारों के आधारभूत स्थल 15 मई 2007 को रसोई स्टाफ ने उद्घाटन भोजन बनाने का प्रयास किया । कुछ औजारों ने काम नहीं किया। काम करने वालों को बिजली के झटके लगने आरम्भ हो गये। फिर कुछ जलने की सुगंध आयी और वाइरिंग पिघलने लगी यह पिघलना तो उन समस्याओं का आरम्भ भर था जिसके बाद उस क्षेत्र में लोगों ने रहना छोड दिया, जिसमें वाइरिंग समस्या, रसोई गैस लीक और सोने वाले स्थलों पर समस्या शामिल थे।
ट्रेलर का निर्माण करने वाली एक सउदी कम्पनी ने सलाह दी कि चौकीदार खिडकी खुली रखें और तारकोल के प्रयोग से दुर्गंध को नियन्त्रित करें लेकिन इससे भी कोई लाभ नहीं हुआ। सभी दस पावर स्टेशन में लीकेज आ गया क्योंकि निर्माणकर्ताओं ने पानी के प्रयोग होने वाली टेप का प्रयोग किया था जो कि सम्पर्क में आने पर ईंधन को समाहित कर लेता है।
दयनीय निर्माण को तो ठीक किया जा सकता है लेकिन परिसर की विशालता और आक्रामक स्थल को तो नहीं जिसमें कि इराक पर अमेरिका का सतत शासन अंतर्निहित है। दूतावास " हरे क्षेत्र" में स्थित है जो कि कभी सद्दाम हुसैन का था और तिग्रिस नदी के तट पर बगदाद के हृदस्थल में है।
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप ने पाया है कि दूतावास का विशाल परिसर इराकियों को स्मरण दिलाता है कि इस देश में वास्तव में किसके पास सत्ता है। The Architecture of Diplomacy: Building America's Embassies पुस्तक के लेखक जेन सी लोयफर ने इसमें आगे कहा " वाशिंगटन ने ऐसे दूतावास का स्वरूप निर्धारित किया जो कि कोई भी आत्मविश्वास इराक के लोगों में जागृत नहीं करता और भविष्य के लिये अत्यंत क्षीण आशा जगाता है" । एसोसियेटेड प्रेस के एने गियारान ने ठीक ही भविष्यवाणी की है कि परिसर " शीघ्र ही सफेद हाथी बन जायेगा" विलियम लैंगविस ने इस परिसर को स्वयं के लिये निर्मित " कारावास" की संज्ञा दी है।
यह आश्चर्य नहीं कि इराक में अमेरिका के पोषित राजनेताओं ने अमेरिका की इस शक्ति की प्रशंसा की है , इराक के राष्ट्रपति जलाल तलाबानी ने कहा कि यह परिसर , " इराक और अमेरिका के लोगों की गाढी मित्रता का प्रतीक है" जबकि विदेश मंत्री होश्यार जेबारी ने इसे इराक में लोकतन्त्र लाने के लिये अमेरिकी प्रतिबद्धता के संकेत के रूप में देखकर इसका नया ही आयाम खोल दिया ।
छह वर्ष पूर्व दूतावास के विशाल आकार को देखकर ही अत्यंत असहज होकर मैंने घोषणा की थी , " यह बेहतर होगा कि निर्णय का कार्य शक्तिशाली इराकी लोगों को सौंप दिया जाये और अत्यंत अल्प अमेरिकी उपस्थिति रखी जाये। यदि आरम्भ में इसे नहीं किया जा सका तो बाद में इसे किया जाये और ऐसी परिस्थिति में जिसका शोर न हो" । वे अपवित्र परिस्थितियाँ पाँच महीने दूर ही हैं, यह आकार में बडा मध्य बगदाद का परिसर अमेरिकी अहंकार का प्रतीक बन जायेगा जिससे कि इराकियों को झुँझलाहट होगी और इससे इस देश के लोग ईरान के प्रभाव को स्वीकार करने की ओर बढेंगे।
अब तो इसे बनाया जा चुका है इसलिये इस कूटनीतिक बढत को रोका नहीं जा सकता । लेकिन जितना शीघ्र यह परिसर इराकियों को सौंप दिया जायेगा और अमेरिका के लोग सामान्य आकार के दूतावास में लौट जायेंगे यह अमेरिका और इराक के भविष्य के सम्बंध के लिये उतना ही बेहतर होगा।