पेंटागन और सीनेट ने फोर्ट हूड की जो जाँच आरम्भ की है और जिसे एक विश्लेषक ने "फोर्ट हूड जाँच का संघर्ष" कहा है उसके प्रकाश में यह देखने की बात होगी कि क्या इस्लामी कोण के कठोर सत्य से मुठभेड कर पाते हैं?
सीनेटर जोसेफ लिबरमैन ( कानेक्टीकट के स्वतंत्र) जो कि गृहभूमि सुरक्षा समिति के अध्यक्ष भी हैं उन्होंने जिस प्रकार " हिंसक इस्लामवादी" उल्लेख किया है वह उत्साहवर्धक है इसके बाद भी इस बात पर चिंता होती है कि किस प्रकार 5 नवम्बर को हुए नरसंहार पर लीपा पोती करने का प्रयास हो रहा है, यह किसी भी प्रकार शत्रुवत विचारधारा जो कि मुसलमानों की लिये ही है उसके प्रभाव को झेलने से कहीं सरल है।
वास्तव में अमेरिकी सेना, कानून प्रवर्तन, राजनेताओं और पत्रकारों की आरम्भिक प्रतिक्रिया देखकर तो यही लगता है कि वे व्यापक आधार पर इस बात पर सहमत हैं कि मेजर निदाल हसन की नरसंहार की भगदड का इस्लाम से कोई वास्ता नहीं है। बराक ओबामा ने घोषणा की , " हमें पूरी तरह पता नहीं है कि एक व्यक्ति ने ऐसा क्यों किया"? न्यूजवीक के इवान थामस ने हसन को मनोविक्षिप्त मामला बता दिया।
लेकिन ऐसे साक्ष्य सामने आ रहे हैं जो हसन के इस्लामवादी हाव भाव को पुष्ट कर रहे हैं, उसके जिहादी भाव को और काफिरों के विरुद्ध उसकी तीव्र घृणा को। मैंने 9 नवम्बर को एक लेख में प्रकाशित उसके सम्बंध में तथ्यों का पुनरीक्षण किया लेकिन उसके तत्काल बाद अनेक अन्य सूचनायें सामने आ गयीं यहाँ उसका निष्कर्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। साक्ष्यों को तीन भागों में विभाजित किया गया है, इसका आरम्भ वाल्टर रीड आर्मी मेडिकल सेंटर से हसन के आरम्भ किया जाता है:
- जून 2007 में उसने वाल्टर रीड के आवासीय कार्यक्रम के तहत 25 मानसिक स्वास्थ्य स्टाफ के सदस्यों तथा अपने सुपरवाइजरों के समक्ष एक घन्टे का औपचारिक चिकित्सा प्रस्तुतीकरण किया। अपने द्वारा चुने गये चिकित्सा के किसी बिंदु पर उसे यह प्रस्तुतीकरण करने की अपेक्षा थी लेकिन इसके बजाय यह The Koranic World View As It Relates to Muslims in the U.S. Military" विषय में परिवर्तित हो गया जिसमें कि कुछ टिप्पणियाँ भी की गयीं जैसे, " यह मुसलमानों के लिये दिनों दिन कठिन होता जा रहा है कि वे ऐसी सेवा को नैतिक रूप से न्यायसंगत ठहरा सकें जिसमें कि सेना लगातार साथी मुसलमानों के विरुद्ध सक्रिय है" " रक्षा विभाग को मुस्लिम सैनिकों को इस बात का विकल्प दिया जाना चाहिये कि वे अपनी आत्मा की आवाज पर विरोध कर सकें ताकि सैनिकों का मनोबल बढ सके और अप्रिय घटना को रोका जा सके"। एक व्यक्ति जो कि इस प्रस्तुतीकरण में उपस्थित था उसने याद करते हुए कहा है कि इसके समापन के अवसर तक " वरिष्ठ चिकित्सक काफी परेशान दिख रहे थे"
- हसन ने वाल्टर रीड में कम से कम एक रोगी को सूचित किया कि, " इस्लाम आपकी आत्मा की रक्षा कर सकता है"
- नेशनल पब्लिक रेडियो के अनुसार हसन की इस्लामवादी सक्रियता इतनी अधिक थी कि वाल्टर रीड के मनोचिकित्सक विभाग के लोगों ने बैठकर इस बात पर चर्चा की कि क्या यह मनोविकार से युक्त है। एक अधिकारी ने अपने सहयोगी को अपनी चिंता प्रकट करते हुए कहा , " यदि हसन को इराक या अफगानिस्तान में नियुक्त किया गया तो वह इस्लामवादी कट्टरपंथियों को सूचनायें दे देगा। एक अधिकारी ने अपने सहयोगियों से कहा कि हसन अपने ही भाइयों को मार सकता है और उन्हें 2003 के सारजेंट हसन अकबर की याद आ गयी।
इसके बाद फोर्ट हुड में हसन का रिकार्ड
- उसके ऊपरी अधिकारी कैप्टेन नाओमी सरमान को याद आता है कि उसने उनसे कहा था कि एक अविश्वासी ( काफिर) होने के कारण उन्हें नर्क की आग में जलना होगा। एक और व्यक्ति के अनुसार उसने घोषणा की कि अविश्वासियों का गला काट देना चाहिये और उनकी गर्दन पर उबलता हुआ तेल डाल दिया जाना चाहिये।
- इराक और अफगानिस्तान के लौटने वाले सैनिकों के मनोवैज्ञानिक सत्र में उसने ऐसी सूचनाओं में रुचि दिखाई जो युद्ध अपराध के समकक्ष सूचनायें थीं। नरसंहार की घटना के तीन दिन पूर्व 2 नवम्बर को उसने कम से कम अपने दो वरिष्ठ अधिकारियों सरमान और कर्नल एंथोनी फेबो को समझाने का प्रयास किया इस सैनिकों को कानूनी आधार पर दंडित किया जाना चाहिये।
- हसन नियमित रूप से अपने ईमेल की समाप्ति पर लिखता था " अल्लाह की प्रशंसा में" ।
- उसने अपना पहला नाम निदाल के स्थान पर अब्दूवली लिखा , सेना के अपने व्यक्तिगत रिकार्ड में उसने ईमेल पते में अब्द अल वली लिखा था जो कि एक अरबी नाम है " बादशाह का गुलाम" यहाँ ईश्वर के 99 नामों में बादशाह या संरक्षक एक नाम है। यह स्पष्ट नहीं है कि हसन ने ऐसा क्यों किया सम्भव है कि अब्दूवली फिलीस्तीनियों के मध्य सामान्य नाम हो ( यासिर अराफात के भी दो नाम थे यासिर अराफात और अबू अम्मार)
अंत में हसन की पाठ्यक्रमांतर गतिविधियों के आधार पर उसके हाव भाव का अधिक पता चलता है:
- अपने व्यक्तिगत कार्ड को उसने हरा और श्वेत अलंकृत कराया था और इसमें सेना के साथ अपने जुडाव का कोई उल्लेख नहीं था । इसके बजाय उसके नाम के साथ "व्यावहारिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य और जीवन क्षमता" जुडा था उसका मोबाइल नम्बर मारीलैण्ड का था AOL ईमेल पता और SOA | " SOA( SWT) एक जिहादी वाक्य का लघुरूप है जिसका अर्थ है सोल्जर आफ अल्लाह और SWT का अर्थ है Subhanahu wa-Ta'ala, या " उसकी प्रशंसा में"
- हसन ने अनेक ईमेल पते और स्क्रीन नाम से जिहादी वेबसाइट को सम्पर्क किया।
- उसने दिसम्बर 2008 से जून 2009 के मध्य अल कायदा के लिये भर्ती करने वाले अनवर अल अवलाकी को 18 ईमेल किया जिसने कि उत्तरी अमेरिका में दो अन्य आतंकी षडयंत्रों को प्रेरित किया और अमेरिकी न्याय से भागा है। अवलाकी दो मस्जिदों में हसन का आध्यात्मिक गुरु था जिसमें कि सैन डियागो की अल रिबात अल इस्लामी मस्जिद और वाशिंगटन डी सी के बाहर दार अल हिज्रा इस्लामिक सेंटर शामिल है और उसने स्वीकार किया कि वह हसन का विश्वसनीय बनेगा। अवलाकी ने अनुमान लगाया है कि उसने हसन को प्रभावित किया होगा और नरसंहार के लिये उसकी प्रशंसा करते हुए उसे "नायक" बताया जिसने कि उन अमेरिकी सैनिकों की ह्त्या की कि इससे पूर्व वे इराकऔर अफगानिस्तान में मुसलमानों पर आक्रमण कर पाते।
- इन ईमेल में हसन ने अवलाकी से प्रश्न किया कि जिहाद कब उचित है और साथ ही आत्मघाती आक्रमण में निर्दोष लोगों को मारने के विषय में। " मैं आपके साथ जुडने के लिये प्रतीक्षा नहीं कर सकता"। एक यमनी विश्लेषक ने तो हसन को लगभग " अल कायदा का सदस्य तक बता डाला"
- हसन ने अवलाकी से बढ चढकर कहा कि " मेरी शक्ति मेरी आर्थिक क्षमता है। उसने अमेरिका से बाहर इस्लामिक दया कार्यों के लिये 20,000 से 30,000 डालर प्रतिवर्ष दान किया जिसमें कि कुछ दान पाकिस्तान भी गया।
- हसन जो कि फिलीस्तीन मूल का था उसने भगदड के दिन प्रातः काल पाकिस्तान का वस्त्र पहना था जो कि उसके जिहादी मस्तिष्क को दर्शाता है।
- ह्सन का उन लोगों से अव्याख्यायित सम्बंध था जिन पर कि एफ बी आई नजर रख रहा था जिसमें कि अवलाकी के अतिरिक्त कुछ लोग यूरोप में भी थे। एक अधिकारी ने इनकी विशेषता बताई कि यदि ये " अल कायदा से सम्बद्ध नहीं थे तो इस्लामी कट्टरपंथी अवश्य थे"।
- 18 वर्षीय मुस्लिम मतांतरित डुवन रिजोनर जूनियर जिसका इस्लाम में हसन संरक्षक था उसने स्वयं को " कट्टरपंथी, मुजाहिदीन , मुस्लिम" कहा जो कि खुले रूप से अवलाकी, ओसामा बिन लादेन , तालिबान , उमर अब्दुल रहमान ( नेत्रहीन शेख) और एडम गदान (अमेरिका में अल कायदा का सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति) का समर्थन करता है।
इन लक्षणों के आधार पर हसन की जिहादी मनोवृत्ति को लेकर किंचित भी संदेह नहीं रह जाता। लेकिन क्या जाँच इस प्रेरणा को देखने की आज्ञा देगी? ऐसा करने का अर्थ है कि इसे "बाहरी देशों की प्रेरणा से चले आपरेशन" और " मानव निर्मित आपदा" से बदलकर कट्टरपंथी इस्लाम के विरुद्ध युद्ध के रूप में करना। क्या अमेरिका के लोग इसके लिये तैयार हैं?