मैं आखिर क्यों कहता हूँ कि ओबामा प्रशासन के " इजरायल के विरुद्ध तीव्र और कठोर बदलाव" के तीन तात्कालिक, पहले से ही जाने जाने वाले और उल्टे पडने वाले परिणाम होने वाले हैं? इससे संकेत मिलता है कि आने वाले समय में और कठिनाईयाँ आने वाली हैं।
पहला परिणाम:बराक ओबामा द्वारा इजरायल के प्रति कठोर होने के निर्णय से इजरायल के लिये फिलीस्तीन की माँगों को और बढायेगा। आरम्भिक जुलाई में फिलीस्तीनी अथारिटी के प्रमुख महमूद अब्बास और उनके प्रमुख वार्ताकार सायेब एरेकात ने इजरायल की ओर से पाँच एकतरफा रियायतों पर जोर दिया:
- एक स्वतंत्र फिलीस्तीनी राज्य
- इजरायल जून 1967 से पूर्व की अपनी सीमा को संकुचित करे जिसमें कि पश्चिमी तट और गाजा पट्टी के मध्य फिलीस्तीन का बाँध शामिल न हो।
- फिलीस्तीनियों का इजरायल में " वापसी का अधिकार"
- 2002 की अब्दुल्लाह योजना के अंतर्गत सभी स्थाई स्तर के मुद्दों को हल किया जाना तथा
- उत्तरी जेरूसलम और पश्चिमी तट में यहूदियों द्वारा निर्मित की जा रही बस्तियों को पूरी तरह रोका जाना।
अमेरिका और फिलीस्तीन के लोग इस पूर्वशर्त की सूची को उद्देश्यपूर्वक देखते रहे जबकि पिछले आँकडे दर्शाते हैं कि ऐसी बढचढ कर की गयी माँगों को स्वीकार करने की मन्शा इजरायल की नहीं होती।
दूसरा परिणाम: अमेरिकी प्रशासन पहले अब्बास से आदेश लेता है और फिर उसे इजरायल को सुनाता है । अब्बास ने अमेरिका से शिकायत की कि प्राचीन शहर जेरूसलम के उत्तर में 1.4 किलोमीटर शिमोन हात्जादिक जो कि उत्तरी जेरूसलम का पडोसी है वहाँ 20 आवास और भूमिगत गैराज का निर्माण होने से जेरूसलम का भूजनाँकिकी संतुलन बिगड जायेगा। राज्य विभाग ने तत्काल इजरायल के राजदूत माइकल ओरेन को 17 जुलाई को वाशिंगटन तलब किया और निर्देश किया कि इस निर्माण कार्य को रोक दें।
कुछ पृष्ठभूमि: इजरायलवादियों ने शिमोन हात्जादिक पडोस को अरब के लोगों से भूमि खरीद कर 1891 में स्थापित किया था और अरब दंगों तथा जार्डन द्वारा विजय करने के बाद इस क्षेत्र को छोड दिया। जेरूसलम के नाजी समर्थक मुफ्ती अमीन अल हुसैनी ने 1930 में इस क्षेत्र में एक निर्माण किया जो कि बाद में शेफर्ड होटल बन गया ( परंतु इसका कैरो के शेफर्ड होटल से कोई सम्बंध नहीं है) । 1967 के बाद इजरायल ने इस भूमि को " अनुपस्थित की भूमि" के रूप में घोषित कर दिया और 1985 में अमेरिका के व्यवसायी इर्विंग मोस्कोविज ने इस भूमि को खरीद लिया और 2002 तक सीमा पुलिस को यह भूमि किराये पर दे दी। उनकी कम्पनी सी एंड एम प्रापर्टीज ने दो सप्ताह पूर्व अंतिम आदेश प्राप्त किया कि वह होटल का जीर्णोद्धार और भूमि पर भवन बना सकते हैं।
तीसरा परिणाम: अमेरिका की माँग ने इजरायल को इस बात के लिये उकसाया है कि वह झुके नहीं और अपनी परम्परागत स्थित को दुहराये। ओरेन ने राज्य विभाग की माँग निरस्त कर दी। प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू जिन्होंने कि माना कि वे अमेरिका की माँग से आश्चर्यचकित हैं अपने सहयोगियों को आश्वस्त किया , " इस मामले में मैं कमजोर नहीं पडूँगा" ।
सार्वजनिक रूप से नेतन्याहू ने रियायत के लिये दरवाजे बंद कर दिये। इस बात पर जोर देते हुए कि जेरूसलम पर इजरायल की सार्वभौमिकता को चुनौती नहीं दी जा सकती उन्होंने रेखाँकित किया कि , " जेरूसलम के निवासी शहर के किसी भी भाग में भवन खरीद सकते हैं और विशेष रूप से याद दिलाया कि, " हाल के वर्षों में यहूदियों के पडोस में तथा शहर के पश्चिमी भाग में अरब निवासियों द्वारा सैकडों भवन खरीदे गये या किराये पर लिये गये है लेकिन हमने कोई हस्तक्षेप नहीं किया"
"इससे यही पता चलता है कि शहर के पश्चिमी भाग में अरबों के भवन खरीदने पर कोई प्रतिबंध नहीं है और शहर के पूर्वी भाग में यहूदियों के भवन खरीदने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। यह एक खुले शहर की नीति है एक अविभाजित शहर जहाँ कि मजहब या राष्ट्रीय जुडाव के आधार पर कोई विभाजन नहीं है"
अंत में कठोर रूप से, " हम इस विचार को स्वीकार नहीं कर सकते कि यहूदियों को जेरूसलम के सभी भाग में निवास करने या खरीदने का अधिकार न हो। मैं केवल अपने तक इसकी व्याख्या कर सकता हूँ कि यदि यह प्रस्तावित किया जाये कि न्यूयार्क , लन्दन , पेरिस या रोम के कुछ विशेष पडोस में यहूदी नहीं रह सकते। निश्चित रूप से एक अंतरराष्ट्रीय वितंडावाद ख़डा हो जायेगा। इसी प्रकार हम जेरूसलम में ऐसी किसी आदेश पर सहमत नहीं हो सकते"
विदेश मंत्री एविगडोर लिबरमैन ने भी इसी बात पर जोर दिया जब सूचना और प्रवासी मामलों के मंत्री युली एडेलेस्टीन ने जोडा कि अमेरिकी माँग से सिद्ध होता है कि, " बस्तियों को रोकने से सम्बंधित माँग की बातचीत में शामिल होना कितना खतरनाक है। ऐसी बातचीत से समस्त इजरायल राज्य में अपने जीवन को रोकने की माँग़ उठेगी" ।
27 मई से जब से ओबामा प्रशासन ने बस्तियों के मामले में इजरायल पर आक्रमण आरम्भ किया है उसने अपरिपक्वता दिखाई है, क्या प्रशासन को अच्छी तरह से जाना समझा तथ्य फिर से याद करना होगा कि जब वाशिंगटन मध्य पूर्व के अपने सहयोगियों पर रोब झाडने का प्रयास किया है वह असफल रहा है? इससे तो यही लगता है कि ऐसे मुद्दे को संघर्ष के लिये उठाना जिस पर कि इजरायल में आमसहमति है और जिन जेरूसलम की कोठियों पर इजरायलवादियों का दावा 1891 से ही है।
ओबामा प्रशासन कब तक अपनी भूल समझेगा और इसे दूर करेगा? तब तक कितनी क्षति हो चुकी होगी?