क्या मैं अकेला ऐसा व्यक्ति हूँ जो कि कल विश्वास नहीं कर पा रहा था और बार बार आँखें मलकर देख रहा था कि क्या यह सत्य है कि जब मिस्र की सरकार ने " गाजा के पुनर्निर्माण के लिये फिलीस्तीनी अर्थव्यवस्था के सहयोग में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन" की मेजबानी की?
इसका आयोजन शर्म अल शेख में हुआ और इसमें 71 राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया तथा 16 क्षेत्रीय , अंतरराष्ट्रीय व वित्तीय संगठनों ने भी भागीदारी की। इसका घोषित उद्देश्य 2.8 बिलियन अमेरिकी डालर एकत्र करना था जिनमें से कि 1.3 डालर इजरायल द्वारा हमास के विरुद्ध किये गये हाल के युद्ध में हुए विनाश के पुनर्निर्माण के लिये होगा ( शेष राशि फिलीस्तीनी अथारिटी को अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिये दी जायेगी) वास्तविक राशि जो सम्मेलन में एकत्र हुई वह 4.5 बिलियन अमेरिकी डालर रही और यदि पहले की उस राशि को जोड लिया जाये जिसे देने का वायदा किया गया है तो गाजा और फिलीस्तीनी अथारिटी के लिये पूरी राशि का कुल जोड 5.2 बिलियन अमेरिकी डालर हो जाता है जिसे कि दो वर्षों के समय में समयोजित किया जाना है। मिस्र के विदेश मंत्री ने अत्यंत प्रसन्नतापूर्वक इस राशि को अपेक्षा से परे बताया तो अमेरिका की विदेश मन्त्री हिलेरी क्लिंटन ने "इसे लाभदायक सम्मेलन कहा"
बडी आर्थिक सहायता में खाडी सहयोग परिषद द्वारा पाँच वर्षों में 1.65 बिलियन अमेरिकी डालर का योगदान तथा अमेरिकी सरकार का वचन कि 900 मिलियन अमेरिकी डालर जो कि अमेरिका के करदाताओं का धन होगा (इसमें से 300 मिलियन डालर गाजा के पुनर्निर्माण के लिये होगा) ।
मिस्र के हुस्नी मुबारक, फ्रांस के निकोसल सारकोजी . इटली के सिलवियो बर्लुस्कोनी , संयुक्त राष्ट्र संघ के बान की मून , अरब लीग के अमर मूसा तथा फिलीस्तीन अथारिटी के महमूद अब्बास ने भाषण दिये।
इस प्रदर्शन को लेकर मेरा विश्वास क्यों नहीं है: क्या वे सभी प्रमुख और विशिष्ट लोग विश्वास करते हैं कि गाजा में युद्ध अब अतीत की वस्तु बन गया है और पुनर्निर्माण का समय आ गया है?
उन्होंने दक्षिणी इजरायल से आने वाले समाचारों को नहीं पढा है जहाँ से कि प्रतिदिन युद्ध के समाचार आ रहे हैं। एदियोत अहारोनोट का 28 फरवरी का समाचार इस सम्बंध में प्रतिनिधित्व कर सकता है,
अशकेलेन में शनिवार को प्रातः काल जो राकेट गिरे वे नये व सुधरे हुए माडल के थे जो कि सामान्य रूप से गाजा से आने राकेट से अधिक विनाश की क्षमता रखते थे । एक राकेट ने शहर के दक्षिण में एक विद्यालय पर निशाना लगाया और इसकी रक्षा दीवार ध्वस्त करने में सफल रहा ...... विशेषज्ञों के अनुसार जिस श्रेणी का राकेट अशकेलेन पर गिरा वह इजरायल पर गिरे पाँच या छह स्थानीय रूप से निर्मित 170 मिलीमीटर के राकेट में से दो थे। दुर्लभ रूप से प्रयोग किये जाने वाले राकेट 14 किलोमीटर की दूरी वाले हैं जो कि अधिक विनाश की क्षमता रखते हैं जैसा कि शनिवार को हुए विनाश के वर्णन से स्पष्ट है।
इजरायल के राजदूत गैब्रियल शालेव ने संयुक्त राष्ट्र संघ को आधिकारिक शिकायत में कहा, " गाजा पट्टी से प्रायः 100 राकेट और मोर्टार का आक्रमण हुआ" 18 जनवरी को युद्धविराम की घोषणा के उपरांत या प्रत्येक दो दिन पर। इनकी संख्या बढ रही है अकेले 1 मार्च को सेद्रात पर 12 राकेट दागे गये।
इन आक्रमणों की प्रतिक्रिया में इजरायल की कैबिनेट ने 1 मार्च को संकल्प लिया , " यदि गाजा पट्टी से गोलीबारी जारी रही तो सुरक्षाबलों की ओर से कष्टपूर्ण , सशक्त तथा कठोर कदम उठाया जायेगा" । मनोनीत प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने इसे प्रतिध्वनित करते हुए यूरोप के नेताओं से कहा कि मैं एक मुस्कान के लिये इजरायल की सुरक्षा की बलि नहीं चढा सकता।
(सउदी विदेश मंत्री सउद अल फैसल ने अप्रत्याशित रूप से सहमति जताते हुए कहा कि जब तक वहाँ सुरक्षा स्थापित नहीं होती तब तक गाजा का पुनर्निर्माण कठिन और मूर्खतापूर्ण होगा)
आखिर ये आर्थिक सहायता देने वाले देश कर क्या रहे हैं, युद्ध के मध्य में अपनी उच्चस्तरीय पुनर्निर्माण की योजना के साथ आ गये? मेरा अनुमान है कि वे प्रकारांतर से जेरूसलम से कह रहे हैं कि गाजा पर पुनः आक्रमण न करे, क्योंकि ऐसा करने से उसे आर्थिक सहायता देने वाली सरकारों की नाराजगी मोल लेनी होगी जिसमें कि निश्चित रूप से ओबामा प्रशासन भी शामिल है।
इस प्रकार आतार्किक होना इजरायल की सुरक्षा की अवहेलना है। ब्रिटेन की लेबर सरकार के अंतरराष्ट्रीय विकास सचिव डगलस एलेक्जेंडर का रुख देखिये जिन्होंने कि गाजा में विद्यालय और अस्पताल निर्मित करने के लिये 30 मिलियन यूरो का वचन दिया है। उनका कहना है, " सामानों की आपूर्ति पर कठोर नियंत्रण को ढीला करने की आवश्यकता है" । उसके बाद उनकी माँग है, " इजरायल को सही चीज करनी चाहिये और जो स्त्री, बच्चे कष्ट उठा रहे हैं उन तक सामान पहुँचना चाहिये" ।
अत्यंत मानवीय श्रीमान एलेक्जेंडर परंतु उन्होंने इस बात की अवहेलना कर दी कि इजरायल को लगता है कि हमास उन सामग्रियों को अपने उपयोग में लेकर स्टील , कंक्रीट तथा अन्य आयातित सामग्री से और अधिक सुरंग, बंकर और राकेट बनायेगा।
हुस्नी मुबारक को हमास को चेतावनी देनी चाहिये कि वह दानदाताओं के आश्वासन को युद्ध की विजय न माने परंतु निश्चित ही वह सम्भवतः ऐसा ही करेगा। अमेरिका के रेप्रेजेंटेटिव मार्क किर्क ( इलिनोयस के रिपब्लिकन) ने सही कहा है, " इस क्षेत्र के लिये 900 मिलियन अमेरिकी डालर देना और फिर हम कहें कि हमास केवल 10 प्रतिशत ही चुरा पाया तो भी हम ईरान के बाद हमास के सबसे बडे आर्थिक सहायता देने वाले हो गये" ।
तो इसका अर्थ है कि क्लिंटन के शब्दों में, " इजरायल और इससे अरब पडोसियों के मध्य शानदार शांति" को निर्मित करने के नारे तले दानदाता राज्य केवल इजरायल को राकेट से स्वयं को बचा पाने की सुरक्षा से दूर कर रहे हैं परन्तु वे हमास के लिये सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं।
तो क्या यह नासमझी है या झूठ ? मुझे बाद वाली बात लगती है क्योंकि कोई भी इतना मूर्ख नहीं है।