एक हिला देने वाले संयोग से ईरान के प्रति विद्रोह की दो पूरी तरह पृथक पृथक अभिव्यक्ति शनिवार 20 जून को दो महाद्वीपों में सामने आयी। उनके मध्य इस्लामी गणराज्य ईरान को अद्वितीय चुनौती का सामना करना पडा।
एक विरोध ईरान की सडकों पर हुआ जहाँ कि हजारों ईरानी जो कि मजहबी उत्पीडन से तंग आ चुके हैं और उन्होंने सर्वोच्च नेता अली खोमैनी के उस आदेश का पालन करने से इंकार कर दिया कि वे राष्ट्रपति महमूह अहमदीनेजाद द्वारा अपने मुख्य प्रतिद्वंदी मीर हुसैन मौसावी को भारी अंतर से दी गयी पराजय को स्वीकार कर लें।
प्रदर्शनकारियों और मौसावी दोनों ने ही साहस का प्रदर्शन किया परंतु प्रदर्शनकारी मौसावी से कहीं अधिक क्रांतिकारी थे। मौसावी की वेबसाइट ने घोषणा की कि वह ईरान में अपने " भाइयों" से किसी प्रकार का टकराव नहीं चाहते और न ही वह अयातोला खोमैनी द्वारा स्थापित " पवित्र संस्था" को चुनौती देना चाहते हैं। इसके बजाय वेबसाइट ने घोषित किया, " हम पथभ्रष्टता और असत्य से लड रहे हैं । हम सुधार लाना चाहते हैं ताकि हम सही मायनों में इस्लामी गणतंत्र के विशुद्ध सिद्धांतों की ओर लौट सकें"
यह भीरूता सडक पर उतरे प्रदर्शनकारियों के साहसिक तेवर से पूरी तरह विरोधाभाषी है जिसमें उन्होंने नारा लगाया, " तानाशाह मुर्दाबाद " और यहाँ तक कि " खोमैनी मुर्दाबाद" जिसमें कि शासन का शास्वत नारा प्रतिध्वनित हो रहा था कि, " अमेरिका मुर्दाबाद" और " इजरायल मुर्दाबाद" , और इसमें खोमैनी की " पवित्र व्यवस्था" को केवल ठीक करने की मन्शा नहीं थी वरन मुल्लाओं ( ईरान के मौलवियों ) द्वारा संचालित शासन को समाप्त करने की आकाँक्षा भी थी।
दूसरा विरोध पेरिस के उत्तर में एक प्रदर्शनी विशाल कक्ष में हुआ जहाँ कि सबसे बडा और सबसे अधिक संगठित ईरानी विरोधी गुट मुजाहिदीन ए खल्क या पीपुल्स मुजाहिदीन आफ ईरान ने छोटे गुटों से हाथ मिलाकर अपनी वार्षिक सभा की। इसमें मेरे सहित हजारों लोग शामिल हुए।
सभा का सबसे भावनात्मक क्षण वह था कि जब उत्सुक भीड को पता चला कि उनके शांतिपूर्ण सहयोगी जो ईरान में पथ संचलन कर रहे थे उन्हें मारा गया या घायल किया गया। उसी क्षण फ्रांस में इस स्वतंत्र सभा ने ईरान द्वारा इन घटनाओं का इंकार करने का विरोध किया। उसी दिन बाद में शासन की एमईके को लेकर भयंकर भय की पुष्टि हुई जब उपपुलिस प्रमुख अहमद रज़ा रादन ने एमईके को " ठग" कहा और उसे अपनी ही सरकार द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शन के प्रति की जा रही हिंसा के लिये दोषी बताया।
एमईके ने फ्रांस में अत्यंत प्रभावी प्रदर्शन किया जैसा कि इसने 2007 में अपनी अंतिम बैठक में किया था जिसमें कि मैं शामिल हुआ था जिसमें विशिष्ट आगंतुक , टीवी पर दिखाने के लिये तथा इसके नेता मारयाम रजावी द्वारा एक शक्तिशाली व्याख्यान। सडक पर हो रहे प्रदर्शन की भाँति उन्होंने भी खोमैनी शासन के समाप्ति की माँग की। अपने 4,000 शब्दों के व्याख्यान में उन्होंने अमेरिका और इजरायल पर कोई आक्रमण नहीं किया तथा ईरान के राजनीतिक जीवन में सामान्य षडयंत्रकारी सिद्दांत को भी इससे अलग रखा। इसके बजाय उन्होंने
- शासन की इस बात की खिल्ली उडाई कि विरोध प्रदर्शन को पश्चिमी एजेंट का कार्य बताया जा रहा है।
- इस बात की शिकायत की कि प्रदर्शनकारियों के शरीर को अमेरिकी ध्वज में लपेट कर फेंका गया।
- शासन द्वारा इराक में किये जा रहे अपराधों की निंदा की तथा लेबनान , फिलीस्तीन अथारिटी और अफगानिस्तान में आतंकवाद के निर्यात की भी निंदा की ।
इस बात की भविष्यवाणी की कि इस्लामी गणराज्य ईरान का " अंत आरम्भ हो गया है" ।
- ओबामा प्रशासन द्वारा शासन को एक और अवसर देने पर उसकी आलोचना की और इस बात को रखा कि बुश प्रशासन ने इसके प्रतिनिधियों से 28 बार भेंट की परंतु कोई लाभ नहीं हुआ।
रजावी ने यह बात सही कही कि तेहरान के प्रति अमेरिका की नीति कठोर होनी चाहिये, अभी हाल के साक्षात्कार में इसकी व्याख्या की कि यदि, "पश्चिम परमाणु कार्यक्रम को रोक सकता है यदि यह मुल्लाओं के सामने खडे हो जाये"
दुख की बात है कि मुल्लाओं के सामने डट कर खडा होना कभी भी अमेरिका की नीति नहीं रही। जिमी कार्टर ने झुककर उनका शासन स्वीकार कर लिया। रोनाल्ड रीगन ने उन्हें हथियार भेजा। उनका साथ पाने के लिये बिल क्लिंटन ने एमईके को आतंकवादी सूची में डाल दिया। जार्ज डब्ल्यू बुश ने उनके परमाणु हथियार प्रकल्प को बीच में नहीं ध्वस्त किया। अब बराक ओबामा विरोधियों से दूरी बनाकर परमाणु हथियार कार्यक्रम में तेहरान से रियायत प्राप्त करने की आशा सँजोये हैं।
इसके बजाय ईरान में मचा तूफान कुछ साहस और नये प्रयोग की माँग करता है। अब यह समय है कि अंत में कठोर अमेरिकी नीति सामने आये जो कि उन लोगों को प्रेरित करे जो कि, " खोमैनी मुर्दाबाद" का नारा लगा रहे हैं और इसके साथ ही ईरान के शासक वर्ग के मन में एमईके को लेकर जो अतिशयोक्तिपूर्ण भय समाया है उसका लाभ ले सके ( पहला कदम तो यह कि एमईके को आतंकवादी सूची से हटा दें)
जैसा कि रेप्रेजेंटेटिव पीटर होक्स्ट्रा ( मीकियाँग के रिपब्लिकन) ने पाया कि यदि मुल्ला शीघ्र ही परमाणु हथियार तैनात कर लेंगे तो यह तत्काल प्रभाव से आवश्यक है कि ईरान में शासन का परिवर्तन हो जाये। ईरान की सडकों पर और यूरोप के विशाल कक्ष में अत्यंत महत्वपूर्ण और विजय की सम्भावना से भरा समय निर्मित हो रहा है जो कि केवल पश्चिम के मूल्यों को ही नहीं वरन पश्चिम के हितों का भी प्रतिनिधित्व करता है।