इजरायल के लोग अमेरिका की गुप्तचरी कर रहे हैं यह बात एक बार फिर समाचारों में है :यहूदी राज्य के नेताओं ने अभी हाल में जोनाथन पोलार्ड की रिहाई का अनुरोध किया है तथा एसोसियेटेड प्रेस ने अत्यन्त चेतावनीपूर्वक इस बात की सूचना दी है कि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के अधिकारी इजरायल को " एक सही खुफिया प्रतिरोध खतरा" स्वीकार करते हैं। इस आक्रोश से तो यही प्रतीत होता है मानों कहा जा रहा है: उनका ऐसा करने का साहस कैसे हुआ! वे अपने आप को क्या समझते हैं?
परंतु सहयोगियों की गुप्तचरी करना चलन में है, यह दोतरफा सडक है। बहुत अधिक इसमें उलझने से पूर्व अमेरिका को भी समझना चाहिये कि वाशिंगटन भी निर्दोष नहीं है। रीगन से लेकर ओबामा तक अमेरिका की सरकारों ने इजरायल के विरुद्ध गुप्तचरी के बडे स्तर पर प्रयास किये हैं। उदाहरण के लिये:
इजरायल की सेना खुफिया शाखा में एक पूर्व मेजर योसेफ अमित ने सी आई ए के लिये वर्षों तक गुप्तचरी की, 1986 में गिरफ्तार होने तक लेबनान के प्रति नीति और सेना की गतिविधि पर अपना ध्यान केंदित कर यह कार्य किया ।
- 1993 से 96 तक वाशिंगटन में इजरायल के राजदूत इतामार राबिनोविच ने रहस्योद्घाटन किया कि उनके कार्यकाल में अमेरिका की सरकार ने इजरायल के कूटवाक्य को खोज लिया था और , " अमेरिका दूतावास की नियमित फोनलाइन को निश्चित रूप से टेप कर रहा था" और यहाँ तक कि इसकी सुरक्षित लाइन भी। उनका कहना है कि इसके परिणामस्वरूप , " प्रत्येक रसपूर्ण टेलीग्राम के लीक होने का भय था। हम उनमें से कुछ ही भेजते थे। कुछ अवसरों पर तो मैं स्वयं इजरायल आकर मौखिक रूप से रिपोर्ट देता था" ।
- हायफा से 11 मील दूर इजरायल के जलक्षेत्र में नवम्बर 2004 में एक रहस्यपूर्ण छोटाजलपोत अमेरिकी निकला जिसने कि जून 1967 के USS Liberty's covert mission की यादें ताजा कर दीं।
खुफिया मामलों के विशेषज्ञ इजरायल पत्रकार योसी मेलमान ने पाया कि तेल अवीव में अमेरिकी सेना के सम्बद्ध अधिकारी परोक्ष रूप से सूचनायें एकत्र करते थे उनके अनुसार इजरायल के अधिकारियों को विश्वास था कि इजरायल के प्रमुख अधिकारियों तथा विदेशी मिशन की बातचीत पर नजर रखते थे। उनके निष्कर्ष के अनुसार अमेरिका की गुप्तचरी से "इजरायल की नीतियों के गहरे गोपनीय मामले बाहर आये"
- इजरायल के गुप्तचर विभाग का आधिकारिक इतिहास 2008 में प्रकाशित हुआ( जैसा कि रायटर्स ने बताया) कि अमेरिका की गुप्तचर एजेंसियों ने तेल अवीव में दूतावास के सहारे इलेक्ट्रानिक आधार पर गुप्तचरी की और दूतावास के स्टाफ को गुप्त सूचनायें एकत्र करने का प्रशिक्षण दिया।
शिन बेट के सेवानिवृत्त गुप्तचर अधिकारी बराक बेन जुर ने उसी संस्करण में लिखा, " अमेरिका इजरायल की गैर परम्परागत क्षमता को जानने का प्रयास कर रहा था और साथ ही कि निर्णय लेने के स्तर पर क्या चल रहा है"
- 31 अक्टूबर ,2008 को ( विकीलीक्स द्वारा जारी) विदेश मंत्री कोंडोलिसा राइस के नाम से जारी 5,000 शब्दों के घोषणा पत्र में उनकी सूची थी जिनके बारे में राज्य को सूचना चाहिये थी। इस बेहद लम्बी सूची में , " आतंकवादी आक्रमणों के बदले में की जाने वाली सैन्य कार्रवाई को निर्धारित करने के लिये इजरायल की निर्णय लेने की प्रक्रिया की खुफिया जानकारी", " पश्चिमी तट में " बस्ती और उसके विकास" में इजरायल की सरकार की भूमिका का साक्ष्य", हमास के विरुद्ध इजरायल सुरक्षा सेना की कार्रवाई का विवरण, " जिसमें कि लक्ष्य बनाकर की गयी हत्यायें वे तरीके और तकनीक जिन्हें कि थल सेना और वायु सेना ने प्रयोग किया", " सरकार और सैन्य अधिकारियों सहित खुफिया और सुरक्षा सेवाओं द्वारा प्रयोग की जाने वाली सूचना तकनीक की सारी जानकारी"
- राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने बडी मात्रा में हिब्रू भाषियों को लगाया जो कि इजरायल के सम्प्रेषण ( कम्युनिकेशन) को सुनकर बीच में रोकते थे। 2009 में इसके एक सदस्य शामाय के लिबोविज द्वारा सूचना लीक करने को लेकर उत्पन्न हुई विधिक समस्या से रहस्योद्घाटन हुआ कि उसने वाशिंगटन में इजरायल दूतावास के हिब्रू भाषा के वर्तालाप को अग्रेजी में भाषांतरित किया था, इससे पूरी तरह राबिनोविच की बात सत्य सिद्ध होती है।
पर्यवेक्षकों ने कुछ आवश्यक निष्कर्ष निकाले हैं: दो बार के प्रधानमंत्री यित्जाक राबिन ने कहा , " प्रत्येक कुछ वर्षों में इजरायल को पता चलता है कि अमेरिका की कोई और गुप्तचर समिति राज्य के विरुद्ध गठित हो गयी है" । इजरायल के एक गुप्तचर प्रतिरोध एजेंट ने कहा कि , " अमेरिका हर स्तर पर और हर समय हमारी गुप्तचरी करने का प्रयास करता है" । अमेरिकी लेखक और Intel Wars (2012) के लेखक मैथ्यू एम एड का मानना है कि वाशिंगटन ने तो " इजरायल की गुप्तचरी 1948 में इसकी स्थापना से पूर्व ही आरम्भ कर दी थी और इजरायल ने भी सदैव हमारी गुप्तचरी की"
जैसा कि एड ने संकेत किया कि गुप्तचरी का कार्य दोनों ओर समान है। यह सामान्य बात है जिसे कि दोनों पक्षों ने आम तौर पर स्वीकार कर लिया है। यह कोई चिंता की बात नहीं है जबकि ये दोनों सहयोगी अनेक चीजों में एक जैसे हैं जिसमें कि नैतिक मूल्य से विचारधारागत शत्रु तक और वे अनेक अवसरों पर साथ कार्य भी करते हैं। इसलिये पारस्परिक गुप्तचरी के कुछ बडे परिणाम भी हैं।
यदि उन्हें गुप्तचरी किसी भी प्रकार करना ही है तो क्यों न इजरायल को उस एंग्लोफोन "five eyes" grouping में शामिल कर लिया जाये जो कि एक दूसरे के प्रति गुप्तचरी न करने का वचन देता है? क्योंकि इजरायल युद्ध की स्थिति में है जैसा कि शिन बेट के बेन जुर ने कहा है, " अंत में अमेरिका आश्चर्यचकित नहीं होना चाहता यहाँ तक कि हमसे भी नहीं" । इसी प्रकार इजरायल के लोग भी आश्चर्यचकित नहीं होना चाहते यहाँ तक कि अमेरिका से भी नहीं।
इसलिये इस सम्बंध में हमें परिपक्व होना चाहिये और शीतल रहना चाहिये। राज्य गुप्तचरी करते हैं यहाँ तक कि अपने सहयोगियों की भी । चलिये ठीक है।