पिछले सप्ताह अपने राजनीतिक दल के मनोनयन को स्वीकार करने पर अपने भाषण में राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन प्रत्याशी मिट रोमनी ने कहा, " राष्ट्रपति ओबामा ने इजरायल जैसे अपने सहयोगियों को संकट में डाल दिया है" इसके लिये उन्होंने अत्यंत प्रचलित मुहावरे का प्रयोग किया जो कि स्वार्थी कारण के लिये मित्र का त्याग करने के लिये किया जाता है। रोमनी इस मुहावरे का प्रयोग पहले भी कर चुके हैं मई 2011 May 2011 और जनवरी 2012 Jan. 2012 में। ओबामा की यह आलोचना रिपब्लिकन द्वारा की जाने वाली उनकी आलोचना की परिपाटी के अनुकूल ही है। विशेष रूप से अन्य राष्ट्रपतीय प्रत्याशियों ने भी ओबामा और इजरायल के सम्बंध को लेकर इसी मुहावरे का प्रयोग किया था जिसमें कि मई 2011 में हरमन केन ने, रिक पेरी ने सितम्बर 2011 में, न्यूट गिंग्रिच ने जनवरी 2012 में तथा रिक्क सैंटोरम ने फरवरी 2012 में ।
इन रिपब्लिकनों द्वारा इजरायल के सम्बंधों को लेकर ओबामा पर किये जाने वाले आक्रमणों का अमेरिका की विदेश नीति पर व्यापक प्रभाव होने वाला है। पहला, मध्य पूर्व से सम्बन्धित अनेक मुद्दों में इजरायल और केवल इजरायल की ऐसा विषय है जिसकी अमेरिका की चुनावी राजनीति में स्थाई भूमिका है, यह न केवल यहूदियों वरन अरब, मुस्लिम , धर्मान्तरणवादी ईसाई , परम्परावादी , उदारवादी मतों को भी प्रभावित करता है जो कि राष्ट्रपति को अपना मत देने जाते हैं।
दूसरा, इजरायल के प्रति व्यवहार छ्द्म रूप से मध्य पूर्व के प्रति अन्य मुद्दों के प्रति भी भाव को दर्शाता है : यदि मैं इजरायल के प्रति आपका दृष्टिकोण जानता हूँ तो मुझे अन्य विषयों जैसे ऊर्जा नीति, इस्लामवाद, इराक और अफगानिस्तान में युद्ध , एकेपी नेतृत्व के तुर्की , ईरान में परमाणु की तैयारी , लीबिया में हस्तक्षेप, मिस्र में मोहम्मद मोर्सी के राष्ट्रपतित्व तथा सीरिया में गृह युद्ध जैसे विषयों पर आपके विचार का आभास अच्छे से मिल जायेगा।
तीसरा, रिपब्लिकन द्वारा ओबामा की आलोचना से इजरायल के प्रति व्यवहार का पता लगाने की ओर मूलभूत परिवर्तन का संकेत होता है। किसी समय मजहब मुख्य तत्व था परंतु अब यहूदी, कट्टर इजरायलवादी और ईसाई कम संलिप्त है। इसके विपरीत आज निर्णायक दृष्टिकोण राजनीतिक भावभंगिमा है। इजरायल के प्रति किसी का विचार जानने के लिये किसी से प्रश्न पूछने की आवश्यकता नहीं है कि , " आपका मजहब क्या है? वरन " आप राष्ट्रपति से क्या चाहते हैं?" एक नियम के तौर पर परम्परावादी इजरायल के प्रति अधिक गर्मजोशी दिखाते हैं और उदारवादी कहीं ठन्डे दिखते हैं। जनमत सर्वेक्षणों से दिखता है कि परम्परावादी रिपब्लिकन अधिक कट्टर इजरायलवादी हैं और इनके उपरांत सामान्य रिपब्लिकन का क्रम आता है डेमोक्रेट और उदारवादी डेमोक्रेट का क्रम सबसे अंत में आता है। सत्य है न्यूयार्क शहर के पूर्व मेयर एड कोच ने भी सितम्बर 2011 में कहा था कि " ओबामा ने इजरायल को संकट में डाल दिया है" परंतु कोच डेमोक्रेट की वृद्ध पीढी का प्रतिनिधित्व करते हैं। राजनीतिक दलों के मध्य अरब इजरायल संघर्ष को लेकर मतभेद आर्थिक और सांस्कृतिक मुद्दों से कहीं अधिक गहरा होता जा रहा है।
चौथा, जैसे जैसे इजरायल डेमोक्रेट और रिपब्लिकन को विभाजित करने का मुद्दा बनता जा रहा है मेरी भविष्यवाणी है कि इजरायल के प्रति दलीय आधार से परे जो समर्थन था और जिसने अमेरिकी राजनीति में और अमेरिकन इजरायल पब्लिक अफेयर्स कमेटी जैसे संगठनों में इजरायल को अभूतपूर्व स्थान प्रदान किया उसमें भी कमी आयेगी। मेरी यह भी भविष्यवाणी है कि रोमनी और पाल रयान मुख्यधारा के परम्परावादी के तौर पर ऐसे प्रशासन का नेतृत्व करेंगे जो कि इजरायल के लिये अब तक का सबसे गर्मजोशी का प्रशासन होगा और यह बिल क्लिंटन और जार्ज डब्ल्यू बुश दोनों को कहीं पीछे छोड देगा। इसके विपरीत यदि ओबामा पुनः निर्वाचित होते हैं तो इजरायल के प्रति किसी भी राष्ट्रपति द्वारा सबसे ठंडा व्यवहार किया जायेगा।
ओबामा का पिछले साढे तीन वर्षों में इजरायल के प्रति जो व्यवहार रहा है विशेष रूप से फिलीस्तीन और ईरान के मामलों में उसके आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है लेकिन इससे भी अधिक वर्ष 2004 में चुनावी राजनीति में आने से पूर्व उनके सम्बंध में जो जानकारी उपलब्ध है विशेष रूप से घोर इजरायलविरोधियों के साथ उनके सम्पर्क। उदाहरण के लिये ओबामा ने 1998 में एडवर्ड सेड को अत्यंत विनम्रता पूर्वक सुना और वर्ष 2003 में एक पार्टी में फिलीस्तीन लिबरेशन आर्गनाइजेशन के पूर्व कर्मचारी राशिद खलीदी के साथ शान्तिपूर्वक बैठे जिसमें कि इजरायल को फिलीस्तीन के विरुद्ध आतंकवाद का आरोपी बताया गया। ( इसके विपरीत रोमनी 1976 से ही बिनयामिन नेतन्याहू के 1976 मित्र हैं)
एक और रहस्योद्घाटन है कि शिकागो स्थित इजरायल विरोधी अतिवादी अली अबूनिमाह ने ओबामा के साथ 2004 के आरम्भ में अपने अंतिम वार्तालाप के बारे में लिखा और यह पत्र अमेरिकी सीनेट के लिये डेमोक्रेट मनोनयन के लिये आरम्भिक चरण के मध्य लिखा गया था। अबूनिमाह ने लिखा कि ओबामा ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया और फिर आगे कहा, "मुझे खेद है कि मैंने फिलीस्तीन के अधिकार के सम्बंध में अधिक नहीं कहा है परन्तु हम कठिन आरम्भिक दौड में हैं मुझे आशा है कि कि जब चीजें अधिक सहज होंगी तो अधिक मुखर हो सकूँगा" अबूनिमाह ने शिकागो ट्रिब्यून में जब इजरायल पर आक्रमण किया तो ओबामा ने उन्हें प्रोत्साहित करते हुए कहा . " अच्छे कार्य को जारी रखो"
यदि मार्च 2012 में रूस के राष्ट्रपति देमेत्री मेडडेव के साथ माइक्रोफोन से अलग जो कुछ ओबामा ने कहा ( कि यह मेरा अंतिम चुनाव है और चुनाव के उपरांत मैं अधिक लचीला हो जाऊँगा ) उसे इस संदर्भ के साथ जोडें और ओबामा द्वारा नेतन्याहू को नापसंद करने से संदर्भ से भी जोडें तो यह पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि यदि ओबामा 6 नवम्बर को निर्वाचित होते हैं तो उनके लिये चीजें अधिक सहज हो जायेंगी और वे तथाकथित फिलीस्तीन के लिये अधिक मुखर होंगे। इसके उपरांत इजरायल का संकट आरम्भ होगा।