जब लगभग 30 देशों में मुसलमान विभिन्न प्रकार की पश्चिम विरोधी हिंसा में लिप्त होकर सडकों पर उतरते हैं तो कुछ महत्वपूर्ण बात अवश्य होती है। इसका क्या अर्थ है इस पर कुछ प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है:
रश्दी नियम का विस्तार हो गया है: 1989 में अयातोला खोमैनी द्वारा सलमान रश्दी के विरुद्ध मृत्युदंड का जो फतवा जारी किया गया था वह अब अधिक फैल चुका है और प्रतीत होने वाले अपमान के विरुद्ध इस्लामवादियों की सामान्य प्रतिक्रिया बन चुका है। खोमैनी ने पश्चिम को यह बताकर कि इस्लाम के सम्बंध में क्या कहा जा सकता है और क्या नहीं? इनके ऊपर इस्लामी कानून ( शरियत )थोप दिया।
हाल की हिंसा के चक्र में जो प्रदर्शन और हिंसा हुए वे सभी पश्चिमी भवनों के विरुद्ध ( कूटनीतिक, व्यावसायिक , शैक्षिक) अफगानिस्तान, बहरीन, बांग्लादेश, चीन, मिस्र, भारत,इजरायल, फिलीस्तीन अथारिटी, कुवैत,लेबनान, लीबिया,मलेशिया, मोरक्को, नाइजीरिया, पाकिस्तान, कतर, सूडान, सीरिया ( अमेरिका समर्थक विद्रोहियों सहित),ट्यूनीशिया, तुर्की तथा यमन सहित आस्ट्रेलिया, बेल्जियम , फ्रांस , जर्मनी और ब्रिटेन में हुए। अभी तक कुल 30 लोगों को अपने जीवन से हाथ धोना पडा है। ईरान और मिस्र की सरकारें उस फिल्म Innocence of Muslims निर्माता तक पहुँचना चाहती हैं , जिसने कि मुहम्मद विरोधी फिल्म यू ट्यूब पर प्रदर्शित की और उनके अनुसार जो कि हिंसा का कारण है।
इस्लाम विरोधी भावना को भडकाने का प्रसार हो गया है: रश्दी ने इसी सप्ताह प्रकाशित पुस्तक में बताया है कि उन्हें कुछ भी पता नहीं था कि वह किस रास्ते पर चल रहे हैं । इसी प्रकार अन्य लोग जैसे कि अमेरिकी सैनिकों ने 2012 के आरम्भ में कुरान को जलाया और दुर्घटनावश इस्लामवादियों को छेड दिया। परंतु फ्लोरिडा के पादरी टेरी जोन्स , Innocence of Muslims के पीछे के गुट ने, साथ ही फ्रांसीसी साप्ताहिक पत्रिका Charlie Hebdo, तथा कनाडा और स्पेन के इस्लाम विरोधी गुटों ने तो यह जानबूझकर मुसलमानों को चिढाने के लिये किया। तो क्या इस्लामवादियों ने और इस्लामविरोधी कार्यकर्ताओं ने परस्पर अन्योन्याश्रित सम्बंध विकसित कर लिया है जहाँ कि दोनों एक दूसरे को उकसाते हैं।
कुछ व्यक्ति सरकारों को बंधक बना लेते हैं: जब जोंस ने वर्ष 2010 में कुरान को जलाने के बारे में बोला तो उनसे अफगानिस्तान में अमेरिकी कमांडर , विदेश मन्त्री, रक्षा मंत्री तथा अमेरिका के राष्ट्रपति ने इस कार्यक्रम को न करने का आग्रह किया। पिछ्ले सप्ताह संयुक्त चीफ आफ स्टाफ के अध्यक्ष ने फोन से उनसे बात की। इससे पूर्व कभी भी कुछ लोग इस प्रकार नीतियों को चलाते नहीं देखे गये। फ्रांस के व्यंग्यकार जीन जैक्स सेम्पे ने इसी को आधार बनाकर 1989 में एक कार्टून बनाया था कि रश्दी अपने टाइपराइटर पर कार्य कर रहे हैं और पंद्रह पुलिसकर्मी इस्लामवादियों से उनकी रक्षा कर रहे हैं इसी बीच एक पुलिसकर्मी वाकी टाकी से सूचित करता है कि "हवाई अड्डे को बंद कर दीजिये वह दूसरा भाग लिखना चाहते हैं" । हालाँकि रश्दी ने दूसरा भाग कभी नहीं लिखा परंतु जोंस बार बार चर्चा में आ रहे हैं।
सरकारें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना चाहती हैं: जोंस को फोन करने से अधिक धमकी भरा यह है कि व्हाइट हाउस ने गूगल और यू ट्यूब के स्वामी को सुझाव दिया कि वे इस बात की पुनर्समीक्षा करें कि क्या ( इनोसेंस आफ मुस्लिम्स) से उपयोग करने की शर्त का उल्लंघन होता है। ( गूगल ने चार देशों को अपवाद बनाकर इसे जारी रखा है) । हालाँकि इस्लामवादियों को और भडकाकर अमेरिका के लोगों के जीवन को खतरे में न डालने का तर्क उचित प्रतीत होता है परन्तु ऐसे तुष्टीकरण से अधिक आक्रोश, भय और हिंसा को ही बढावा मिलेगा।
सभ्यता के विलगाव का उभार: प्रसिद्ध सभ्यता का संघर्ष अस्तित्व में नहीं है; वास्तव में सभ्यता के विलगाव की भूमिका बन रही है। इसके अनेक प्रकार हैं, पश्चिम में केवल मुस्लिम क्षेत्र से लेकर विवाह, अर्थव्यवस्था , शिक्षा, संस्कृति , मीडिया , मनोरंजन , यात्रा, वेबसाइट और यहाँ तक कि समय की स्थिति भी। उदाहरण के लिये आने वाले समय में ट्यूनीशिया में समुद्र के किनारे कितने पर्यटक धूप का आनंद लेंगे या मिस्र में प्राचीन परम्परा की खोज करेंगे।
" ओबामा हम ओसामा को प्रेम करते हैं" :आस्ट्रेलिया में सिडनी में एक भीड ने यही नारा लगाया। जबकि अफगान, भारत और पाकिस्तान में इस्लामवादियों ने बराक ओबामा के पुतले जलाये। ओबामा के प्रति यह घृणा उल्लेखनीय है वह भी इस्लाम के साथ ओबामा के बाल्यकाल का सम्बंध , वर्ष2007 की यह भविष्यवाणी कि उनके राष्ट्रपतित्व से मुसलमानों के साथ सम्बंधों में सुधार होगा, राष्ट्रपति बनने के उपरांत मुस्लिम जनमानस को विजित करने के उनके अथक प्रयास और आरम्भिक दौर में मुसलमानों के उनके प्रति सहयोगी भाव को देखते हुए यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है। वास्तव में उनकी स्थिति में ऐसी गिरावट आयी है कि उनकी अलोकप्रियता का स्तर जार्ज डब्ल्यू बुश से भी अधिक हो गया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव पर इसका कम प्रभाव होगा: जनमत सर्वेक्षण यह दिखाते हैं (Polls) कि पिछले छह माह में शायद ही ओबामा और मिट रोमनी के प्रति मतदाताओं के दृष्टिकोण में कोई परिवर्तन हुआ है , इससे यही प्रतीत होता है कि इस्लामवादी हिंसा का चुनाव परिणाम पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं रहने वाला है।
पश्चिमी संस्कृति संतुलन की स्थिति में है: सूचना सम्प्रेषण के विस्तार और मध्य पूर्व सरकारों की कमजोर स्थिति के चलते इस्लामवादी आकाँक्षायें बढ रही हैं और इसने पश्चिमी लोगों के समक्ष एक अस्तित्व का संकट खडा कर दिया है। क्या हम इस चुनौती के सामने अपनी ऐतिहासिक सभ्यता को बनाये रख पायेंगे या फिर हम मुस्लिम आधिपत्य को स्वीकार करते हुए द्वितीय श्रेणी का धिम्मी स्तर ग्रहण कर लेंगे?