पिछले सप्ताह मध्य पूर्व के दो प्रमुख लोग उत्तरी अमेरिका के दो कैम्पसों में मुख्य रूप से अरब इजरायल संघर्ष के विषय पर वक्तव्य देने के लिये पहुँचे। दोनों को विरोध का सामना करना पडा। एक तो अपना वक्तव्य देने में सफल रहे जबकि दूसरे को सफलता नहीं मिली। यह कहानी निम्नलिखित है।
सोमवार को इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू मोंट्रियल के कोंकोर्डिया विश्वविद्यालय में इस बात की व्याख्या करने गये कि " आखिर इस युद्ध ( आतंकवाद ) को बिना देर किये जीतने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प क्यों नहीं है?" । परंतु वे कोंकोर्डिया विश्वविद्यालय में अपना व्याख्यान नहीं दे सके क्योंकि हजारों की संख्या में इजरायल विरोधी प्रदर्शनकारियों ने छोटी मोटी दंगों की स्थिति निर्माण कर दी और उन्हें बोलने से रोकने का प्रयास किया। उन्होंने अपने चिन्हों में लिख रखा था , "बेंजामिन नेतन्याहू मोंट्रियल आ रहे हैं । हम उन्हें स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि उनका यहाँ स्वागत नहीं है"
इजरायल विरोधी शक्तियों ने लगभग शारीरिक रूप से सम्भावित श्रोताओं पर आक्रमण किया।कोंकोर्डिया की धर्म की विषय की महिला प्रोफेसर ने अपनी आपबीती कही कि किस प्रकार उनमें से कुछ ने " मेरे सीने पर घूँसे चलाये"
उन्होंने एक शीशे की खिडकी तोड दी और पुलिस पर चीजें फेंकी। उन्होंने निचली बालकनी से पुलिस पर फर्नीचर फेंके। जैसा कि टोरंटो के ग्लोब एंड मेल ने लिखा है , " दोपहर तक कोंकोर्डिया के प्रमुख भवन में उलटी हुई कुर्सियाँ , टूटे फर्नीचर ,जले हुए कागज की भरमार थी"
पुलिस का कहना है कि वे नेतन्याहू की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त नहीं थे इस कारण उन्होंने कार्यक्रम रद्द कर दिया। जिसके बाद पास के मैकगिल विश्वविद्यालय के अरब नेता वसीम मोकाहल ने कहा, " यह व्यक्ति युद्ध अपराधी है। हम नहीं चाहते कि हमारा शहर और हमारे विश्वविद्यालय ऐसे युद्ध अपराधियों की शरणस्थली बने"
ऐसा पहली बार नहीं है कि नेतन्याहू को कैम्पस में बोलने से रोका गया है। नवम्बर 2000 में " ऐसे ही सैकडों दुष्ट प्रदर्शनकारियों ने" कैलीफोर्निया \ बार्कली विश्वविद्यालय में उनकी उपस्थिति को बाधित कर दिया था।
गुरुवार को यासिर अराफात की पूर्व सहयोगी और पूर्व प्रवक्ता हनान अशरावी कोलोराडो स्प्रिंग्स में कोलोराडो कालेज में " 11 सितम्बर के एक वर्ष उपरांत विषय" पर प्रमुख व्याख्यान देने गयी।
प्रदर्शकारियों को लगा कि अशरावी आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध में अमेरिका के शत्रुओं की ओर से हैं।उदाहरण के लिये अमेरिका की सरकार ने हमास को आधिकारिक रूप से आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है परंतु अशरावी ने कहा कि वे " हमास को आतंकवादी गुट नहीं मानतीं" साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि पश्चिमी तट में निवास करने वाले इजरायल के नागरिक फिलीस्तीनी प्रतिरोध के वैधानिक लक्ष्य हैं " अर्थात हिंसा के वैधानिक लक्ष्य।
11 सितम्बर के बाद के घटनाक्रम से सम्बंधित विषय पर कोलोराडो कालेज में अशरावी की आपत्तिपूर्ण उपस्थिति पर अनेक आपत्तियाँ उठायी गयीं। कोलोराडो राज्यपाल बिल ओवेंस ने अनेक लोगों की ओर से बोलते हुए कहा, "यह आक्रोश उत्पन्न करने वाला है कि ऐसी महिला को बुलाया गया जिसने कि मध्य पूर्व को विभाजित करने के लिये काफी कुछ किया और आतंकवाद की सराहना की" राज्य के दोनों अमेरिकी सीनेटर ने इस पर आपत्ति की। रुडोल्फ गिउलियानी ने तो कहा, " मैंने उसे नहीं बुलाया होता । इसे रद्द किया जाये"
परंतु उसने बिना किसी संदर्भ के अपना भाषण दिया। विरोध पूरी तरह अहिंसक रहा जो कि एकाधिक रूप से नारा लगाकर चिढाने से अधिक कुछ नहीं था और हाथों के कुछ पोस्टर और व्याख्यान के बाद उसका खंडन ( जो कि लेखक द्वारा दिया गया) ।
इन दो परस्पर विरोधी घटनाक्रम को लेकर कुछ निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं:
अरब इजरायल संघर्ष के दोनों पक्ष बहस की शर्तों को बदल देना चाहते हैं। इजरायल समर्थक पक्ष उन वक्ताओं को अवैधानिक कर देना चाहता है जो कि प्रभावी रूप से यहूदी राज्य को नष्ट करने की बात करते हैं। इजरायल विरोधी पक्ष चाहता है कि इजरायल से सहानुभूति रखने वाले वक्ताओं को रोका जाये।
दोनों ही घटनाक्रम विश्वविद्यालयों में व्याप्त जबर्दस्त समस्या की ओर संकेत करते हैं जिसे कि अबीगेल थर्न्स्ट्राम ने " स्वतंत्रता के सागर में उत्पीडन का टापू बताया है" । कोलोराडो में प्रशासन ने नैतिक रूप से मूर्खतापूर्ण कार्य किया और आतंकवाद के प्रति क्षमाभाव रखने वाले को सम्मानित किया। कोंकोर्डिया में लुंज पुंज रवैये के चलते कुछ दुष्ट लोगों के चलते स्वतंत्र भाषण को रोका गया।
इस घटनाक्रम से इजरायल समर्थक और इजरायल विरोधी कार्यकर्ताओं के परस्पर विरोधी चेहरे का भी दर्शन होता है जिसमें कि इजरायल समर्थक स्वीकार्य राजनीतिक और विरोधी घोर हिंसक हैं। इजरायल समर्थकों से इजरायल की सेना की संयमित कार्रवाई प्रतिबिम्बित होती है। दूसरा पक्ष उत्तरी अमेरिका के आत्मघाती बमबारी के चेहरे को प्रतिबिम्बित करता है।
या फिर हमें इजरायल और उसके मित्रों के सभ्य बनाम इजरायल के शत्रुओं के बर्बर स्वरूप का विरोधी भाव दिखाई देता है।
ऐसा प्रतीत होता है कि कैम्पस में पूरे वर्ष राजनीतिक रूप से गर्मागर्मी बनी रहेगी। किस दिशा में चीजें जाती हैं यह इस पर निर्भर करेगा कि किस प्रकार का कार्यकर्ता समूह प्रभावी होता है , कागज पर गुलाबी रंग से लिखा "मैं असहमत हूँ" या फिर बालकनी से फेंकी जानी वाली कुर्सियाँ ।