"यदि इराकी शासन शांति चाहता है तो इसे प्राप्त होगा....."
जार्ज डब्ल्यू बुश ने संयुक्त राष्ट्र संघ में गुरुवार को अपने भाषण जनसंहारक हथियारों , आतंकवाद , उत्पीडन , 1991 के पश्चात कुवैत युद्ध तथा इसके तेल के वित्त को लेकर इराक से लम्बी सूची की माँग में इसे कुल पाँच बार व्यक्त किया।
उसके बाद राष्ट्रपति ने आगे कहा, " यदि ये कदम उठाये जाते हैं तो इससे इराक में नये उत्तरदायित्व और खुलेपन का संकेत मिलेगा"। दूसरे शब्दों में सद्दाम हुसैन को एक और मौका मिलेगा।
मुझे पूरी तरह पता है कि यह एक रणनीति है। ऐसा प्रतीत होता है कि सद्दाम हुसैन इसमें से कुछ भी नहीं करेंगे और इसका सहारा लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की अनुमति से इराक के विरुद्ध अमेरिकी सैन्य अभियान आरम्भ हो सकेगा।
परंतु यह जितना चतुर दिखता है उस संदर्भ में यह उसका आधा ही है। अमेरिकी प्रशासन को सद्दाम हुसैन को बचने का कोई भी मार्ग नहीं देना चाहिये। उसका तीस वर्षों का कार्यव्यवहार दिखाता है कि वह अतिशय आक्रामक , अधिनायकवादी महानता को लेकर आत्म मुग्ध है। संयुक्त राष्ट्र संघ के किसी भी प्रतिनिधि को उसे सम्मानजनक मार्ग नहीं देना चाहिये , जिस प्रकार कि संयुक्त राष्ट्र संघ को अमेरिका की विदेश नीति के महत्वपूर्ण निर्णयों पर कोई नियंत्रण प्राप्त करने का अधिकार नहीं होना चाहिये।
इन कारणों के चलते राष्ट्रपति का भाषण काफी निराशाजनक रहा।