संयुक्त राष्ट्र संघ का मैंडेट जो कि इराक में अमेरिकी सेनाओं की उपस्थिति की तिथि को 31 दिसम्बर 2008 को समाप्त घोषित कर रहा है तो उसके बाद एक मानवीय और रणनीतिक आपदा हमें स्पष्ट दिखाई दे रही है। ईरान शासन के 3,500 विरोधियों के भाग्य का निर्धारण वाशिंगटन और बगदाद के मध्य होने वाले समझौते पर निर्भर करेगा।
ये सदस्य मुजाहिदीने खल्क के हैं ( एम ई के जिन्हें कि पीपुल्स मोजाहिदीने आफ ईरान या पीएमओआई भी कहा जाता है) जो कि ईरान का अग्रणी विरोधी वर्ग है। मध्य इराक के कैम्प अशरफ में उनका ठिकाना है जहाँ कि उन्हें " संरक्षित लोगों" का दर्जा प्राप्त है और जेनेवा संधि के अंतर्गत वर्ष 2004 से वे अमेरिकी सेना के संरक्षण में हैं। 1894 की उत्पीडन विरोधी संधि के अनुसार जिसमें कि अमेरिका भी एक पक्ष है उसके अंतर्गत यदि संयुक्त राष्ट्र संघ का मैंडेट समाप्त भी हो जाता है तो भी एम ई के के सदस्यों की रक्षा करने का अमेरिकी दायित्व समाप्त नहीं होता ।
इसके साथ ही ईरान में एम ई के सहयोगियों के नेटवर्क ने अत्यंत महत्वपूर्ण खुफिया सूचनायें उपलब्ध कराई हैं। उदाहरण के लिये इसने तेहरान की परमाणु महत्वाकाँक्षा का रहस्य उजागर किया और साथ ही इराक को भेजे जाने वाले बम की सूचना भी इसने दी। इस सहायता को मान्यता देते हुए लेफ्टीनेन्ट कर्नल जूली एस नार्मन ने 24 अगस्त 2006 को माना, " पी एम ओ आई ने सदैव ईरानी शासन की ओर से हो रहे हस्तक्षेप की ओर से सचेत किया है इनका रहस्योद्घाटन कर ऐसे हस्तक्षेप से उत्पन्न होने वाले खतरों के प्रति सचेत किया है और उनकी खुफिया जानकारी इस सम्बंध में काफी सहयोगी रही है और कुछ अवसरों पर तो इसने अमेरिकी सैनिकों के जीवन की रक्षा भी की है"
यद्यपि विदेश विभाग ने अब भी एम ई के को एक विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध कर रखा है जो कि सम्भवतः अक्टूबर तक समाप्त हो जायेगा क्योंकि यह अब किसी भी प्रकार से आतंकवाद की श्रेणी में नहीं आता जबकि इसने आतंकवाद का परित्याग कर दिया है, अनेक वर्षों से किसी घटना को अंजाम नहीं दिया है , भविष्य में ऐसी घटनाओं को कर पाने की क्षमता का अभाव और अमेरिकी की सुरक्षा के लिये कोई खतरा उत्पन्न नहीं कर रहा है। जनरल रेमण्ड ओडिरेनो जो कि शीघ्र ही इराक में अमेरिका के शीर्ष सैन्य अधिकारी होंगे उन्होंने पहले ही 2003 में एम ई के को विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध रहने पर प्रश्न खडा किया है, " मैं तो कहूँगा कि किसी भी संगठन ने जिसने कि अपने हथियार गठबंधन को दे दिये हैं वह हमारे साथ सहयोग कर रहा है और मेरा विश्वास है इससे इस बात की पुनर्समीक्षा होनी चाहिये कि क्या वे आतंकवादी संगठन हैं या नहीं"
इसके बाद से अमेरिकी सरकार के उपवर्ग ने जिसका नेतृत्व एफ बी आई करता है उसने अशरफ के ईरानियों को आतंकवाद से मुक्त कर दिया है। ब्रिटेन के एक न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि यह वर्ग " आतंकवाद के साथ नहीं जुडा है" और इसके बाद ब्रिटेन की सरकार ने जून में इस वर्ग को आतंकवाद की सूची से हटा दिया।
स्वाभाविक रूप से एम ई के को इराक से निकालने की माँग तेहरान की ओर से बगदाद और वाशिंगटन के लिये सबसे पहली माँग है। ईरान का शासन अपने प्रमुख विपक्षियों को समाप्त करने के लिये प्रतिबद्ध है और इसमें उसे कुछ सफलता भी मिली है जबकि उसने इराक सरकार पर दबाव डाला है कि वह कैम्प अशरफ को समाप्त कर एम ई के सदस्यों को ईरान भेज दे। इराक के जो नेता ईरान के साथ सहानुभूति रखते हैं वे इसमें शामिल हैं जिसमें कि संयुक्त इराकी गठबंधन तथा सर्वोच्च इस्लामी इराकी परिषद भी शामिल हैं।
इसके बाद 9 जुलाई को विदेश मन्त्री होशायेर जेबारी ने कहा कि इराक की सरकार ने निर्णय लिया है कि एम ई के सदस्यों को बाहर देश से निकाल दिया जायेगा। इराक में ईरानी राजदूत हसन काजमी कौमी ने और स्पष्ट किया कि इराक की कैबिनेट इस बात पर सहमत हो गयी है कि एम ई के को शीघ्र ही इराक से निकाल दिया जाये। ईरान के जेम जाम टीवी चैनल ने 6जुलाई को रिपोर्ट दी कि, " अमेरिकी सेना एम ई के कैम्प अशरफ को बगदाद के हाथों सौंपने को राजी है" जिसके अनुसार एम ई के को इस राज्य क्षेत्र को छोडने के लिये छह माह का समय मिलेगा।
यदि ये बातें सत्य हैं ( वैसे पहले की रिपोर्ट को ध्यान दें कि जिन पर अमल नहीं हुआ) तो इसमें यही अंतर्निहित है कि या तो इन निशस्त्र अशरफ निवासियों को इराक की सेनाओं के हवाले कर दिया जायेगा या फिर उन्हें ईरान भगा दिया जायेगा। किसी भी मामले में पूरी तौर पर जनसंहार तय है वह ही इराक में तेहरान के छ्द्म लोगों द्वारा हो या फिर स्वयं तेहरान द्वारा हो। इस सफलता के प्रेरित होकर तेहरान इराक को लेकर अधिक महत्वाकाँक्षी हो जायेगा।
इन घटनाक्रम पर बुश प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है परंतु यह उसका दायित्व है और इसमें उसका हित निहित है कि अपने मानवीय संकल्प ,अन्तरराष्ट्रीय कानून के प्रति प्रतिबद्धता और तेहरान के विरुद्ध सहयोगियों की आवश्यकता के चलते उसके लिये आवश्यक है कि बगदाद के साथ सेनाओं की स्थिति के समझौते पर जोर दे ताकि कैम्प अशरफ में एम ई के सदस्य अमेरिकी सेना के संरक्षण में रहें और कैम्प अशरफ छोडने के लिये भी वे स्वतंत्र हों।
मुजाहीदीने खल्क को विदेशी आतंकवादी संगठन की सूची से हटाकर वाशिंगटन को चाहिये कि इसके प्रति तेहरान शासन के मन में व्याप्त अप्रतिम भय से उसे भयभीत कराये और इसके जनसम्पर्क के प्रयासों में सहायता करे। यह सबसे सरल है और इस्लामी गणतंत्र को डराने का सबसे प्रभावी मार्ग है।