पूरी तरह विपरीत दिख रहा है इजरायल फिलीस्तीनियों को पराजित कर रहा है। एक साक्ष्य देखें कुछ सप्ताह पूर्व के इस उलट को देखें: यासिर अराफात ने काफी देर से इजरायल के उदार प्रस्ताव को स्वीकार किया जिसे कि दो वर्ष पूर्व उन्होंने अस्वीकार कर दिया था। यद्यपि इस बार इजरायल ने बहुत गर्मजोशी नहीं दिखाई।
यह बात सही है कि फिलीस्तीन का आतंक का अभियान लगातार जारी है और वह भी खूनी सफलता के साथ। परंतु इससे उसे उस संकल्प में सफलता नहीं मिली है कि इजरायलवासियों के उत्साह को कम किया जा सके। इसके कहीं विपरीत हिंसा के चलते संकल्प का भाव सशक्त हुआ है और उसके चलते ऐसी एकता का निर्माण हुआ है जो कि इजरायल में पिछले कुछ दशकों ने नहीं थी। लेखक योसी क्लेन हलेवी ने माना है , " आतंकवादी आक्रमणों से हमारा मनोबल नहीं गिरा है वरन इससे यह सशक्त ही हुआ है" उनका निष्कर्ष है कि " पूरी तरह विभाजित रहने के लिये कुख्यात समाज ने स्वयं के लिये समानता को फिर से ढूँढ लिया"
इसके विपरीत तीन ऐसे कारण हैं जिन्होंने कि फिलीस्तीनी हिंसा को फिलीस्तीनियों के लिये ही पीडादायक , मन में संशय और अपनी स्थिति खोने की स्थिति उत्पन्न कर दी है:
· फिलीस्तीनी विपन्नता. दो वर्षों के आतंकवाद के चलते फिलीस्तीनियों को काफी आर्थिक हानि का सामना करना पडा है। बेरोजगारी के बारे में अनुमान है कि यह 40 प्रतिशत से 70 प्रतिशत के मध्य कहीं है। शिकागो ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, बेरोजगारी तो पूरी तरह नाटकीय ही है. " विश्वविद्यालय के स्नातक , आर्कीटेक्ट, और इंजीनियर जो कि पहले सूट बूट में रहते थे वे पैसों के लिये अब सडक के बच्चों के साथ पानी, फल , पेपर नैपकिन और चीविंग गम की दूकान लगा रहे हैं" ।
इसके परिणामस्वरूप 50 प्रतिशत नागरिक पश्चिमी तट चले गये हैं और 80 प्रतिशत गाजा के निवासी गरीबी रेखा से नीचे निवास कर रहे हैं जो कि हाल के एक सर्वेक्षण के अनुसार पता चला है। भोजन प्राप्त करना भी समस्या हो गया है। नाबलुस में फलाफल बेचने वाले ने अपनी व्यथा कही , " मैं पिछले एक माह से अपने घर में बंद हूँ और मेरे आठ बच्चे हैं और हमने सब कुछ खा लिया जो हमारे पास था"
वह अकेला ऐसा नहीं है: जान हापकिंस विश्वविद्यालय की ओर से फिलीस्तीनी क्षेत्रों का जो सर्वेक्षण किया गया है उसके आरम्भिक परिणामों के अनुसार 30 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के भीषण शिकार हैं और अन्य 21 प्रतिशत को इससे भी बुरे ढंग से कुपोषण के शिकार हैं। ( इसके अनुसार , यहाँ तक कि फिलीस्तीनी भी स्वीकार करते हैं कि कोई भी भूख से नहीं मरता)
फिलीस्तीन अथारिटी स्वयं ही प्रायः दीवालिया है और अपने खर्चों या वेतन का भुगतान करने में असमर्थ है।
फिलीस्तीनी अवसाद. फिलीस्तीनी हिंसा ने पश्चिमी तट और गाजा में सामान्य जीवन को समाप्त कर दिया है जहाँ कि जनसंख्या को कर्फ्यू के अंदर रहना होता है , परिवहन काफी कठिनाई से गतिशील हो पाता है विद्यालय तो अधिकाँश बंद ही रहते हैं और हस्पताल भी मुश्किल से ही चलते हैं।
इसके परिणामस्वरूप भीषण अवसाद की स्थिति है। एक दूल्हे ने चिल्लाकर कहा जिसके कि विवाह के अवसर पर कुछ ही अतिथि थे और उन्हें देने के लिये कोई भोजन नहीं था और शायद ही को चीज भेंट करने को थी , " आज मेरे विवाह का दिन है और मैं मरना चाहता हूँ"
इस दुखद स्थिति के चलते फिलीस्तीनियों को वह करने पर विवश होना पडा जो कि कहने लायक नहीं है जेरिको के एक किसान ने अपने कागज जो कि उसके सामान को बाजार में बेचने की अनुमति देते थे उन्हें शराब में जलाकर कहा कि , " मैं नहीं कहता कि ( इजरायल) का कब्जा बेहतर होगा" । " परंतु यदि वे हम पर कब्जा करते हैं तो कम से कम शहर तो खुल जायेगा"
अधिक विस्तार से कहें तो, जून में 55 फिलीस्तीनी बुद्धिजीविओं और सार्वजनिक लोगों ने इजरायल में आत्मघाती बम हमले की निंदा करते हुए एक याचिका पर हस्ताक्षर किये। जेरूसलम रिपोर्ट के येहुद यारी की रिपोर्ट के अनुसार , " आक्रमण के लिये स्वाभाविक अनुशंसा के स्थान पर विरोध और संशय की अभिव्यक्ति को लेकर अधिक तैयारी दिखती है"
· फिलीस्तीनी भर्ती पर संकट . फिलीस्तीनी हिंसा के लगातार अभियान के चलते इजरायल के प्रतिरोधी कदम सफल रहे हैं। उदाहरण के लिये आत्मघाती हमलावरों के घरों को ध्वस्त करना जिसके चलते हाल में आत्मघाती हमला करने के सम्भावित दो हमलावरों को कार्य आरम्भ होने से पूर्व ही समाप्त कर दिया गया। इजरायल के रक्षा मंत्री बेन्जामिन बेन एलिजर ने इस विशेष घटनाक्रम पर कहा कि " शक्ति संतुलन का आरम्भिक संकेत" कार्य करता दिख रहा है।
युद्ध आरम्भ होने के पहले महीनों में उच्च स्तर के काडर का स्थान अब आनन फानन में भर्ती होने वाले या अन्य प्रकार से भर्ती होने वाले ( जैसे कि हिब्रू विश्वविद्यालय के कैफ़ेटेरिया में रखा गया बम) लोगों ने ले लिया है। हमास ने सार्वजनिक रूप से माना है कि इजरायल के विरुद्ध इसे नये तरीके आविष्कार करने होंगे, और सलाह दी कि पिछले दो वर्षों के 70 आत्मघाती हमलों को चला पाना कठिन है।
इसका कारण यह है कि हमास के नेता अपनी संतानों को मौत के लिये नहीं भेजना चाहते । इजरायल के मीडिया ने हमास के एक नेता की पत्नी की रिकार्डिंग को चलाया कि जिसमें उससे कहा गया कि वह अपने पुत्र को शहीद होने दे। तो इस पर उसने उत्तर दिया " वह इससे नहीं जुडी है .... उसका बच्चा पढाई में जुटा है" ।
संक्षेप में आतंकवाद काम नहीं कर रहा है। इसके लिये फिलीस्तीनियों को कीमत चुकानी पड रही है परंतु इजरायल पर वह प्रभाव नहीं हो रहा है जिसकी इच्छा है। इससे एक परिवर्तन यह होगा कि फिलीस्तीनी काफी जल्दी इससे बाहर आ जायेंगे सम्भवतः इस वर्ष के अंत तक।