गुरूवार को ब्रेंट स्कोक्राफ्ट ने वाल स्ट्रीट जर्नल में राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश से विनती की कि , " सद्दाम पर आक्रमण न करें"
परंतु अमेरिका के आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध को देखते हुए सेवानिवृत्त जनरल को उस मूलभूत शिक्षा को ध्यान में रखना चाहिये जो कि 11 सितम्बर के आक्रमण से अमेरिका ने सीखा है। अमेरिका ने कठिन मार्ग सीखा है न कि रुककर प्रयोग करना जिसे कि स्कोक्राफ्ट " सबसे अच्छी रणनीति कहते हैं" और उनके अनुसार वैश्विक खतरे का समाधान करने का यही तरीका है।
सद्दाम हुसैन अमेरिका और वैश्विक सुरक्षा के लिये ओसामा बिन लादेन से कम बडा खतरा नहीं है और यही कारण है कि वाशिंगटन ने एक दशक से भी अधिक समय से उसे सत्ता से हटाने के लिये सही समय, सही स्थान और सही अवसर की सदैव प्रतीक्षा की है। गलत सूचना देने का समय निकल चुका है । अब आक्रमण का समय आ गया है। सद्दाम को शीघ्र ही निश्चित रूप से सत्ता से हटाया जाना चाहिये।
स्कोक्राफ्ट के तर्क में दो कमियाँ हैं:
सद्दाम जनसंहारक हथियार केवल इसलिये चाहता है कि वह " अमेरिका को अपनी आक्रामक योजनाओं में हस्तक्षेप से रोकने के लिये शक्ति संतुलन के रूप में रख सके" वह उन्हें प्रयोग नहीं करेगा। उन्हें यह विचा कहाँ से प्राप्त हुआ? यदि ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हुईं तो सद्दाम निश्चित रूप से अपने लिये उनका प्रयोग करेगा।
यह जानना चाहिये कि वह आज की तिथि में सत्ता में एकमात्र ऐसा शासक है जिसने कि जनसंहारक हथियारों को पहले ही तैनात कर रखा है और उसने ऐसा कई बार किया है। ईरान के साथ 1980 -88 के युद्ध में उसने ईरानी सैनिकों पर रासायनिक गैस बरसाई थी। उसने अपनी कुर्द जनसंख्या पर भी रसायन का प्रयोग किया था।
इसके साथ ही सद्दाम जनसंहारक हथियारों के निर्माण का शौकीन है। फरवरी 1991 में कुवैत युद्ध हारने के बाद वह संयुक्त राष्ट्र संघ की माँग से सहमत हो गया कि उसके जनसंहारक हथियार " नष्ट , समाप्त या खतरा न कर सकने की स्थिति में पहुँचा दिये जायेंगे" । वह इस बात पर भी सहमत हो गया कि इराक में जाँचकर्ताओं को प्रवेश दिया जायेगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उसने जनसंहारक हथियारों का कार्यक्रम पुनः आरम्भ नहीं किया है। हालाँकि अगले सात वर्षों में सत्ता में रहते हुए उसने रासायनिक , जैविक और परमाणु हथियारों के निर्माण के लिये सब कुछ किया और उन मिसाइलों के निर्माण के लिये भी जिनसे कि उन्हें भेजा जा सके। 1998 में सद्दाम ने इराक में जाँचकर्ताओं को और आने से मना कर दिया।
संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्व प्रमुख शस्त्र जाँचकर्ता रिचर्ड बटलर का मानना है कि . " यह मानना भारी मूर्खता होगी" कि सद्दाम उसके बाद से अपने हथियारों का फिर से निर्माण नहीं कर रहा है। सद्दाम के मीडिया ने भी इस बिंदु को स्पष्ट किया है। इराक के अथ थवारा समाचार पत्र ने अभी हाल में बताया है कि. " ऐसे हथियारों को प्राप्त करना आत्म रक्षा का अधिकार है और राष्ट्र की सुरक्षा के लिये आवश्यक है भले किसी को अच्छा लगे या नहीं"
इराक से अलग हुए किसी की दिसम्बर 2001 और मार्च 2002 की रिपोर्ट के अनुसार सद्दाम के पास " अब चलती फिरती कीटाणु प्रयोगशाला है जिसे कि धोखा देकर दुग्ध ले जाने वाले ट्रक के रूप में दिखाया जाता है और रासायनिक व जैविक हथियारों के उत्पादन के लिये भूमिगत बंकर हैं"
इससे भी चिंताजनक बात यह है कि सद्दाम के परमाणु हथियार विकास कार्यक्रम के पूर्व प्रमुख खिधिर हम्जा जो कि अब इराक से अलग हो गये हैं उनका अनुमान है कि सद्दाम को दो से तीन वर्ष चाहिये कि जब वह परमाणु हथियार उत्पादन के लिये " आवश्यक सामग्री प्राप्त कर लेगा। बम की आकृति और उसे कठोरता देने के लिये एक और वर्ष की आवश्यकता होगी।
इस प्रकार 2006 तक सद्दाम के पास परमाणु क्षमता होगी और किसी को भी जानना चाहिये कि वह इसे प्रयोग करेगा। इस सम्भावना के चलते पहले ही आक्रमण करना चाहिये जो कि केवल परामर्श की बात नहीं है वरन आवश्यक है।
स्कोक्राफ्ट का कहना है कि, " इस बात के काफी कम संकेत हैं कि सद्दाम की आक्रामकता के दायरे में अमेरिका भी है" और इससे इस बात की सम्भावना काफी कम है कि अमेरिका सद्दाम के निशाने पर आयेगा।
वास्तव में इराक का मीडिया नियमित रूप से " तानाशाही अमेरिकी शत्रु" पर सैन्य और आर्थिक आक्रमण की बात करता है। अभी हाल में सद्दाम ने एक माह के तेल निर्यात को स्थगित रखने की बात की जो कि प्रत्यक्ष रूप से अमेरिका को वंचित रखने के लिये था। हाल में इराक सरकार के बयान में तो यहाँ तक कहा गया कि " अरब गृहभूमि पर अमेरिकी हितों पर आक्रमण किया जाये" ( यह बात ध्यान रखने योग्य है कि ये बयानबाजी अल कायदा और अन्य अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों के समान हैं जो कि स्कोक्राफ्ट का दावा है कि उनमें और सद्दाम में समानता नहीं है)
सद्दाम और अन्य अन्तरराष्ट्रीय आतंकवादियों में कुछ समानता है: अमेरिका के विरुद्ध अनेक षडयंत्रों को लेकर सम्पर्क। 1993 में सद्दाम के एजेंन्टों ने पूर्व राष्ट्रपति जार्ज एच डब्ल्यू बुश की हत्या करने का प्रयास किया था। सउदी दैनिक अल वतन के अनुसार, " इराक ने 2001 के आरम्भ में अरब की खाडी में अमेरिकी जहाजों पर आक्रमण करने की योजना बनायी थी। योजना थी कि आत्मघाती जहाजचालकों द्वारा संचालित व्यावसायिक जहाज में आधा टन विस्फ़ोटक रखा जायेगा"
अमेरिका के सम्बंध में अन्य आतंकवाद को लेकर भी इराक के सम्पर्क हैं। चेक खुफिया अधिकारियों के अनुसार उनके पास 11 सितम्बर के एक अपहरणकर्ता मोहम्मद अट्टा के प्राग में एक इराकी खुफिया एजेंट के साथ चित्र हैं।उसके साथ के दो और साजिशकर्ता भी इराक के खुफिया अधिकारियों से संयुक्त अरब अमीरात में मिले थे जबकि ऐसी रिपोर्ट भी है कि बिन लादेन के सहयोगी इराकी अधिकारियों से बगदाद में मिले थे।
ब्रेंट स्कोक्राफ़्ट सही मायने में अपने लक्ष्य पर तब आये हैं जब वे कहते हैं कि , " यदि हम वास्तव में आतंकवाद के युद्ध को लेकर गम्भीर हैं तो यह हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिये" । सही बात है हालाँकि इसका अर्थ ही है कि सद्दाम के शासन को समाप्त करने का आरम्भ होना चाहिये जिसके कि वैश्विक आतंकवाद, युद्ध अपराध अंतिम आक्रमण के साथ सम्बंध हैं।