अब जबकि आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध छह माह पुराना हो गया है तो इसका पुनरावलोकन करने की आवश्यकता है कि यह युद्ध किस प्रकार चल रहा है? हम कुल चार क्षेत्रों का ग्रेड देखते हैं:
· सेना: युद्ध का अधिकाँश भाग तो मात्र दो माह में ही जीत लिया गया। समस्या लोगों के हताहत होने को कम करना था , अमेरिकी सेनाओं ने कुछ गंदे काम से स्वयं को बचाया और अफगानिस्तान में गुफाओं और सीमाओं पर गस्त का कार्य करने के लिये इन्हीं लोगों को नियुक्त किया। इससे तालिबान और अल कायदा के नेताओं को भागने में सहायता मिली कि अगले दिनों में वे लड सकें।
अन्य देशों में ऐसे अमेरिकी सैन्य अभियान चल रहे हैं, फिलीपींस में 600 सैनिक हैं, यमन में 400 सैनिक हैं , उजबेकिस्तान में कुछ सौ और आशा है कि जार्जिया गणतंत्र में 200 आने वाले हैं। उप राष्ट्रपति डिक चेनी ने व्याख्या की है कि इसका परिणाम यह होगा कि " अल कायदा को अन्य किसी स्थल को अपनी शरणस्थली के रूप में विकसित करने से रोका जा सकेगा"
अमेरिकी सरकार के लिये ग्रेड : ए
आतंकवाद प्रतिरोध: नकारात्मक पक्ष है कि अमेरिका में जो भी सामान उतरता है उसमें अधिक से अधिक 5 प्रतिशत ही सुरक्षा से गुजरता है। विमानों की तलाशी जिसमें कि अब भी संदिग्ध लोगों की सम्भावना रहती है उस पर ध्यान न दिया जाना हास्यास्पद ही है जैसा कि रिचर्ड रीड के जूते बम से पता चला है। परमाणु सुरक्षा तो भगवान भरोसे ही है जिसके बारे में रिपोर्ट है कि अमेरिका के सबसे अधिक संवेदनशील परमाणु संयंत्र में, " कर्मचारियों के आतंकवादी सम्पर्क को लेकर उनकी जाँच नहीं हो रही है और न ही उन्हें यह पता है कि कितने विदेशी इसमें कार्य कर रहे हैं"
अधिक व्याकुल करने वाला तथ्य तो यह है कि अब भी प्रव्रजन और नैसर्गिक सेवा ने 11 सितम्बर के दो अपहरणकर्ताओं को मरणोपरांत वीजा जारी कर दिया । इस पर महाधिवक्ता जनरल जान एशक्राफ्ट ने कहा कि यह तो हद ही हो गयी।
सुरक्षा के मोर्चे पर सकारात्मक पक्ष है कि पाँच अमेरिकी दूतावासों ( फ्रांस, इटली, बोस्निया , यमन और सिंगापुर) को नष्ट करने के षड्यंत्र को असफल कर दिया गया। न्याय विभाग ने 1,200 संदिग्धों को हिरासत में लिया जिसमें से अधिकाँश को वापस उनके देश भेज दिया जायेगा। इसने 2, 261 आप्रवासियों से पूछताछ की जिनके अल कायदा से सम्भावित सम्बंध हो सकते थे ( 3,000 अन्य लोगों से भी पूछताछ होनी शेष है) यह 6,000 मध्य पूर्व के लोगों की खोज में है जिन्हें "बाहरी भगोडे" माना जा रहा है।
संघीय एजेंटों ने तीन इस्लामी " दान आधारित" फाउंडेशन को बंद कर दिया है , 21 घरों और कार्यालयों की तलाशी ली और आतंकवाद को वित्तीय सहायता देने के मामले में 300 मामलों की जाँच की है , जिनमें कि 12 गिरफ्तारियाँ हुई हैं और चार के लिये टिप्पणी की गयी है। कोषागार विभाग के अनुसार इसने " आतंकवादी सम्पत्ति के मामले में 34 मिलियन अमेरिकी डालर पर रोक लगाई है और समस्त विश्व में अन्य देशों ने 70 मिलियन अमेरिकी डालर पर रोक लगाया है" एशक्राफ्ट का दावा है कि " इससे सम्भावित आतंकवादियों को अपनी योजनाओं के वापस लेना होगा या उनमें देर करनी होगी या उन्हें समाप्त ही करना होगा"
अच्छा समाचार है परंतु यदि अभी हाल का 1.7 बिलियन अमेरिकी डालर का आतंकवादी धन का अनुमान सत्य है तो अभी काफी कुछ किया जा शेष है।
Grade: B.
ग्रेड बी
कूटनीतिक: अन्य राज्यों में आतंकवाद को नष्ट करने के अमेरिकी दबाव का सबसे अधिक प्रभाव पाकिस्तान में हुआ है , जहाँ कि अधिकारियों ने अल कायदा के सदस्यों को गिरफ्तार करने के लिये सीमा पर सैनिक नियुक्त किये हैं , कुरान आधारित विद्यालयों को ध्वस्त किया है और आतंकवाद के विरुद्ध निर्दयी अभियान हाथ में लिया है।
सबसे उल्लेखनीय रहा है कि इस्लामाबाद ने मार्च में एफ बी आई और सी आई ए अधिकारियों को संदिग्ध अल कायदा सदस्यों को पकड्ने में सहायता की जिसमें कि अबू जुबैदा शीर्ष अल कायदा नेता भी शामिल है। इस असाधारण कदम ने विश्व में अमेरिकी पुलिस की धाक जमेगी।
अन्य स्थलों पर कूट्नीति का उतना प्रभाव नहीं हुआ है। मलेशिया में पुलिस मस्जिदों पर नजर रख रही है पर उसका कोई परिणाम नहीं है। बहरीन, कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात ने सांकेतिक रूप से अपनी सीमा में आतंक को दी जाने वाली वित्तीय सहायता को कम किया है । सूडान के नेतृत्व ने अल कायदा संदिग्ध को पकडा है परंतु वाशिंगटन को भय है कि अल कायदा स्वयं को खारतूम में पुनः खडा कर रहा है।
आधे अधूरे मन से बनाये गये दबाव के चलते हमास और इस्लामिक जिहाद फिलीस्तीन अथारिटी से बाहर कार्य कर रहे हैं, जबकि हिजबुल्लाह पूरी तरह लेबनान में सक्रिय है। सउदी ने एक आतंकवादी आर्थिक सहायता प्रदान करने वाले का खाता बंद कर दिया है परंतु मिडिल ईस्ट न्यूजलाइन के अनुसार , " यह अब भी अल कायदा के उग्रवादियों को आर्थिक सहायता प्रदान किये जाने को सहन कर रहा है"
ग्रेड सी
विचारधारागत: 11 सितम्बर के पश्चात अमेरिका ने एक रणनीति के विरुद्ध युद्ध का आरम्भ किया है जब राष्ट्रपति बुश ने घोषणा की कि " आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध" उन्होंने ऐसा करते हुए वास्तविक शत्रु की अवहेलना की वह है उग्रवादी इस्लाम , एक क्रूर और अधिनायकवादी विचारधारा।
स्पष्ट रूप से उग्रवादी इस्लाम को निशान न बनाना मँहगा पडा विमान की सुरक्षा से लेकर बुद्धिमत्तापूर्ण आप्रवास नीति तक। इससे वाशिंगटन यह व्याख्या कर पाने में असफल है कि अमेरिकी सेनायें केवल और केवल मुस्लिम विश्व के आस पास ही क्यों युद्ध कर रही हैं और कुछ मुस्लिम कानून प्रवर्तन संस्थाओं के निशाने पर विशेष रूप से क्यों हैं? इससे भी बुरा यह है कि इसके चलते सम्भावित सहयोगियों की पहचान नहीं हो पा रही है और वह है नरमपंथी मुस्लिम।
ग्रेड डी
कुल मिलाकर युद्ध कैसा जा रहा है? पहली छमाही से प्रतीत होता है कि अमेरिका को लाभ मिल रहा है परंतु यदि अमेरिका को विजयी होना है तो काफी जमीनी कार्य शेष है। अभी विचारधारागत संघर्ष से कूटनीतिक अभियान तक काफी कुछ करना बाकी है।