ऐसा प्रतीत होता है कि 1992 में माइकल किंसले का यह कथन कि " सबसे बडी मूर्खता के स्तर की भूल तो तब होती है जब कि कोई राजनेता सच बोलता है" वाशिंगटन की नियमित बुद्धिमत्ता बन चुकी है। मूर्खता के चलते मुँह छिपाना पड्ता है और क्षमा माँगनी पड्ती है क्योंकि इसमें वह बताया जाता है जिसकी जानकारी सभी को होती है परंतु कोई भी कहना नहीं चाहता।
ऐसी ही राजनीतिक मूर्खता के स्तर की भूल पिछले अप्रैल में हुई जब राष्ट्रपति बुश से पूछा गया कि वह चीन के विरुद्ध अपनी सुरक्षा के लिये ताइवान को सहायता प्रदान करने के लिये अमेरिकी सेना की तैनाती करेंगे तो उन्होंने उत्तर दिया , "जो भी सम्भव होगा वह करेंगे" और यह कहते हुए उन्होंने उस तथ्य को स्वीकार किया जिसे कि 1977 से अब तक किसी भी राष्ट्रपति ने स्वीकार नहीं किया था चाहे उनमें से सभी ने ऐसा ही सोचा हो। व्हाइट हाउस ने तत्काल क्षमा याचना की और इसकी व्याख्या करते हुए विषय को बदल दिया परंतु सत्य तो बाहर आ गया था।
एक बार पुनः अक्टूबर में ऐसी ही मूर्खता के स्तर की भूल हुई जब रक्षा मंत्री डोनाल्ड रम्सफील्ड ने स्वीकार किया कि अमेरिकी सेना को ओसामा बिन लादेन को नहीं पकडना चाहिये : " यह बडी बात है। इसमें अनेक देश हैं । उसके पास काफी धन है, उसके समर्थन में अनेक लोग हैं और मुझे नहीं पता कि हम सफल होंगे या नहीं"
जब यह बयान समाचारों की सुर्खियाँ बन गया तो रम्सफील्ड ने अपने बयान से किनारा कर लिया और अमेरिकी सेना पर पूरा विश्वास व्यक्त किया और अपने पूर्ववर्ती बयान को एक अपवाह का अंग बताया जो कि समय समय पर चलती है, उन्होंने इसे उसी अपवाह का एक अंग बताया जो कि उन्हे बयान के रूप में नहीं व्यक्त करना चाहिये था। परंतु उन्होंने उसे स्वीकार किया जिसे कि शेष लोग जानते थे।
एक बार फिर मूर्खता के स्तर की भूल तब हुई जब जनवरी में सी एन एन ने पावला जान के नये शो " अमेरिकन मार्निंग" के लिये एक विज्ञापन भी दिखाया जिसमें कि प्रातः काल के समाचार प्रस्तोता को एक पुरुष स्वर में " भडकाऊ, अत्यधिक तेज और थोडा सा सेक्सी बताया गया" इसके बाद सेक्सी शब्द स्क्रीन पर आया और इसके साथ ही पैंट की चैन खुलने की आवाज आई।
सी एन एन ने क्षमा याचना की, इस विषय की व्याख्या की और पूरे विषय को बदल दिया परंतु विज्ञापन ने इस बात को पुष्ट कर दिया जिसे कि नेटवर्क द्वारा सदैव खंडन किया गया कि किसी भी समाचार प्रस्तोता के कैरियर के लिये सुंदरता और सेक्सी दिखना मुख्य शर्तें हैं।
एक और मूर्खता के स्तर की भूल पिछले गुरुवार को सामने आई जब व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव एरी फ्लेचर ने अपनी औपचारिक ब्रीफिंग से पूर्व अस्वाभाविक रूप से सही बोलते हुए
2000 के मध्य में कैम्प डेविड शीर्ष स्तरीय बैठक का उल्लेख करते हुए कह डाला, " आप इसे इस रूप में देख सकते हैं कि जोखिम भरी कूटनीति रही और इसमें कुछ भी नहीं प्राप्त हुआ , और अधिक हिंसा हुई और पक्षों को उनके दायरे से बाहर धकेलने का प्रयास हुआ और इससे इतनी अपेक्षायें लगाई गयीं कि यह हिंसा में परिणत हो गया"
वे इसके आगे भी अपनी बात कहते रहे , " इस क्षेत्र में सावधान रहने की अत्यधिक आवश्यकता है , और इस गति से चलने की आवश्यकता है कि लोगों की अपेक्षायें गलत ढंग से न बढ जायें और इस प्रक्रिया में पक्षों से उस बात पर राजी होने की आशा रखी जाये जो वे नहीं हो सकते , क्योंकि इस अपेक्षा और स्तर तक पहुँच कर यदि असफलता हाथ लगती है तो इससे अपेक्षा अधूरी रह जाती है और परिणाम स्वरूप क्षेत्र में हिंसा होती है"
फ्लेचर ने बिल क्लिंटन का नाम तो नहीं लिया परंतु पूर्व राष्ट्रपति के कार्यालय ने तत्काल फ्लेचर के बयान की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया और इन्हें " दुर्भाग्यपूर्ण" बताया। राष्ट्रपति बुश , कोलिन पावेल और कोंडोजिला राइस के दबाव के चलते वे अपने बयान से पलट गये और कहा, " मैंने यह गलत कह दिया कि मध्य पूर्व में हिंसा की वृद्धि का कारण 2000 में हुआ शांति प्रयास था । यह प्रशासन की राय नहीं है" ।
परंतु फ्लेचर वही कह रहे थे जो कि अन्य लोग सोचते हैं: जैसा कि सी बी एस मार्निंग न्यूज ने पाया है, " ऐसा तो व्यक्तिगत रूप से प्रशासन में बहुत लोग सोचते हैं यहाँ तक कि राष्ट्रपति बुश भी"
अधिक महत्वपूर्ण यह है कि यह विश्लेषण सत्य है।
अत्यधिक महत्वाकाँक्षी कूटनीति जिसे कि क्लिंटन और इजरायल की लेबर पार्टी के नेताओं (यित्जाक राबिन , शिमोन पेरेज और एहुद बराक) ने प्रायोजित किया था उससे जो अपेक्षा थी उसके ठीक विरोधी परिणाम प्राप्त हुए: आशा थी कि कैम्प डेविड द्वितीय शीर्ष बैठक से इजरायल फिलीस्तीन संघर्ष समाप्त हो जायेगा , परंतु इसके बाद तो असाधारण रूप से इजरायल के विरुद्ध फिलीस्तीनी हिंसा में अभिवृद्धि हुई और जो अब तक जारी है और बदतर ही होती जा रही है।
फ्लेचर की अंतरदृष्टि के कई मायने हैं। इससे पूर्व कि अमेरिकी सरकार किसी अन्य शांति प्रस्ताव के पीछे भागे (जैसा कि अभी सउदी राजकुमार और न्यूयार्क टाइम्स के संयुक्त प्रयास से आगे किया जा रहा है) इसे इस बात का ध्यान रखना होगा कि कहीं इससे अधिक क्षति न हो जाये। कैम्प डेविड द्वितीय शीर्ष बैठक की भूल से कम से कम 1, 200 लोगों की मौत तो हुई ही अब अगली जोखिम भरी कूटनीति के चलते कितने लोग मौत के घाट उतारे जायेंगे।