31 मई से तुर्की को विद्रोह ने हिला दिया है: इसकी तुलना अरब के उथल पुथल से की जा सकती है जिसने 2011 से अब तक चार शासकों को सत्ता से बेदखल कर दिया है, साथ ही 2009 की ईरान की हरी क्रांति से भी इसकी तुलना की जा सकती है जिसके चलते पिछले सप्ताह एक सुधारवादी दिखने वाले राष्ट्रपति का चुनाव हुआ या फिर वाल स्ट्रीट पर कब्जा करो से की जा सकती है जिसके नगण्य परिणाम रहे?
इस असंतोष को स्थाई परिणाम वाले अति गम्भीर घटनाक्रम के रूप में देखा जा सकता है। तुर्की एक अधिक खुला और उदार देश बन चुका है एक ऐसा देश जहाँ कि नेता लोकतांत्रिक सीमाओं को पहले से कहीं अधिक अनुभव करते हैं। परंतु इससे तुर्की में इस्लाम की भूमिका में कितना अंतर आता है यह प्राथमिक रूप से अर्थव्यवस्था पर निर्भर करता है।
रिसेप तईप एरडोगन और उनके राजनीतिक दल एकेपी जिसके वे अध्यक्ष हैं उसकी सबसे बडी विशेषता चीन जैसी भौतिक प्रगति रही है। एक दशक से जब से वह सत्ता में हैं व्यक्तिगत आय लगभग दो गुनी हो गयी है, जिसने कि देश के चेहरे को बदल दिया है। 1972 से ही तुर्की की यात्रा करते रहने के चलते मैंने इस विकास को जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रभाव डालते हुए देखा है फिर वह उनके खाने का मामला हो या तुर्क पहचान का विषय हो।
पिछ्ले एक दशक में एकेपी के मतों के प्रतिशत में हुई वृद्धि की व्याख्या इसी प्रभावशाली विकास से की जा सकती है जो कि 2002 में 34 प्रतिशत था, फिर 2007 में 46 प्रतिशत हुआ और 2011 में लगभग 50 प्रतिशत हो गया। इसी विकास के आधार पर इस तथ्य की व्याख्या भी की जा सकती है कि 90 वर्षों तक सर्वोच्च राजनीतिक शक्ति के रूप में कार्य करने के बाद सेना को एकेपी अपने अधीन करने में कैसे सफल रही ।
इसी के साथ जून 2011 में हुई चुनावों के बाद से दो मामलों में कमजोरी साफ दिख रही है जिससे कि सरकार पर एरडोगन की पकड को खतरा उत्पन्न हो गया है।
विदेशी ऋण पर निर्भरता . उपभोक्ताओं के खर्च को बनाये रखने के लिये तुर्की के बैंकों ने विदेशों से भारी मात्रा में ऋण लिया विशेष रूप से समर्थक सुन्नी स्रोत से। इसके परिणामस्वरूप चालू खाता घाटा की आवश्यकता के चलते निजी क्षेत्रों को भी ऋण लेना पडा जो कि 2013 में 221 बिलियन अमेरिकी डालर है जो कि देश की सकल घरेलू उत्पाद अर्थात 775 बिलियन अमेरिकी डालर का 30 प्रतिशत है। क्या तुर्की में धन का प्रवाह रुक जायेगा ( जो कि एकेपी नहीं चाहती) और पार्टी समाप्त हो जायेगी, स्टाक मार्केट धडाम हो जायेगा, मुद्रा ढह जायेगी और अर्थव्यवस्था का चमत्कारिक शोर थम जायेगा।
एरडोगन अपने लोकतांत्रिक जनादेश को सुल्तान के रूप में समझते हैं. प्रधानमंत्री अपने चुनाव को विशेष रूप से 2011 में सम्पन्न हुए चुनाव के बाद जिसमें कि उन्हें लोकप्रिय मतों का आधे से अधिक मत मिला यह मानकर चलते हैं कि अगले चुनाव तक जो वे चाहें करने का जनादेश उनके पास है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत भाव व्यक्त करने आरम्भ कर दिये ( 2009 में शिमोन पेरेज के साथ उनके टकराव को याद करें), छोटे छोटे मामलों में उलझने लगे ( शहर के पार्क का उपयोग करने के उनके निर्णय से वर्तमान संकट खडा हुआ) , तुर्की को एक अलोकप्रिय विदेशी मामले में उलझा दिया ( सीरिया) , स्वयं को मत न देने वाले आधे मतदाताओं की खिल्ली उडाई । उनके इस व्यवहार से कभी वंचित रहे उनके समर्थक उल्लास में आये पर ऐसे तुर्क लोगों की संख्या भी बढने लगी जो कि उनके अधिनायकवाद से असहमत हैं और यूरोप के नेताओं ने भी उनकी आलोचना की है। जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल ने घोषणा की कि वह पुलिस की कार्रवाई से स्तब्ध हैं।
ये दो कमजोरियाँ एरडोगन . एकेपी और और देश के भविष्य के लिये अर्थव्यवस्था के महत्व की ओर संकेत करती हैं। यदि तुर्की का वित्त इन प्रदर्शनों को झेल ले जाता है तो फिर एकेपी के मंच से उस इस्लामवादी कार्यक्रम को जारी रखा जायेगा जो उनके ह्रदय में है भले ही सतर्कतापूर्वक। सम्भवतः एरडोगन स्वयं ही नेता रहेंगे और अगले वर्ष नयी बढी हुई शक्तियों के साथ देश के नये राष्ट्रपति बन जायेंगे ; या फिर 1990 में मार्गरेट थैचर की भाँति उनकी पार्टी उनसे किनारा कर ले और किसी नये नेता को सामने लाये जो कि अधिक शत्रु बनाये बिना इन्हीं कार्यक्रमों पर कार्य कर सके।
परन्तु यदि " गर्मागर्म पैसा" तुर्की से बाहर जाने लगता है, निवेशक अन्य स्थानों पर जाने लगते हैं , फारस की खाडी के संरक्षक एकेपी के प्रति ठंडे पड जाते हैं तो इन प्रदर्शनों से एकेपी शासन का अंत हो सकता है और इस्लामवाद और इस्लामी कानून लागू करने के अभियान पर रोक लग सकती है। पार्टी के भीतर टकराव विशेष रूप से एरडोगन और राष्ट्रपति अब्दुल्लाह गुल या फिर इस्लामवादी आंदोलन में टकराव विशेष रूप से एकेपी और फेतुल्लाह गुलेन के प्रभावशाली आंदोलन के टकराव से इस्लामवादी कमजोर होंगे। अधिक विस्तार से कहें तो अच्छी अर्थव्यवस्था के चलते जिन गैर इस्लामवादी मतदाताओं ने एकेपी को मत दिया था वे इसका साथ छोड देंगे।
वेतनभोगी रोजगार में 5 प्रतिशत की कमी आयी है। वर्ष 2012 के मुकाबले 2013 की पहली तिमाही में उपभोक्ता खर्च में 2 प्रतिशत की कमी आयी है। जब से प्रदर्शन आरम्भ हुए हैं इस्ताम्बुल का स्टाक मार्केट 10 प्रतिशत गिर गया है और ब्याज दरें 50 बढ गयी हैं। तुर्की में इस्लामवाद के भविष्य का आकलन करने के लिये अर्थव्यवस्था की ओर संकेत करने वाले इन सकेतों को देखें।