शत्रु कौन है? 9\11 की घटना हुए 15 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं परन्तु यह मौलिक प्रश्न अब भी आसपास घूम ही रहा है| महत्वपूर्ण उत्तर आये भी तो जैसे बुराई को अंजाम देने वाले, हिंसक अतिवादी, आतंकवादी, मुसलमान और इस्लामवादी |
इस प्रश्न का उत्तर न दिया जाए इसका एक उदाहरण है कि ओबामा प्रशासन ने 2010 में Countering Violent Extrimism Working Group का आयोजन किया जिसमें कि शामिल हुए प्रतिभागियों नेजिहाद को पवित्र युद्ध के रूप में यूरोप की खोज बताया, खिलाफत की वापसी अवश्यम्भावी है ,शरियत को ठीक से समझा नहीं गया है इस्लामी आतंकवाद स्वयं में विरोधाभाषी वाक्यांश है क्योंकि परिभाषा के अनुसार आतंकवाद इस्लामी नहीं है | इन सबका परिणाम क्या हुआ? इस कार्ययोजना समूह ने जो प्रचार उपलब्ध कराया उससे ( बिना नाम वाले) शत्रु को सहायता मिली |
इसके ठीक विपरीत उस समय के प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रम्प ने अगस्त 2016 में जबरदस्त भाषण दिया कि राष्ट्रपति के रूप में वे किस प्रकार
" अमेरिका को फिर से सुरक्षित बनायेंगे" | इस भाषण में उन्होंने संकल्प लिया कि राष्ट्रपति के रूप में उनका पहला कार्य कट्टरपंथी इस्लाम पर एक आयोग की स्थापना का होगा| उन्होंने कट्टरपंथी इस्लाम का प्रयोग किया न कि कोई अन्य शब्द जैसे कि हिंसक अतिवाद |
उन्होंने स्पष्ट किया कि आयोग का उद्देश्य , " अमेरिका के लोगों के समक्ष कट्टरपंथी इस्लाम के सिद्धांतों और विचारों को रखते हुए उसे पहचानना , कट्टरपंथ की चेतावनी के संकेत को समझाना और अपने समाज के मध्य उस कट्टरपंथ के सहयोगी नेटवर्क को उजागर करना" | आयोग में " मुस्लिम समुदाय के भीतर सुधारवादी आवाजों को भी शामिल किया जाएगा" और इसका उद्देश्य होगा कि " स्थानीय पुलिस अधिकारियों , संघीय जांचकर्ताओं और आप्रवास पर नजर रखने वालों के लिए नए प्रोटोकाल विकसित किये जायेंगे" |
२ फरवरी को रायटर्स ने रिपोर्ट दी कि अपने अगस्त के बयान के अनुरूप ही ट्रम्प प्रशासन ने ओबामा के पुराने काउंटर वायलेंट एक्सट्रीमिज्म के प्रयास को पूरी तरह बदल कर और उसे दूसरा नाम देकर उसका ध्यान पूरी तरह इस्लामवाद पर केन्द्रित किया जाएगा| इसका नाम भी बदलकर "Countring Radical Islamic Extrimism" या इसके समकक्ष नाम रखा जाएगा |
इस ऐतिहासिक अवसर का भरपूर उपयोग करने के लिए मिडिल ईस्ट फोरम ने व्यापक योजना बनाई है कि व्हाइट हाउस का कट्टरपंथी इस्लाम के आयोग के लिए प्रशासन इसका उपयोग कर सके| निम्नलिखित रूप से उनका संक्षेप में वर्णन है कि हमें जो लगता है कि आयोग किस प्रकार कार्य करेगा कि इसका प्रभाव हो|
ढांचा – इसके सफल होने के लिए आवश्यक है कि उसके सभी सदस्यों का चयन राष्ट्रपति करें| बहुत से आयोगों ने विरोधाभाषी विचारधाराओं और एजेंडा को शामिल किया जिससे कि परस्पर विरोधी रिपोर्ट आयी और जिसने कि प्रशासन को असंतुष्ट किया और वे अंत में नकार दिए गए| इसके साथ ही टावर आयोग के संघर्ष से पता चलता है कि उसके पास पर्याप्त अधिकार नहीं थे , इसी प्रकार थ्री मिलान आईलैंड आयोग का उदाहरण सामने है जिसके पास कि पर्याप्त अधिकार थे, आयोग को गवाहों को बुलाने का अधिकार हो, दस्तावेज मांगने का अधिकार हो, गवाही के लिए प्रेरित कर सके और छूट दे सके|
आयोग में नियुक्ति - आयोग को राजनीतिक हिंसा और कट्टरपंथी इस्लाम पर विशेषज्ञता रखने वाले लोगों का मिश्रण रखना चाहिए , निर्वाचित प्रतिनिधियों, क़ानून प्रवर्तन के प्रतिनिधि, सेना, खुफिया विभाग और कूटनीतिक समुदाय, तकनीकी विशेषज्ञ , मुस्लिम सुधारक ( जैसा कि राष्ट्रपति ने जोर दिया है) और कट्टर इस्लाम से पीड़ित लोगों को भी आयोग में शामिल किया जाना चाहिए| आयोग में उन लोगों से समन्वय रखने वाले भी हों जो कि अंत में आयोग की सिफारिशें लागू करेंगे : विभिन्न विभागों के सचिव, राज्य, रक्षा, ग्रहसुरक्षा , महाधिवक्ता और सी आई ए के निदेशक |
अधिकार – आयोग को ट्रम्प के संकल्प तक अपना कार्य ले जाना चाहिए कि वह इस्लामवादियों के सिद्धांत और संकल्प की व्याख्या करे ( पूरी तरह शरियत को लागू करना) , उनके नेटवर्क का खुलासा करना, कानून प्रवर्तन के लिए नए प्रोटोकाल विकसित करना| इसके अतिरिक्त इसे बात की भी जांच करनी चाहिए कि इस्लामवादी अपने संसाधन कहाँ से प्राप्त करते हैं और इन पर रोक कैसे लग सकती है ; उन्हें इंटरनेट का उपयोग करने से कैसे रोका जाए ; आप्रवास के प्रयोग में परिवर्तन हो; और इस बात का आकलन किया जाए कि किस प्रकार राजनीतिक रूप से सही होने की विवशता कट्टरपंथी इस्लाम का आकलन करने में बाधा पहुंचाती है|
क्रियान्वयन- आयोग के कार्य को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए इसे संघीय एजेंसियों के साथ समन्वय बनाकर आंकड़े एकत्र करने चाहिए और सिफारिशें बनानी चाहिए, आधिकारिक आदेश और क़ानून लिखने चाहिये, सहयोगी दस्तावेज उपलब्ध कराने चाहिए, प्रस्ताव के लिए अनुरोध करना चाहिए , राज्य और स्थानीय सरकारों के लिए मेमो की रूपरेखा रखनी चाहिए , उपयुक्त व्यक्तियों की सिफारिश करनी चाहिए और बजट पर कार्य करना चाहिए| अंत में आयोग को इस प्रकार तैयारी करनी चाहिए कि इसकी रिपोर्ट आपराधिक प्रक्रिया में साक्ष्य के रूप में प्रयोग हो जैसा कि ऐसे मामलों में पहले भी हो चुका है| ( वारेन, रोजर्स, और टावर कमीशन )
कुल मिलाकर कट्टरपंथी इस्लाम पर व्हाइट हाउस के आयोग का उद्देश्य अमेरिका के लोगों को एकसाथ लाकर शत्रु के स्वभाव को समझने के लिए प्रेरित करना है कि किस प्रकार उस शत्रु को परास्त किया जा सके और इस उद्देश्य को प्राप्त करने की तकनीकियों में जाया जा सके|
शायद इससे लम्बे समय से चले आ रहे युद्ध पर विजय प्राप्त करने की रुकी प्रक्रिया की शुरुवात हो जो कि अब काफी दूर आ चुका है| संयुक्त राज्य अमेरिका के पास हर प्रकार का आर्थिक और सैन्य लाभ है इसके पास केवल नीति और रणनीति का अभाव है जो कि अपने योग्य आयोग के द्वारा नया प्रशासन उपलब्ध करा सकता है|