मैंने अपना पिछला सप्ताह ओमान में व्यतीत किया जो कि अन्य अरब देशों से पूरी तरह अलग है| इसके निम्न कारण हैं|
इस्लाम की तीन प्रमुख शाखाएं हैं: सुन्नी ( सभी मुसलमानों का 90 प्रतिशत ), शिया ( लगभग 9 प्रतिशत) और इबादी ( लगभग 0.2 प्रतिशत )| विश्व में ओमान एकमात्र देश है कि जहां इबादी लोग बहुसंख्यक हैं| व्यापक मुस्लिम संदर्भ में अत्यल अल्पसंख्यक होने के कारण ओमान के शासकों ने ऐतिहासिक रूप से स्वयं को मध्य पूर्व के मुद्दों से अलग ही रखा है| देश का कुछ भाग पहाडी, कुछ रेगिस्तान , कुछ भूभाग , कुछ स्थलों पर समुद्र है विशेष रूप से भारत और पूर्वी अफ्रीका से जुडा | लगभग दो शताब्दियों तक ओमान साम्राज्य को हिन्द महासागर के नियंत्रण के लिए यूरोप से संघर्ष करना पडा | ओमान ने 1964 तक अफ्रीका के जंजीबार प्रायद्वीप पर शासन किया जो कि अफ्रीका के भूभाग पर शासन करने वाला एकमात्र गैर यूरोपीय देश था |
मध्य पूर्व की समस्याओं चाहे वह अरब इजरायल का विवाद हो या ईरानी विस्तारवाद का विषय हो इन सबसे उसकी दूरी बनी रही | वर्तमान में इसके अगले दरवाजे यमन में ग्रह युद्ध की स्थिति है और ईरान ओमान के मुसंदम प्रायद्वीप में समस्याएं उत्पन्न कर रहा है जिसकी समुद्र रेखा रणनीतिक रूप से अति महत्वपूर्ण होरमुज जलडमरूमध्य तक जाती है , इनके मध्य भी ओमान एक शांति की स्थिति में विद्यमान है| जिहादवाद का कोई अस्तित्व नहीं है , ओमान में हिंसा की कोई घटना नहीं है और न ही ओमान में कोई आई एस आई एस में शामिल हुआ है |
ओमान के रेगिस्तान और समुद्र के विभाजित स्वरुप ने मिश्रित दुनियादारी और प्रायद्वीपीय अलगाव में एक तनाव उत्पन्न कर रखा है| 1932 से 1970 तक शासक सैद बिन तैमूर भारत और इराक के स्कूलों में गए और फिर वाशिंगटन में फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट से मिले; उन्होंने अपने पुत्र कबूस बिन सैद को विदेश में अध्ययन करवाया | इसके बाद भी सैद ने ओमान के लोगों को बाहरी दुनिया से अलग थलग रखा , तेल से प्राप्त राजस्व को छिपाकर रखा और बुरी नीयत से सोचा कि लोगों को अलग थलग रखने और उन्हें पिछड़ा रखने से उनका शासन सुनिश्चित रह सकता है| सांकेतिक रूप से देखें तो 1970 में इसके पास कुल मिलाकर 2 विद्युत् उत्पादक थे, 2 हस्पताल, 3 निजी स्कूल और 6 मील की कंक्रीट सड़क थी| गुलामी कानूनी रूप से वैध थी, सार्वजिक धूम्रपान नहीं| एक भी समाचार पत्र या मूवी हाउस नहीं था| उस समय ओमान के यात्रा करने वाले यात्री ने कहा कि, " इतिहास की घड़ी मध्य युग में आकर कहीं रुक गयी है" |
इन सबका परिणाम हुआ कि गरीबी और अज्ञान के बाद भी उनका शासन नहीं रह सका | जुलाई 1970 में कबूस ने अपने पिता को महल के तख्ता पलट में सत्ता से बाहर कर दिया और 47 वर्षों के बाद कबूस ही ओमान के वास्तविक शासक हैं| वे लगातार आधुनिकता के प्रयास में लगे हैं, जो कि व्यक्तिगत रूप से देश की इमारतों को देखते हैं जिसमें कि तेल रिफायनरी से ओपेरा हाउस तक शामिल है| प्रतिदिन दस लाख बैरेल पेट्रोलियम देश की अर्थव्यवस्था को संभालता है और इस पर जोर भी नहीं आने देता | 25 लाख ओमान के लोगों ने दूसरे देशों के 20 लाख लोगों को नौकरी दे रखी है, जिसमें कि अधिकतर दक्षिण एशिया के हैं|
कभी पूरी दुनिया के लिए बंद रहने वाला देश अब आसानी से पहुँच में है | 13 अमेरिकी डालर में एयरपोर्ट पर वीजा मिलता है और ओमान की नैसर्गिक सुन्दरता ने इसे उन लोगों के लिए एक स्थान बना दिया है जो कि पश्चिमी दिशा के सूर्य को देखना पसंद करते हैं और ईको पर्यटन के शौक़ीन है| यह इस कदर आकर्षक हो चुका है कि Lonely planet ने वर्ष 2012 में इसकी राजधानी मस्कट को घूमने के लिए विश्व का दूसरा सबसे अच्छा शहर बताया था |
इसके परिणामस्वरूप देश चल निकला है , देश के पिछड़े गांवों में भी बिजली जा चुकी है , राजमार्ग का सघन जाल बिछ चुका है , 91 प्रतिशत साक्षरता हो चुकी है, कालेज का नेटवर्क हो चुका है Orchestra भी है |
सदाशयी तानाशाह कबूस जिस प्रकार अपने देश पर प्रभाव रखते हैं वह पश्चिम के लोगों के लिए पूरी तरह नयी बात है| वे एक साथ प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, वित्त मंत्री हैं साथ ही सेना और पुलिस के सर्वोच्च सेनापति भी हैं| और यही नहीं तो जैसा कि Economist ने लिखा है कि " औसतन मस्कट का निवासी प्रतिदिन " सुलतान कबूस रोड, सुलतान कबूस बड़ी मस्जिद और शायद कबूस पोर्ट से भी गुजरता है" | संभव है कि वह सुलतान कबूस विश्वविद्यालय से स्नातक हो और बगल के शहर मदीनात सुलतान कबूस जाने से पहले सुलतान कबूस स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स में फुटबाल मैच देखता हो" |
2011 में जो उग्रवाद आरम्भ हुआ वह ओमान भी पहुंचा पर जैसा कि अन्य राजतंत्र के साथ हुआ अधिक धन खर्च कर उसे आसानी से नियंत्रण में ले लिया गया |
3 मार्च को बीते दशकों का सबसे बड़ा समाचार सुनने को मिला कि 76 वर्षीय बीमार, नाजुक स्वास्थ्यवाले, संतानहीन कबूस ने अपने चचेरे भाई Assad bin Tariq को उपप्रधानमंत्री नियुक्त किया है जिसे कि आम तौर पर अपना उत्तराधिकारी चुनने की दिशा में कदम माना जा रहा है | वर्षों की अटकलबाजी के बाद इस नियुक्ति से सौभाग्यवश अस्थिरता को विराम लग जाएगा|
लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले व्यक्ति के रूप में मैं राजतंत्र को पूरी तरह अस्वीकार करता हूँ| फिर भी मध्य पूर्व के विश्लेषक के तौर पर मैं मानता हूँ कि राजतन्त्र का शासन इस क्षेत्र के विकल्प के रूप में विचारकों और सेना के अधिकारियों से कहीं बेहतर है| इसलिए मैं भी उन अधिकतर ओमानवासियों की तरह आशा करता हूँ कि सरल ढंग से सत्ता हस्तांतरण हो ताकि देश को कोई नुकसान न हो|