उत्तर एटलान्टिक संधि संगठन जिसे कि नाटो के नाम से भी जानते हैं उसके समक्ष अस्तित्व का संकट है|
यह संकट सदस्य देशों द्वारा सुरक्षा पर किये जाने वाले खर्च को लेकर सहमति का नहीं है| या फिर सोवियत के टूटने के बाद अपने लिए भूमिका तलाशने का संकट भी नहीं है , या फिर रूस के व्लादिमीर पुतिन के मुकाबले खड़े होने का भी नहीं है, यह संकट तुर्की के इस्लामवादी तानाशाह शासक रिसेप तईप एरडोगन को लेकर है जिसकी नीतियों के चलते 70 साल तक चले 29 देशों के इस गठबंधन का महत्व कम हो रहा है|
1949 में निर्मित नाटो के स्थापना के सिद्धांतों में अत्यंत महत्वाकांक्षा के साथ गठबंधन के उद्देश्य को निर्धारित करते हुए कहा गया , " सदस्य देशों के नागरिकों की स्वतंत्रता , साझा विरासत और सभ्यता की रक्षा करना , इसके साथ ही लोकतंत्र , व्यक्तिगत स्वतंत्रता और क़ानून के शासन को भी स्थापित करने की बात कही गयी" | दूसरे शब्दों में इस गठबंधन की स्थापना पश्चिमी सभ्यता की रक्षा करने के लिए की गयी |
अपने पहले 42 वर्षों में जबतक कि 1991 में सोवियत संघ का पतन नहीं हो गया इसका अर्थ वारसा संधि को रोकना और हराना था | आज इसका अर्थ रूस और इस्लामवाद को रोकना और हराना है| इन दोनों में इस्लामवाद कहीं अधिक गहरा और दूरगामी ख़तरा है , यह खतरा किसी एक नेता के व्यक्तित्व पर आधारित नहीं है बल्कि एक शक्तिशाली विचारधारा पर आधारित है, जिसने कि सफलतापूर्वक फासीवाद और कम्युनिज्म के उत्तराधिकारी के रूप में बड़ी क्रांतिकारी स्वप्निल चुनौती पश्चिम के समक्ष खडी कर दी है|
नाटो के कुछ बड़े व्यक्तित्वों ने सोवियत संघ के पतन के तत्काल बाद इस परिवर्तन को पहचान लिया था | 1995 में महासचिव विली क्लेज ने दूरदर्शिता के आधार पर कहा था , " कट्टरपंथ कम से कम उतना ही खतरनाक है जितना कि कम्युनिज्म था" | शीत युद्ध समाप्त होने के बाद उनकी नजर में , " नाटो गठबंधन और पश्चिमी सुरक्षा के लिए इस्लामी उग्रवाद शायद सबसे बड़ा ख़तरा बनकर उभरा है" |
2004 में स्पेन के पूर्व प्रधानमंत्री जोसे मारिया अजनार ने चेतावनी दी थी कि, " इस्लामवादी आतंकवाद एक नया वैश्विक स्वरुप का सामूहिक खतरा है जो कि नाटो के सदस्यों के समक्ष उनके अस्तित्व पर संकट खडा करता है" | उन्होंने इस बात की वकालत की थी कि नाटो का पूरा ध्यान , " इस्लामी जिहादवाद और जनसंहारक हथियारों के प्रसार से लड़ने के लिए होना चाहिए" और इसके लिए उनका सुझाव था , " इस्लामी जिहादवाद के विरुद्ध युद्ध को नाटो गठबंधन की रणनीति का प्रमुख हिस्सा बनाया जाना चाहिए|
परन्तु क्लेज अजनार माडल पर एक शक्तिशाली नाटो द्वारा इस्लामवाद के विरुद्ध संघर्ष किये जाने की स्थिति को एरडोगन के विरोध ने अन्दर से कमजोर कर दिया है| इस्लामवाद के विरुद्ध युद्ध में मुखर होने के स्थान पर अन्य 28 सदस्य अपने भीतर ही इस्लामवाद को लेकर अलग अलग राय रखते हैं|
सभी 28 सदस्य तुर्की राज्य द्वारा अपने दक्षिण पूर्व अनातोलिया में अपने ही कुर्द नागरिकों के विरुद्ध लगभग गृह युद्ध की स्थिति को नजरअंदाज कर रहे हैं| एरडोगन के पूर्ण नियंत्रण में एक निजी सेना के उभार से भी इन्हें कोई चिंता नहीं है|
इसी प्रकार वे नाटो के बेस इन्सिर्लिक पर पहुंच को भी अंकारा द्वारा सीमित किये जाने को भी भूल रहे हैं , इसी प्रकार मित्र देशों आस्ट्रिया, साइप्रस और इजरायल के साथ तुर्की के असामान्य सम्बन्ध भी इन्हें नहीं दिख रहे और अंकारा के मेयर ने जिस प्रकार अमेरिका विरोध का प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया जिसमें उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका को तूफ़ान से कुछ अधिक तबाही की आशा की , वह भी नाटो के अन्य देश भूल से रहे हैं|
नाटो सदस्य देशों के नागरिकों के साथ खराब व्यवहार नाटो को अधिक नहीं कचोटता| जर्मनी के 12 नागरिकों की गिरफ्तारी ( जैसे डेनिज युसेल और पीटर स्तीद्नर ) हो या फिर तुर्की के लोगों की जर्मनी में हत्या की कोशिश हो , तुर्की में अमेरिका के लोगों को बंधक बनाये जाने की घटना हो ( जैसे एन्ड्रयु ब्रंसन और सेरकन गोल्गे) या फिर संयुक्त राज्य में अमेरिका के लोगों के साथ शारीरिक हिंसा ( जैसे की ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूट और शेरीडान सर्कल )|
लगता है नाटो को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि अंकारा ईरान के परमाणु कार्यक्रम की सहायता करता है , ईरान के एक तेल क्षेत्र को विकसित कर रहा है, ईरान के हथियार हेज्बोल्लाह को स्थानांतरित करता है, एरडोगन मास्को और बीजिंग के प्रभाव वाले शंघाई सहयोग संगठन में शामिल होने की बात कर रहे हैं और रूस व चीन की सेना के साथ संयुक्त अभ्यास कर रहे हैं| तुर्की ने रूस के मिसाइल रक्षा सिस्टम एस-400 को खरीदा है जो कि खरीद से अधिक चिडचिडाने वाला है| पारस्परिक अमेरिका तुर्की वीजा प्रतिबन्ध से भी किसी को कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा |
नाटो को चुनाव करना होगा| या तो ये इस बात की आशा करें कि एरडोगन एक सामयिक बात है और तुर्की पश्चिम की ओर लौट आयेगा और इस आशा में वर्तमान नीति पर चलते रहें | या फिर नाटो की उपयोगिता को इतना महत्वपूर्ण मानें कि इस अटकल की संभावना का त्याग कर दें और इस दिशा में निर्णायक कदम उठायें कि तुर्की को नाटो की गतिविधियों से तब तक रोक दें जब तक कि यह फिर से एक सहयोगी की तरह आचरण आरम्भ न कर दे | इन कदमों में कुछ निम्नलिखित हैं:
- इन्सिर्लिक से परमाणु हथियार हटाना
- इन्सिर्लिक में नाटो के कार्यकलाप को रोकना
- एफ़-35 जैसे हथियार की बिक्री को निरस्त कर देना
- हथियारों के विकास में तुर्की की भागीदारी को हटा देना
- खुफिया जानकारियाँ साझा नहीं करना
- तुर्की के सैनिकों और नौसैनिकों को प्रशिक्षण नहीं देना
- नाटो में किसी पद के लिए तुर्की के लोगों को अयोग्य घोषित कर देना
एरडोगन की वैमनस्यपूर्ण तानाशाही के विरुद्ध एक एकीकृत कदम इस बात की आवश्यकता जताता है कि विशाल नाटो गठबंधन अपने पवित्र उद्देश्य को फिर से खोजे कि अपने लोगों की , " स्वतंत्रता, साझा विरासत और सभ्यता की रक्षा करना" | इस्लामवाद से चुनौती लेकर नाटो को फिर से पश्चिमी सभ्यता को बचाने का दायित्व लेना होगा |