मेरे पुस्तकालय में पुस्तकों की एक दीवार आधुनिक इस्लाम पर है| परन्तु उन सभी में शायद ही कोई पुस्तक उस महत्वपूर्ण विषय पर आधारित है जिस पर क्रिस्टीन डगलस विलियम्स ने अध्ययन किया है| जब सारा ध्यान इस्लामवादियों पर केन्द्रित है तो किसके पास ऊर्जा और समय है कि वह मुसलमानों को आधुनिक बनाने को समर्पित हो|
निश्चित रूप से इस्लामवाद विरोधी मुसलमानों पर पुस्तकों का अभाव यही संकेत देता है कि यह काम कितना खतरनाक है, उन्हें धमकाया जाता है, अलग थलग किया जाता है और धोखेबाज मानकर ध्यान नहीं दिया जाता |
धमकी इस्लामवादियों की ओर से आती है जो इस्लाम की मध्ययुगीन भव्यता को फिर से प्राप्त करने के लिए इस्लामी कानून को पूरी तरह और कठोरता से लागू करने की वकालत करते हैं| इस्लामवादी आधुनिकतावादियों पर हथियार और शब्दों से हमला करते हैं क्योंकि उन्हें ऐसा प्रतीत होता है और जो सही भी है कि ये आधुनिक लोग वर्तमान इस्लामवादी एकाधिकार को चुनौती दे रहे हैं| हालांकि अभी इस्लामवादियों का प्रभाव अधिक है पर इस्लामवादी प्रतिक्रियावादी आधुनिकता की अपील को भली भांति समझते हैं, इसने दो अन्य आधुनिक क्रन्तिकारी स्वप्निल आन्दोलनों फासीवाद और कम्युनिज्म पर किस प्रकार विजय प्राप्त की है इसे बताने की आवश्यकता नहीं है| उन्हें पता है कि उनका आन्दोलन डूब रहा है क्योंकि मुसलमान आधुनिक जीवन के लाभों को चुनेंगें , यही कारण है कि इस्लामवादी आधुनिकतावादियों से जमकर लड़ते हैं|
वामपंथ अलग थलग पड़ चुका है | अब यह आशा की जा सकती है कि समाजवाद और इस्लामवाद के मध्य भिन्नता दोनों पक्षों को शत्रु बना देगी | उदार व्यवस्था के प्रति दोनों की रंजिश दोनों को साथ लाती है| वामपंथी पूरे उत्साह से इस्लामवाद को आधुनिकता के मुकाबले पसंद करते हैं और इसी कारण आधुनिकतावादियों को अस्वीकार करते हैं और इससे आगे जाकर उन्हें इस्लाम विरोधी करार देते हैं जो कि अपमान ही है|
इस्लाम विरोधी दक्षिणपंथी भी इन्हें अस्वीकार करते हैं | विडंबना है कि ये इस्लामवादी दावे को पुष्ट करते हैं कि इस्लामवादी ही असली मुस्लिम हैं और आधुनिकतावादियों को बाहरी, झूठे और धोखेबाज बताते हैं | इस्लाम विरोधी दक्षिणपंथी आधुनिक मुसलमानों के साथ इस्लामवादियों के समान शत्रु होते हुए भी इस्लामवादी के साथ खड़े हो जाते हैं| इनके साथ एकजुट होने के स्थान पर इसके विपरीत ये इनसे दूरी बनाकर रखते हैं और इसे ताकीया ( आडम्बर) बताकर उनके हर विश्लेषण में कमी निकाल देते हैं और इनके नेताओं पर तंज कस देते हैं|
तो क्या मुसलमानों को आधुनिक बनाने में वर्तमान विश्वसनीयता और भविष्य की संभावनाओं को स्थापित करने का खतरा है| इस्लामवादी अपनी हत्या और सांस्कृतिक आक्रामकता के चलते सुर्खियों में रहते हैं , वामपंथी वास्तविकता को नहीं देखते और इस्लाम विरोधी चूक जाते हैं| इससे भी बुरा पक्ष है कि ये विरोधी उनपर टूट पड़ते हैं और आधुनिकतावादियों के पास इसका उत्तर देने के कुछ ही अवसर हैं और व्यवस्था ( जिसे मैं 6 पी : पोलिटिसियन, प्रेस, पुलिस, प्रोस्क्यूटर, प्रोफ़ेसर और प्रीस्ट ) उनकी ओर ध्यान नहीं देती | इसका परिणाम यह होता है कि लोगों को शायद ही यह पता है कि इस्लाम को आधुनिक बनाने के प्रयास हो रहे हैं और बहुत कम लोग ही इसके अल्प परन्तु परिश्रमी नेताओं के समूह को सम्मान देते हैं| आप में से कितने लोगों ने काउन्सिल आन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशंस के बारे में सुना है ? और कितने लोगों ने सेंटर फार इस्लामिक प्लुरलिस्म के बारे में सुना है?
अब कनाडा की पत्रकार और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता क्रिस्टीन डगलस विलियम्स का इस पूरे मामले में प्रवेश होता है| उन्होंने समय निकालकर उत्तर अमेरिका के आठ अग्रणी आधुनिकतावादियों को खोजा और उन्हें अवसर दिया कि वे स्वयं को और अपने विचारों को रखें | प्रत्येक का अपना अलग द्रष्टिकोण है|
- सलीम मंसूर प्रगति के लिए मानव संघर्ष के प्रयास को नैसर्गिक मानते हैं और इसके लिए यहूदी और ईसाई के इतिहास के आधार पर इस्लाम के विकास को समझने का प्रयास करते हैं|
- अहमद सुबे मंसूर ने कुरानवादी नामक नयी और लचीली विचारधारा स्थापित की है|
- शिरीन कुदोसी मुहम्मद की लगभग पूजा जैसी स्थिति को चुनौती दे रहे हैं और समस्या पैदा करने वाली कुरान की आयतों से भिड रहे हैं|
- जलाल ज़ुबेरी इस्लामवादियों की ग्रन्थ आधारित अड़ियल रुख को सामने लाते हैं और बहुलतावाद की सराहना करते हैं|
- तौफीक हमीद इस्लामवादियों के छल पर प्रकाश डालते हैं और पश्चिम को जीत लेने की उनकी मंशा को भी दिखाते हैं|
- कंता अहमद इस्लामी क़ानून को अस्वीकार करते हैं और मुसलमानों से आग्रह करते हैं कि वे आधुनिक नागरिकों की तरह जीवन व्यतीत करें|
- ज़ुहदी जासेर इस्लामवादियों के प्रताड़ितवाद की बहस के स्वरुप की पोल खोलते हैं और देशभक्ति पर जोर देते हैं|
- राहील रज़ा आप्रवासियों की पारस्परिक मांग पर जोर देते हैं और तर्क देते हैं कि पश्चिम को अपने मूल्यों के साथ खड़े रहना चाहिए और मुसलमानों को इसके साथ आत्मसात होना चाहिए|
उनके परस्पर विरोधी रोचक द्रष्टिकोण को सामने रखने के बाद डगलस विलियम्स अपनी पुस्तक के दूसरे भाग में उनके मध्य समानता पर ध्यान देती हैं| वे आधुनिकतावादियों के प्रयासों पर ध्यान देती हैं : इस्लामवादियों के विचार के समानांतर वैकल्पिक विचार निर्मित करना; क़ुरान सहित अन्य समस्या पैदा करने वाले इस्लामी ग्रन्थों की पुनर्व्याख्या ; " इस्लामोफोबिया" के आरोपों का उत्तर देना; इजरायल को लेकर एक मानवीय स्थिति अपनाना ; इस्लामवादी एकाधिकार को चुनौती देना|
उनके सतर्क विश्लेषण से यह पता चलता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा ( सभी मुस्लिम बहुल देशों में बौद्धिक उत्पीडन के विपरीत) में प्राप्त स्वतंत्रता से इस्लाम को आधुनिक बनाने के आन्दोलन को लाभ हुआ है| उन्होंने यह स्थापित करने में सहायता की है कि यह गंभीर बौद्धिक आन्दोलन है और इससे वर्तमान आधुनिकतावादी मानचित्र पर आ गए हैं जो पहले कभी नहीं था और इससे उनके कार्य को प्रोत्साहन मिला है | इस्लामवाद के वैश्विक खतरे को देखते हुए यह एक रचनात्मक और निश्चय ही बड़ी उपलब्धि है|