आखिर यहूदी इजरायली लोग फिलीस्तीन को यह समझा सकने के बारे में क्या सोचते हैं कि इजरायलवाद के विरुद्ध चल रहा उनका शताब्दी पुराना युद्ध अब वे हार चुके हैं ? दूसरे शब्दों में , इजरायल के लोग विजय को लेकर क्या सोचते हैं?
इसे जानने के लिए मिडिल ईस्ट फोरम ने स्मिथ इंस्टीट्यूट के माध्यम से 700 वयस्क इजरायली यहूदियों पर एक सर्वेक्षण किया | 27-28 जून को किये गए इस सर्वेक्षण में 3.7 प्रतिशत त्रुटि की संभावना है| इस सर्वेक्षण से पता चलता है कि इजरायल के लोगों में बड़े पैमाने पर यह धारणा है कि फिलीस्तीनी पराजय से इजरायल को एक यहूदी राज्य के रूप में स्वीकार करने की दिशा में वे बढ़ सकेंगे और यह संघर्ष समाप्त होगा|
फिलीस्तीनी पराजय: " फिलीस्तीन के साथ कोई शान्ति समझौता तभी संभव है जब एक बार फिलीस्तीनी नेतृत्व इस तथ्य को स्वीकार कर ले कि इजरायल के विरुद्ध संघर्ष में यह पराजित हो चुका है" | कुल मिलाकर 58 प्रतिशत उत्तर देने वाले इस बात से सहमत दिखे हालांकि राजनीतिक नजरिये से यहाँ ध्रवीकरण दिखा : 69 प्रतिशत दक्षिणपंथी इस बात से सहमत हैं तो केवल 16 प्रतिशत वामपंथी इससे सहमत हैं|
इजरायल की विजय: " इजरायल और फिलीस्तीन के संघर्ष के अब तक जारी रहने का कारण यह है कि फिलीस्तीनी नेतृत्व के साथ किसी भी सैन्य अभियान या कूटनीतिक प्रयास से इजरायल को विजय प्राप्त नहीं हुई है" | वैसे तो यह पहले बयान जैसा ही लगता है पर है उसके उलट ; ऐसा करने से इजरायल के लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रिया का प्रतिशत 65 हो जाता है| अधिक आश्चर्य की बात है कि समस्त राजनीतिक ढाँचे में दक्षिण से लेकर वामपंथी तक सभी में यह जागरूकता है कि इजरायल की विजय होनी चाहिए| इस सर्वेक्षण से यह भी पता चलता है कि सभी वर्ग के मतदाता पुरुष, स्त्री, बूढ़े , बच्चे और किसी भी प्रकार से यहूदियत से जुड़े बहुसंख्यक लोग संसद में उस यहूदी राजनीतिक दल के समर्थक हैं जो इस बयान के समर्थन में है|
अमेरिकी दूतावास: " अमेरिकी दूतावास को जेरूसलम ले जाने से अधिकतर फिलीस्तीनी इसे अपनी पराजय के रूप में देखेंगे|" इसके लिए भी समर्थन का प्रतिशत 65 है और इसमें दक्षिणपंथी वामपंथियों से थोड़ा ही आगे हैं ( 68 से 58 प्रतिशत)| धार्मिक यहूदी भारी संख्या में इस बयान के समर्थन में हैं ( हेरेदी पार्टी और हा तोराह यहादुत के साथ जुड़े लोगों का 89 प्रतिशत इस बयान के साथ है) जो कि सेक्युलर लोगों से अधिक है ( हेरेदी विरोधी कुलानू से जुड़े 53 प्रतिशत इसके समर्थन में हैं) परन्तु यह किसी भी प्रकार आश्चर्य की बात नहीं है| इसी प्रकार समाज के अन्य वर्ग में भी इस बयान को मिले समर्थन पर भी आश्चर्य नहीं होता |
यहूदी राज्य: " इजरायल को विजय तभी प्राप्त होगी जब फिलीस्तीनी एक बार इजरायल को यहूदी राज्य के रूप में स्वीकार कर लेंगे|" इसमें भी 67 प्रतिशत लोग बयान से सहमत हैं पर इसे अधिक गहराई से तोड़कर देखें तो पहले बयान की तरह राजनीतिक विभाजन दिखाई देता है : 76 प्रतिशत दक्षिणपंथी बयान से सहमत हैं जबकि 26 प्रतिशत वामपंथी बयान से सहमत हैं| दूसरी ओर राजनीतिक दल से जुडाव से इसमें अधिक अंतर नहीं आया है ( हा तोराह यहादुत और कुलानु दोनों के 71 प्रतिशत सदस्य इसके समर्थन में हैं) केवल एक अपवाद मेरेज़ का है ( इसके सदस्यों का समर्थन प्रतिशत 33 का है)|
इन आंकड़ों से क्या अर्थ निकाला जाये? चार के चार बराबर के प्रश्नों का बहुमत से समर्थन इस बात की ओर संकेत देता है कि 1992 में ओस्लो समझौते के बाद से इजरायल की जनता पर्याप्त मात्रा में आगे बढ़ी है| अब इन्हें इस बात में कोई विश्वास नहीं है कि इजरायल के सद्भाव से फिलीस्तीन की ओर से भी वही आचरण किया जाएगा , फिलीस्तीन नेताओं को महत्व दिया जाए या फिर तुष्टीकरण में भी उन्हें भरोसा नहीं है| इस विश्वास को लगातार 58 से 67 प्रतिशत का समर्थन इस बात को पुष्ट करता है कि अधिकतर यहूदी अब कुछ अलग और कठोर नीति चाहते हैं|
अधिक आश्चर्य और अफरा तफरी कुल आंकड़ों के नीचे छुपी है| इनमें से दो मुद्दा ( पराजय और यहूदी राज्य) दक्षिणपंथी और वामपंथी आधार पर विभाजित है और दो ( विजय और अमेरिकी दूतावास) के आधार पर यह तथ्य स्पष्ट होता है कि कौन से मुद्दे को आगे बढ़ाया जाए और इस आधार पर यह स्पष्ट है कि कौन किस मुद्दे का समर्थन कर रहा है| इजरायल को एक यहूदी राज्य के रूप में स्वीकार करना और अमेरिका दूतावास को जेरूसलम लाना देखने में समान मुद्दे दिखते हैं पर इनको लेकर व्यवहार में भिन्नता है| उदाहरण के लिए अति वामपंथी मेरेज़ दल दूतावास को जेरूसलम लाने के मुद्दे का समर्थन 67 प्रतिशत तक करते हैं पर यहूदी राज्य को लेकर उनका समर्थन 33 प्रतिशत का है|
अधिकतर वयस्क यहूदी फिलीस्तीनी पराजय और इजरायल की विजय चाहते हैं और इसी कारण 11जुलाई को केनेसेट इजरायल विक्ट्री काकस को आरम्भ करने की उपयोगिता सिद्ध होती है | ओडेड फोरेर ( इजरायल बितिनू) और याकोव पेरी ( येश एतिद) के सह सभापतित्व में बने इस काकस में अमेरिकी सरकार की ओर से इजरायल की विजय के लिए हरी झंडी दिए जाने के बाद इजरायल की रणनीति की तलाश की जायेगी |
2013 में इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री के सहयोगी ने इजरायल के अधिकाँश लोगों से शान्ति प्रक्रिया पर बहस के बारे में कहा था , " यह उसी के समान है कि जैसे मंगल पर उतरने के बाद आप कैसी शर्ट पहनेंगे|" अब समय है कि निराशा और उलटा परिणाम देने वाली बातचीत से परे संघर्ष को समाप्त करने के लिए समय सिद्ध रास्ते विजय का मार्ग लिया जाए|