क्या यूरोप 1930 की भयावहता की ओर लौट रहा है? इस अवसर के अनुकूल मैक्स होलेरान ने न्यू रिपब्लिक में लिखा है कि, " पिछले दस वर्षों में नए दक्षिणपंथी राजनीतिक आन्दोलन ने नव नाजियों के गठबंधन को मुख्यधारा के मुक्त बाजार परम्परावादियों के साथ ला दिया है , और इस प्रकार उस राजनीतिक विचारधारा को सामान्य बना दिया है जिसने अतीत में लोगों तो सतर्क कर दिया था" | उनके अनुसार इस रुझान ने " नस्लवादी लोकप्रियतावाद" को बढ़ावा दिया है| केटी ओडोनेल ने पोलोटिको में लिखते हुए इससे सहमति जतायी : " राष्ट्रवादी पार्टियों का प्रभाव इटली से फिनलैंड तक हर जगह है , इस बात की आशंका इस महाद्वीप में व्याप्त हो गयी है कि यह उन नीतियों की ओर फिर खिसक रहा है जिसने कि 20वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में विनाश को न्योता दिया था" | मेनाकेम मार्गोलिन जैसे यहूदी नेता जो कि यूरोपियन यहूदी संघ के प्रमुख हैं उनके अनुसार भी " समस्त यूरोप में लोकप्रिय आन्दोलन ने एक वास्तविक ख़तरा उत्पन्न कर दिया है|"
राष्ट्रीय समाजवाद के जन्मस्थान जर्मनी और आस्ट्रिया ने स्वाभाविक रूप से अधिक चिंतित कर दिया है विशेष रूप से 2017 के चुनावों के बाद , जब अल्टरनेटिव फार जर्मनी ( AfD) को 13 प्रतिशत मत प्राप्त हुए और फ्रीडम पार्टी आफ आस्ट्रिया ( FPO) को 26 प्रतिशत मत प्राप्त हुए | जर्मनी में सेमेटिज्म संघर्ष के आयुक्त फेलिक्स क्लेन के अनुसार एएफडी " सेमेटिक विरोध को फिर से सामने लाने में सहयोग कर रहा है|" आस्ट्रिया के यहूदी समुदायों के अध्यक्ष आस्कर ड्यूच भी इस तर्क से सहमत हैं कि एफपीओ ने स्वयं को कभी भी " नाजी अतीत से अलग नहीं किया है"
क्या यह उचित है? या फिर यह उग्रवाद यूरोप की उस स्वस्थ प्रतिक्रिया को व्यक्त करता है जिसके अनुसार वे खुले आप्रवास और इस्लामीकरण से अपनी जीवन शैली को बचाने का प्रयास कर रहे हैं?
यदि चर्चा का आरम्भ करें तो बहस में आ रहे इस रुझान को क्या कहें? जिन राजनीतिक दलों पर चर्चा हो रही है उन्हें अति दक्षिणपंथी कहा जा रहा है पर यह अनुचित है, क्योंकि उनकी नीतियों में दक्षिणपंथी नीतियों ( संस्कृति पर जोर) और वामपंथी नीतियों ( आर्थिक पर जोर) का मिश्रण है|
उदाहरण के लिए फ्रांस में नेशनल रैली ने देश के बैंकों के राष्ट्रीयकरण का आह्वान कर वामपंथी समर्थकों को आकर्षित किया | निश्चित रूप से पूर्व कम्युनिष्ट इनके समर्थक बन रहे हैं : फ्रांस के शहरों में नेशनल रैली के समर्थन में सबसे आगे रहने वाले हेनिन बेमोन्ट इससे पहले कम्युनिष्टों में से एक थे|
देर स्पीजेल के चार्ल्स हावले का दावा है कि, " सभी राजनीतिक दल अपने मूल में राष्ट्रवादी हैं" परन्तु यह ऐतिहासिक रूप से असत्य है| ये सभी देशभक्त हैं , राष्ट्रवादी नहीं हैं , रक्षात्मक हैं , आक्रामक नहीं | वे फ़ुटबाल टीम के लिए तैयार हो रहे हैं , न कि सैन्य विजय के लिए|
उनका उल्लास इंग्लिश रिवाजों के लिए है न कि ब्रिटिश साम्राज्य के लिए: बिकिनी के लिए है न कि जर्मन के रक्तशुद्धता के लिए| उनकी आकांक्षा न तो साम्राज्य के लिए है और न राष्ट्रीय श्रेष्ठता का दावा कर रहे हैं| शास्त्रीय रूप से राष्ट्रवाद की चिंता शक्ति, धन और यश के लिए होती है पर इनका अधिक ध्यान परम्परा, रिवाज और संस्कृति पर है| भले ही इन्हें नव नाजी या नव फासीवादी कहा जाए पर इनका जोर व्यक्तिगत स्वतन्त्रता और परम्परागत संस्कृति पर है एक जन , एक देश और एक नेता का नारा इन्हें आकर्षित नहीं करता |
उचित होगा कि उन्हें " सभ्यतावादी" कहा जाये , और उनकी सांस्कृतिक प्राथमिकता पर जोर दिया जाए , क्योंकि उन्हें यह देखते हुए इस बात की गहरी निराशा है कि उनकी जीवन शैली लुप्त हो रही है| उन्हें यूरोप और पश्चिम की परम्परा का उल्लास है और वामपंथ से प्रेरित आप्रवास से हो रहे इस आक्रमण से वे अपनी रक्षा करना चाहते हैं| ( " सभ्यतावाद" के उपयोग में यह अतिरिक्त लाभ है कि उन राजनीतिक दलों को निकाला जा सकता है जो पश्चिमी सभ्यता के प्रति सहज नहीं हैं जैसे कि ग्रीस की नव नाजी गोल्डन डान)
सभ्यतावादी पार्टियां लोकप्रियतावादी हैं, आप्रवास विरोधी हैं और इस्लामीकरण विरोधी हैं | लोकप्रियतावादी का अर्थ है व्यवस्था के विरुद्ध शिकायत का समर्थन और उन कुलीन लोगों पर शक जो कि इन चिंताओं या शिकायतों की उपेक्षा करते हैं या इनका उपहास करते हैं|
ये कुल छः पी हैं : पुलिस, राजनेता, प्रेस, पुजारी, प्रोफ़ेसर, और सरकारी मुकद्दमा लड़ने वाले| 2015 में जब आप्रवास अपने चरम पर था और लगभग अप्रवास की सुनामी थी तो जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने अनियंत्रित आप्रवास को लेकर एक मतदाता की चिंता का उत्तर देते हुए उसे फटकार लगाते हुए इसके लिए यूरोप की विफलता को उत्तरदायी ठहराया और चर्च में अधिक बार जाने की सलाह दी |
आप्रवास के यूरोपियन आयुक्त दिमित्रिस अवरामोपोलस ने स्पष्ट रूप से घोषणा की थी कि यूरोप " कभी भी आप्रवास रोक नहीं पायेगा" और अपने साथी नागरिकों को भाषण देना आरम्भ कर दिया : " यह सोचना बचपना होगा कि कोई बाड़ बना देने से हमारा समाज एक समान हो जाएगा और आप्रवास से मुक्त हो जायगा ....हमें आप्रवास, गति और विविधता को नए नियम के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए |" स्वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री फ्रेडरिक रिनफेल्ड ने अधिक आप्रवास का आग्रह किया : " मैं अक्सर स्वीडन के ऊपर से उड़ता हूँ और ऐसी ही सलाह अन्य लोगों को भी देता हूँ | इतने मैदान और जंगल हैं कि उनका अंत नहीं है | इतना अधिक स्थान है कि जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते|"
यह बात ध्यान देने की है कि ये तीनों यूरोप में परम्परावादी या कंजर्वेटिव को दर्शाते हैं| अन्य जैसे फ्रांस में निकोलस सरकोजी और ब्रिटेन के डेविड कैमरोन ने बातें तो कठोर कीं पर शासन नरम ही किया| उनकी ओर से आप्रवास विरोधी जनभावना का आदर नहीं करने का परिणाम है अधिकांश यूरोप में सभ्यतावादी पार्टियों के लिए अवसर बन गया| 1956 में बनी एफ़पीओ से लेकर नीदरलैंड्स की न्यू फोरम फार डेमोक्रेसी ( 2016) तक ने एक चुनावी और सामाजिक शून्यता को भर दिया |
इटली की लीग की अगुवाई में सभ्यतावादी पार्टियां आप्रवास विरोधी हैं , जो हाल के दशकों के आप्रवास को नियन्त्रित, कम करना या फिर उन्हें उलट क्रम में करना चाहती हैं , विशेष रूप से मुस्लिम और अफ्रीकी आप्रवास को| इन दोनों वर्गों को चिन्हित इसलिए नहीं किया गया है कि कोई पूर्वाग्रह है ( इस्लामोफोब या नस्लवाद) बल्कि इसलिए कि ये दोनों ही वर्ग ऐसे हैं जो कि विदेशियों से सबसे कम घुलते मिलते हैं और इनके साथ अनेक समस्याएं भी हैं जैसे ये काम नहीं करते अपराध में शामिल हैं और इस बात का भय है कि ये अपने तरीके यूरोप पर थोप देंगे|
अंत में, राजनीतिक दल जो इस्लामीकरण विरोधी हैं | जैसे जैसे यूरोप के लोगों को इस्लामी कानून के बारे में पता चला ( शरियत) उन्हें महिलाओं को लेकर इसकी स्थिति पर चिंता हो रही है जैसे, निकाब और बुर्का, बहुविवाह, तहर्रुष ( यौन आक्रमण) , आनर किलिंग और महिलाओं का खतना | अन्य चिंताएं हैं जैसे गैर मुस्लिम को लेकर मुस्लिम का व्यवहार , जिसमें कि ईसाई और यहूदी के प्रति व्यवहार , जिहादी हिंसा, और इस बात पर जोर कि इस्लाम अन्य धर्मों के मुकाबले विशेषाधिकार रखता है|
यह बात ध्यान देने की है कि समस्त यूरोप की जो भौगोलिक स्थिति है उसमें सेनेगल से मोरक्को और फिर इजिप्ट से तुर्की और चेचन्या तक भारी मात्रा में संभावित आप्रवासी समस्त महाद्वीप में गैर कानूनी तरीके से समुद्र या थल मार्ग से प्रवेश कर जाते हैं| इटली से अल्बानिया की दूरी 75 किलोमीटर है , टूनीशिया से इटली की दूरी ( पैन्टेलेरिया का छोटा द्वीप) 60 किलोमीटर है,जिब्राल्टर के जलडमरू के पार मोरक्को से स्पेन की दूरी 14 किलोमीटर है अनातोलिया से ग्रीक द्वीप सामोस की दूरी मात्र 1 .6 किलोमीटर है , एव्रोस नदी के उस पार तुर्की से ग्रीस की दूरी कोई 100 मीटर के आसपास है, इसी प्रकार मोरक्को से स्पेन के एनक्लेव सेउता और मेलिला की दूरी 10 मीटर की होती है|
संभावित आप्रवासियों की संख्या हर प्रवेश बिंदु पर एकत्र होती है और कुछ मामलों में प्रवेश के लिए हिंसा पर भी उतर आती है| 2015 में यूरोपियन यूनियन में बढ़ोत्तरी आयुक्त जोहानेस हान ने अनुमान लगाया था "यूरोप के दरवाजे पर दो करोड़ शरणार्थी इन्तजार कर रहे हैं|" वैसे तो यह संख्या सुनने में अधिक लगती है परन्तु जब आर्थिक प्रवासी को इसमें मिला दें तो यह संख्या कहीं अधिक हो जाती है; विशेष रूप से जब जल की कमी के चलते मध्य पूर्व के लोग अपने घरों से भाग रहे हैं , आप्रवास की इच्छा रखने वाले यूरोप की 74 करोड़ जनता की ओर रुख करेंगे |
लगभग बिना किसी अपवाद के सभ्यातावादी पार्टियां अनेक गंभीर समस्याओं से जूझ रही हैं | इनके अन्दर अनेक अयोग्य लोग हैं और उनमें अनेक समस्या उत्पन्न करने वाले हैं जो कि मुस्लिम विरोधी अतिवादी, नस्लवादी, अनेक लोग सत्ता के लालची हैं, षड्यंत्रकारी सिद्धांत के, ऐतिहासिक पुरातनवादी और नाजी अतीतवादी भी हैं| तानशाह अपनी पार्टियों को अलोकतांत्रिक ढंग से चलाते हैं और संसद पर नियंत्रण चाहते हैं और साथ ही मीडिया, न्यायपालिका, स्कूल सहित प्रमुख संस्थाओं पर | ऐसे लोग अमेरिका विरोधी विचार को बढ़ावा देते हैं और मोस्को से धन प्राप्त करते हैं|
ऐसी कमियाँ चुनावी कमजोरी में सामने आती हैं , जैसे कि यूरोप के लोग उन पार्टियों को वोट देने से बचते हैं जिनका विचार स्पष्ट नहीं है और स्वरुप नकारात्मक है| मतदान के अनुसार जर्मनी में मतदान करने वाले 60 प्रतिशत लोग इस्लाम और मुस्लिम को लेकर चिंतित हैं परन्तु उनमें से केवल 1\5 लोगों ने ही एएफडी के लिए वोट किया | चुनाव में आगे बढ़ने के लिए और अपनी क्षमता को प्राप्त करने के लिए सभ्यतावादी पार्टियों को मतदाताओं को यह विश्वास दिलाना होगा कि शासन के लिए उन पर भरोसा किया जा सकता है| पुरानी पार्टियां जैसे एफपीओ बदल रहे हैं जैसा कि व्यक्तिगत लड़ाई, पार्टी विभाजन और अन्य नाटकों से पता चलता है , कैसा भी यह प्रसंग रहा हो पर यह प्रक्रिया आवश्यक और रचनात्मक दोनों है|
सेमिटिक विरोध वह मुद्दा है जो सभ्यतावादी पार्टियों को सबसे अधिक अमान्य बना देता है और इसको लेकर तीव्र बहस आरम्भ हो जाती है और इसलिए इस विषय पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है| आम तौर पर पार्टियों का आरम्भ आशंका के घेरे में रहता है , इनके साथ फासीवादी तत्व भी होते हैं और सेमेटिक विरोधी संकेत भी देते रहते हैं| यूरोप में यहूदी नेता सभ्यतावादियों की निंदा करते हैं और इस बात पर जोर देते हैं कि इजरायल भी ऐसा ही करे और यहाँ तक कि यदि सभ्यतावादी सत्ता में हों और इजरायल उनके साथ कार्य व्यवहार करे तो भी | आस्ट्रिया के यहूदी समुदाय के पदेन अध्यक्ष एरियल मुजीकांट ने जेरूसलम से एफपीओ का बहिष्कार करने की अपील की और ऐसा न करने पर कहा , अन्यथा वे जेरूसलम के विरोध में सदैव रहेंगे |
परन्तु तीन बिंदु हैं जो इन चिन्ताओं को दूर करते हैं : पहला, सभ्यातावादी पार्टियां सामान्य रूप से परिपक्व होने के बाद यहूदी को लेकर अभिभूत नहीं रहते | क्योंकि जीन मेरी ली पेन के सेमेटिक विरोधी विचार के चलते उनकी पुत्री मरीन ली पेन ने वास्तव में 2015 में उन्हें पार्टी के बाहर कर दिया जिस पार्टी को उन्होंने 1972 में निर्मित किया था | बीते दिसंबर में हंगरी में जोबिक ने अपना सेमेटिक विरोध का पुराना रवैया त्याग दिया|
दूसरा, सभ्यातावादी नेता इजरायल के साथ अच्छे रिश्ते चाहते हैं| वे याद वाशेम जाकर अपना सम्मान प्रदर्शित करते हैं और कुछ मामलों में ( चेक राष्ट्रपति और आस्ट्रिया के वाइस चांसलर ) अपने देश के दूतावास को जेरूसलम ले जाने का समर्थन करते हैं| सभ्यातावादी पार्टी फिदेज़ के द्वारा संचालित हंगरी सरकार ने इजरायल के साथ निकट का सम्बन्ध रखा है जो यूरोप में इजरायल के साथ सबसे निकट संबध है| इस परिपाटी को इजरायल में भी समझा गया है, उदाहरण के लिए लिकुड पार्टी के गिदोन सार ने सभ्यातावादी पार्टियों को " इजरायल का स्वाभाविक मित्र" बताया है|
अंत में , सभ्यातावादी पार्टियों की यहूदियों से जो भी समस्या हो, यह समस्या वामपंथ के सेमेटिक विरोध और इजरायल विरोध के मुकाबले बहुत कम है , विशेष रूप से स्पेन, स्वीडेन और ब्रिटेन में| ब्रिटेन की लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन इस रुझान के प्रतीक हैं जिन्होंने यहूदी के हत्यारे को अपना मित्र बताया और स्वयं को उसके साथ खुलेआम जोड़ा| जैसे सभ्यतावादी नेता सेमेटिक विरोध को छोडने के लिए संघर्ष कर रहे हैं तो उनके विरोधी इस गन्दगी में अपना सर डुबो रहे हैं|
बीस वर्षों के अंतराल में सभ्यतावादी पार्टियों ने स्वयं को अप्रासंगिक स्थिति से करीब आधे यूरोप के देशों में महत्वपूर्ण शक्ति बना लिया है| शायद इसका सबसे नाटकीय प्रमाण स्वीडेन से आया है जहां कि स्वीडेन डेमोक्रेट का मत प्रतिशत हर चार वर्ष में लगभग दुगुना होता गया है: 1998 में 0.4 प्रतिशत, 2002 में 1.3 प्रतिशत, 2006 में 2.9 प्रतिशत, 2010 में 5.7 प्रतिशत , 2014 में 12.9 प्रतिशत| 2018 में यह मत प्रतिशत केवल 17.6 ही रहा पर यह बताने के लिए पर्याप्त है स्वीडेन की राजनीति में यह एक महत्वपूर्ण शक्ति बन गयी है|
किसी अन्य सभ्यातावादी पार्टी का विकास इस प्रकार गणित के अनुसार नहीं हुआ है पर मत और सर्वेक्षण बताते हैं कि उनका समर्थन बढेगा | डच सभ्यतावादी पार्टी के नेता गीर्ट वाइल्दर्स का मानना है, " यूरोप के पूर्वी भाग में इस्लामीकरण विरोधी और बहुसंख्य आप्रवास के विरोध में लोकप्रिय समर्थन है | पश्चिम में भी यह प्रतिरोध बढ़ रहा है|" उनके पास सत्ता के तीन रास्ते हैं|
(1) अपने बल पर: सभ्यतावादी पार्टियां हंगरी और पोलैंड में अपने बल पर शासन में हैं| वारसा संधि के सदस्य रहे इन देशों के लोग जिन्होंने अपनी स्वतन्त्रता केवल एक पीढी पहले प्राप्त की है और जिन्होंने पश्चिम यूरोप में हो रही गतिविधि को निराशा के भाव से देखा उन्होंने अपना रास्ता स्वयं निकाल लिया | इन दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने स्पष्ट रूप से मुस्लिम आप्रवासियों को अस्वीकार किया है( अपना दरवाजा केवल उन मुस्लिम के लिए खोला है जो नियम का पालन करते हैं) | पूर्वी यूरोप के अन्य देशों ने भी इसी रास्ते पर चलना तय किया है|
(2) विरासत वाली कंजर्वेटिव पार्टियों के साथ हाथ मिलाकर: जैसे जैसे कंजर्वेटिव पार्टियों के मत सभ्यतावादी पार्टियों की ओर जा रहे हैं वे प्रतिक्रिया में आप्रवास विरोधी और इस्लामीकरण विरोधी नीतियों को अपना रहे हैं और सभ्यतावादी पार्टियों से हाथ मिला रहे हैं| अभी तक ऐसा केवल आस्ट्रिया में हुआ है जहां कि आस्ट्रियन पीपुल्स पार्टी और एफपीओ ने मिलकर 58 प्रतिशत मत प्राप्त किये हैं और दिसम्बर 2017 में गठबंधन सरकार बनायी , परन्तु आने वाले समय में और गठबंधन होंगे|
2017 में फ्रांस में रिपब्लिकन राष्ट्रपति उम्मीदवार सभ्यतावाद की ओर गए और उनके उत्तराधिकारी लौरेंट वाकिज़ इसी रास्ते पर हैं| स्वीडेन की नाममात्र की कंजर्वेटिव पार्टी द माडरेट्स ने स्वीडेन डेमोक्रेट्स के साथ सहयोग आरम्भ कर दिया है| जर्मनी की फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी ने भी सभ्यतावाद का रुख किया है| मर्केल भले ही अभी जर्मनी की चांसलर हैं पर उनकी सरकार में आप्रवास के उनके रुख का विरोध हो रहा है विशेष रूप से उनके गृह मंत्री और उनके सहयोगी हार्स्ट सियोफर इन मामलों में अधिक कठोर नीति की बात करते हैं और यहाँ तक कहते हैं कि इस्लाम जर्मनी का हिस्सा नहीं है|
(3),अन्य दलों के साथ मिलकर: इटली की अराजकतावादी , कुछ अर्थों में वामपंथी फाइव स्टार आन्दोलन ने सभ्यतावादियों के साथ हाथ मिलाया और जून में सरकार बनायी | सभ्यतावादी विकास के क्रम में कुछ वामपंथी दलों जैसे स्वीडेन सोशल डेमोक्रेट ने भी आप्रवास विरोधी नीति को अपनाया | डेनमार्क में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाया जब इसके नेता मेट फ्रेडरिक्सेन ने यूरोप के बाहर आगंतुक केंद्र बनाकर डेनमार्क में आने वाले गैर पश्चिमी लोगों की संख्या को सीमित करने की घोषणा की ,इन केन्द्रों पर उन लोगों तो तब तक रोका जाएगा जब तक इनके शरण के प्रर्थानापत्र को जांच नहीं लिया जाता |जब उनका शरण का प्रर्थानापत्र स्वीकार हो जाएगा उन्हें यूरोप से बाहर ही रखा जाएगा और उनका खर्च डेनमार्क के करदाता वहन करेंगे |
इस विचार को अधिक विस्तार देते हुए वामपंथी राजनीतिक विचारक याशा मौंक ने तर्क दिया कि, " एक समान पहचान वाले देशों को वास्तविक रूप से बहुनस्ली देश के रूप में बदलना ऐतिहासिक रूप से एक अद्भुत प्रयोग है|" यह बात समझने की है कि वे भी इस बात को मानते हैं कि " इस प्रयोग का विरोध भी हुआ है|"
जैसे जैसे सभ्यतावादी पार्टियों का समर्थन और शक्ति बढ़ रही है इन्होंने आप्रवास और इस्लाम को लेकर चुनौतियों के लिए अन्य पार्टियों की आँखे भी खोल दी हैं | कंजर्वेटिव जिनके व्यापारिक सहयोगी सस्ते मजदूरों से लाभ प्राप्त करते हैं उन्होंने इन मुद्दों से अपनी आँखें मूँद रखी हैं | वामपंथी पार्टियां आमतौर पर आप्रवास को बढ़ावा देती हैं और इस्लाम से सम्बंधित मुद्दों पर एकांगी रवैया अपनाती हैं| स्वीडेन और ब्रिटेन जैसे दो देश जहां कि सांस्कृतिक रूप से आक्रामक और आपराधिक रूप से हिंसक आप्रवास की स्थिति के बाद भी इनका ढीला रुख इस बात को सिद्ध करता है कि सभ्यतावादी पार्टियों की भूमिका क्या है?
ब्रिटेन में ऐसी पार्टी नहीं हैं इसलिए इन मुद्दों को नहीं छुवा जाता : रोतेरहम और अन्य स्थानों पर ब्रिटेन के मुस्लिम समुदाय में बलात्कार के गैंग वर्षों से सक्रिय हैं और यहाँ तक कि दशकों से पर छह पी ने इस ओर से आँखें मूँद रखी हैं| इसके विपरीत स्वीडेन डेमोक्रेट ने देश की राजनीति को बदल दिया है कि दक्षिण और वामपंथी संसदीय गुट ने विशाल गठबंधन बना लिया है ताकि इसका प्रभाव रोका जा सके| यह दांवपेंच अल्प समय के लिए भले काम करे पर स्वीडेन डेमोक्रेट के अस्तित्व ने नीतिगत परिवर्तन को प्रेरित किया है जैसे गैर कानूनी आप्रवास को कठिन करना |
इसी प्रकार पूर्व सोवियत का हिस्सा रहे देश नाटो की विरासत के सदस्य देशों में बाधा बन रहे हैं| इस मामले में हंगरी में प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बान खड़े हैं और यूरोप की समस्याओं को लेकर उनका मत निश्चित है और यूरोपियन संघ के पुनर्निर्माण को लेकर उनकी महत्वाकांक्षा भी स्पष्ट है| सामान्य रूप से मध्य यूरोप और विशेष रूप से हंगरी का असाधारण प्रभाव विस्तार आप्रवास और इस्लामीकरण के विरोध में उसके रुख के चलते हो रहा है|
मुझे आशा है कि मेरी ओर से दो मूलभूत बिंदु स्थापित किये गए हैं| पहला, सभ्यतावादी पार्टियां अपरिपक्व , भूल करने के दौर में हैं पर वे खतरनाक नहीं हैं , उनके सत्ता में आने से यूरोप 1930 के असम्मानजनक निम्न दौर में नहीं जाएगा | दूसरा उनका विस्तार हो रहा है तो अगले बीस वर्षों में इनका अधिकतर शासन होगा और इनका प्रभाव कंजर्वेटिव और वामपंथी दोनों पर होगा | इस आशा में इनका तिरस्कार, इनकी उपेक्षा करना कि ये लुप्त हो जायेंगी एक असफल प्रयास साबित होगा| ऐसे प्रयासों से उन्हें सत्ता में आने से नहीं रोका जा सकेगा बल्कि उनका विरोध करने से उलटे उन्हें अधिक लोकप्रियता और क्रान्ति का रास्ता मिलेगा |
छः पी को सभ्यतावादियों को मान्य करना चाहिए और उनके साथ कार्य व्यवहार करना चाहिए , उन्हें इस बात के लिए प्रेरित करना चाहिए कि वे अतिवादी तत्वों से मुक्त हों , उन्हें व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने में सहयोग करना चाहिए और शासन के लिए तैयार करने में उनकी सहायता करनी चाहिए| परन्तु यह एकतरफा मार्ग नहीं है सभ्यतावादियों से भी कुलीन लोगों को कुछ सीखना है जो कि परम्परागत रास्तों को बचाए रखने की अंतर्द्रष्टि रखते हैं और पश्चिमी सभ्यता को बनाए रखने के लिए भी |