खोजी लेखक गेरॉल्ड पोजनर ने रैन्डम हाउस द्वारा इस महीने के अंत में प्रकाशित होने वाली अपनी पुस्तक Secrets of kingdom: The inside story of the Saudi-US connection. में कुछ असाधारण तथ्यों को उजागर किया है .उनके अनुसार सउदी सरकार ने अपने तेल और गैस ठिकानों को खुद ही उड़ाने की ऐसी पद्धति विकसित कर रखी है जो उसे कमीशनों के दायरे से दशकों तक बाहर रखेगा. यदि यह सत्य है तो इससे तो विश्व अर्थव्यवस्था को कभी भी नीचा देखना पड़ सकता है .
पोजनर 1970 में तेल की ऊंची कीमतों और सीमित उत्पादन के समय की याद दिलाते हैं जब अमेरिका की ओर से संकेत दिए गए थे कि सउदी अरब के तेल क्षेत्र को अपने नियंत्रण में लेने के लिए अमेरिका उसपर आक्रमण कर सकता है .उदाहरण के लिए 1975 में राज्य सचिव हेनरी किसिनगर ने अपने संदिग्ध जवाब में सउदी प्रशासन को धमकी दी थी . “मैं नहीं कह रहा हूं कि ऐसी कोई परिस्थिति नहीं है कि जब हम उनके विरुद्ध ताकत का इस्तेमाल नहीं करेंगे.” पोजनर ने दिखाया है कि इसके जवाब में सउदी नेतृत्व ने ऐसा घटित न होने देने के तरीकों पर विचार शुरु कर दिया .ऐसा वे सेना एकत्र कर नहीं कर सकते थे क्योंकि अमेरिका की मजबूत सेना के सामने उनका टिक पाना संभव न था इसलिए वर्तमान इतिहास की सर्वाधिक सृजनात्मक और कम करके आंकी गई राजनीतिक ताकत वाली राजशाही ने अप्रत्यक्ष रोक के तरीकों पर विचार किया . अपने तेल ठिकानों की सुरक्षा करने के बजाए उन्होंने ठीक इसके विपरीत अपने तेल और गैस ठिकानों के आस – पास गोपनीय तरीके से विस्फोटकों को नियोजित किया ताकि विस्फोट पर लंबे समय तक काबू न पाया जा सका .
दस पुस्तकों के लेखक पोजनर ( जिसमें जॉन एफ केनेडी की हत्या से संबंधित पुस्तक केस क्लोज्ड भी शामिल है.) ने “Scorched Earth” नामक अध्याय में इसका विस्तृत वर्णन किया है कि जो उन्होंने खुफिया बातचीत को सुनकर किया है . उनके अनुसार इस विषय पर सउदी सरकार ने गंभीरता पूर्वक विचार तब शुरु किया जब 1990 -91 के कुवैत युद्ध में इराक ने अपने तेल क्षेत्रों में आग लगा दी .इसकी प्रतिक्रिया में सउदी प्रशासन ने अपने तेल को बाज़ार से हटाकर रखने के तरीकों पर विचार शुरु कर दिया .उन्होंने इसे आरंभ करते हुए ऐसी संभावनाओं पर विचार शुरु किया ताकि एक बटन की स्वत: विनाश की पद्धति विकसित की जा सके . ऐसा करके वे सुनिश्चित करना चाहते थे कि यदि कोई दूसरा देश विश्व के सबसे बड़े तेल क्षेत्र पर कब्जा कर लेता है और उन्हें अपने देश से हटने पर विवश करता है तो कम से कम सउद परिवार इतना जरुर सुनिश्चित करे कि उसने अपने पीछे जो कुछ छोड़ा है उसकी कोई कीमत नहीं है .राजघराने के लिए यह सर्वोच्च प्राथमिकता बन गई .
पोजनर ने तोड़-फोड़ की इस प्रक्रिया का पूरा विवरण दिया है कि किस प्रकार चेकोस्लोवाकिया से विस्फोटक प्राप्त करने का प्रयास हुआ और विकिरण पद्धति से तेल को नए उत्पादन के अयोग्य करने की चेष्टा की गई. एक से अधिक रेडियो एक्टिव लगाने की संभावना बनी रही . इसमें रुबिडियम , सीसियम 137 और स्ट्रोंटियम 90 शामिल है. पोजनर की व्याख्या के अनुसार इन तत्वों को इकट्ठा करना उनके लिए कठिन नहीं था क्योंकि वे परमाणु हथियार की होड़ में शामिल देशों में शुमार नहीं थे और न ही कोई सउदी सरकार की इस मंशा को भांप पाया . यह कल्पना करना असंभव है कि कोई देश इन तत्वों को इकट्ठा कर इन्हें विस्फोटकों के रुप में गोपनीय तरीके से अपने ही देश में तैनात करेगा और वह भी स्वत: विनाश के लिए . इसके बाद सउदी इंजीनियरों ने विस्फोटकों और रेडियोएक्टिव तत्वों को तेल और गैस ठिकानों के पास गोपनीय तरीके से तैनात कर दिया .भविष्य के उत्पादन के लिए जीवन धारा का काम करने वाले तेल क्षेत्र को तार से घेर दिया गया और इस क्षेत्र में स्थित कम्प्यूटर पद्धति, तेल क्षेत्र से तेल लाने वाली पाईपलाईन , तेल क्षेत्र में पानी उपलब्ध कराने वाली पद्धति , बिजली व्यवस्था और विद्युत संचार को समाप्त करने के लिए भी ये तार लगाए गए.यही नहीं सउदियों ने पाईपलाईन , पम्पिंग स्टेशन जेनरेटर , रिफाईनरी , स्टोरेज कंटेनर , निर्यात सुविधा जिसमें बंदरगाह तथा तेल चढ़ाने वाले क्षेत्र शामिल थे उन सब को तोड़ –फोड़ की परिधि में ला दिया गया.
पोजनर इस बात पर जोर देते हैं कि तोड़- फोड़ की यह प्रक्रिया किसी विशेष समय के लिए नहीं थी वरन् सतत् चलने वाली प्रक्रिया है जो सुरक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया का अंग है . उदाहरण के लिए 2002 में सउदियों ने गौरव का अनुभव किया जब उन्होंने तेल और गैस को अलग करने वाली दो ईकाइयों में छोटे किन्तु गहरे प्रभाव वाले विस्फोटक लगाने में सफलता प्राप्त की .
पोजनर ऐसी संभावना भी व्यक्त करते हैं कि यह सउदी अरब पर बाहर के किसी आक्रमण को रोकने का नाटक भी हो सकता है जिसमें सच्चाई न हो . जब तक कोई इन विस्फोटकों की जांच नहीं कर लेता यह पता नहीं लग सकता कि यह सच्चाई है या बेवकूफ बनाने की चाल . दूसरा पक्ष यह है कि सेमटेक्स विस्फोटकों का उपयोगी जीवन सीमित होता है जो 2012 – 2013 तक समाप्त हो जाएगा . योजकों को इस संभावना के आधार पर काम करते रहना है कि उनकी पद्धति उपयुक्त है और परिणाम के लिए तैयार है यदि एक बटन की आत्म विनाश की पद्धति अस्तित्व में है तो यदि उसे उपयोग में लाया गया तो उसके परिणाम क्या होंगे.
अमेरिका सहित अन्य सरकारें 1.3 बिलियन तेल आरक्षित रखती हैं जो 6 महीनों के लिए ही पर्याप्त होता है. पोजनर के अनुसार यदि एक बार आरक्षित तेल अपर्याप्त सिद्ध हुआ तो सउदी अरब का परमाणु वातावरण तेल की कीमतों में उछाल लाएगा और 1930 के बाद की सबसे बड़ी आर्थिक मंदी आ जाएगी .
यदि ऐसी कोई व्यवस्था अस्तित्व में है तो मस्तिष्क में तत्काल इसके दो परिणाम उभरते हैं, बाहरी आक्रमण से सुरक्षा के लिए अभिनव तरीका ढूंढने के कारण क्या सउदी राजशाही का शासन पर नियंत्रण रहेगा. लेकिन अफगानिस्तान के तालिबानियों की भावना वाला इस्लामिक अमीरात राजशाही को हटा भी सकता है . पश्चिम सरकार विरोधी ये लोग मानव बम से विध्वंस की क्षमता रखते हैं जो कि एक बटन को दबाकर पूरी विश्व व्यवस्था को तबाह क्यों नहीं करेंगे.
पश्चिमी खुफिया तंत्र को सउदी बातचीत सुनने तक सीमित रहने के बजाए उन विस्फोटकों की सच्चाई का पता लगाना चाहिए यदि वे अस्तित्व में हैं तो पश्चिमी सरकारों को व्यापक रुप में सउदी राज्य के साथ अपने संबंधों की समीक्षा करनी चाहिए.