वैसे तो किसी भी देश के लिए यह पता लगाना बड़ा कठिन है कि उसके देश में कितने संभावित आतंकवादी निवास करते हैं लेकिन अभी हाल में ही लंदन के टाइम्स अखबार में ब्रिटिश सरकार की लीक हुई एक रिपोर्ट और डेली टेलीग्राफ द्वारा कराए गए जमनत सर्वेक्षण के एक जैसे निष्कर्ष निश्चय ही चौंकाने वाले हैं.
सरकारी खुफिया रिपोर्ट जिसकी पहचान नहीं दी गई है उसके अनुसार 16,000 ब्रिटिश मुसलमान आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हैं.
यू गोव पोलिंग फर्म नामक सम्मानित संस्था ने शोध के उचित मानदंडों का उपयोग करते हुए 15 जून से 22 जून के मध्य संपूर्ण ब्रिटेन के 526 वयस्कों से साक्षात्कार लिया. इन आंकड़ों में अनुमानित तौर पर मुस्लिम जनसंख्या की आयु, लिंग और मूल देश को भी प्रतिविंबित किया गया .इस सर्वेक्षण में पाया गया कि उनका एक प्रतिशत अर्थात् 16000 लोग “अनैतिक और पतोन्मुखी” पश्चिमी संसकृति को समाप्त करने के लिए हिंसा का सहारा लेने को उद्यत हैं.
ये वर्ग कितना सघन है और ये संभावित आतंकवादी तमाम आर्थिक, सामाजिक , राजनैतिक और सांस्कृतिक परिणामों के साथ ब्रिटेन की सुरक्षा के लिए किस प्रकार असाधारण खतरा सिद्ध होंगे जिसकी कल्पना सहजता से की जा सकती है .
- यूगोव सर्वेक्षण के अनेक ऐसे आंकड़े हैं जो पश्चिम और ब्रिटेन वासियों को स्तब्ध नहीं करते तो भी उनके लिए रुचिकर अवश्य हैं . 6 प्रतिशत मुसलमान 7 जुलाई की लंदन विस्फोट की घटना को संतुलित तरीके से उचित ठहराते हैं.
- 24 प्रतिशत मुसलमान 7 जुलाई का हमला करने वालों की भावना और आशय के प्रति सहानूभुति रखते हैं .
- 54 प्रतिशत मुसलमान मानते हैं कि यह समझने की कोशिश होनी चाहिए कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं.
- 26 प्रतिशत टोनी ब्लेयर की इस व्याख्या से असहमत हैं कि लंदन विस्फोट करने वालों की विचारधारा भटकी हुई या जहरीली है.
- 16 प्रतिशत मुसलमान ब्रिटेन के प्रति वफादारी महसूस नहीं करते.
- 32 प्रतिशत मुसलमान मानते हैं कि पश्चिमी समाज अनैतिक और पतनोन्मुख है तथा मुसलमानों को इसे समाप्त कर देना चाहिए लेकिन अहिंसक तरीके से.. जबकि 1 प्रतिशत मुसलमान इसके लिए हिंसा का प्रयोग उचित मानते हैं.
- 56 प्रतिशत मुसलामानों की धारणा है कि यद्यपि पश्चिमी समाज उपयुक्त नहीं है लेकिन मुसलामानों को इसके साथ जीना चाहिए और इसे समाप्त करने का प्रयास नहीं करना चाहिए .
- 50 प्रतिशत मुसलमान मानते हैं कि ब्रिटेन के राजनेताओं की इस बात में कोई गंभीरता नहीं है कि वे इस्लाम का सम्मान करते हैं और ब्रिटेन के मुसलमानों के साथ सहयोग करना चाहते हैं.
- 44 प्रतिशत मुसलमानों को इस बात में संशय है कि 7 जुलाई के विस्फोटों के आरोपियों पर निष्पक्ष मुकदमा चल सकेगा.
- 10 प्रतिशत मुसलमान इस मत के हैं कि यदि उनकी दृष्टि में कोई मुस्लिम धार्मिक नेता मुस्लिम युवकों को पश्चिम के विरुद्ध शिक्षा दे कर उन्हें कट्टरपंथी बनाने की चेष्टा करेगा तो वे इसकी सूचना नहीं देगें.
- 14 प्रतिशत मुसलमान इसे अपना कर्तव्य नहीं मानते कि यदि उनके समुदाय में कुछ संदिग्ध गतिविधि हो रही है तो वे इसकी सूचना पुलिस को दें .
- 41 प्रतिशत मुसलमान मानते हैं कि अन्य मुसलमान भी ऐसा नहीं करेंगे .
- 73 प्रतिशत मुसलमानों का कहना है कि यदि संभावित आतंकवादी हमले की जानकारी उन्हें होगी तो वे पुलिस को अवश्य जानकारी देंगे.(डेली टेलीग्राफ ने इस मामले में नकारात्मक प्रतिशत का आंकड़ा उपलब्ध नहीं कराया )
एक और सर्वेक्षण जिसे स्काई न्यूज़ ने सुनिश्चित किया तथा कम्यूनिकेट रिसर्च ने संपादित कराया ( जिसमें ब्रिटेन आधारित 462 मुसलमानों से दूरभाष पर साक्षात्कार लिया गया ) उसने भी ऐसे ही निष्कर्ष निकाले.
- 2 प्रतिशत मुसलमान लंदन के आत्मघाती हमलों से सहमति जताते हैं.
- 5 प्रतिशत मुसलमानों के अनुसार ऐसे हमले कुरान सम्मत हैं.
- 46 प्रतिशत मुसलमान इस बात से असहमति जताते हैं कि पश्चिम के विरुद्ध हिंसा की शिक्षा देने वाले मुस्लिम मौलवी आम मुसलमानों से कटे हुए हैं.
- 46 प्रतिशत मुसलमान पहले स्वयं को मुसलमान मानते हैं फिर ब्रिटिश . 42 प्रतिशत मुसलमान ही स्वयं को पहले ब्रिटिश और फिर मुसलमान मानते हैं.
टिप्पणियां - 1 - यह कहना कठिन है कि इन दोनों सर्वेक्षणों के आंकड़ों में अधिक चिंताजनक कौन है , लेकिन दो बातें साफ हैं – ब्रिटेन के तीन चौथाई से भी कम मुसलमानों
द्वारा यह कहना कि वे किसी आतंकवादी खतरे की सूचना पुलिस को देंगे, ब्लेयर प्रशासन की इस रणनीति पर गंभीर प्रश्न खड़ा रहते हैं कि मुसलमानों के लिए उनके समुदाय की पुलिस होनी चाहिए . दूसरा एक तिहाई मुसलमानों का
ब्रिटिश समाज को अस्वीकार कर समाप्त करने का प्रयास तथा इस्लामिक व्यवस्था के लिए मार्ग प्रशस्त करने की बात ब्रिटेन की बहुप्रचारित बहुलवादी संस्कृति के आदर्श को संदेह की परिधि में खड़ा करती है.
2. टेलीग्राफ के इस सर्वेक्षण के व्याख्याकार एसेक्स विश्विद्यालय के ऐन्थोनी किंग इस परिणाम पर लीपा-पोती करते हुए कहते हैं कि एक ओर तो ये उलझन वाले और कुछ अर्थों में सजग करने वाले हैं. आखिर इसका क्या अर्थ है . कुछ विशेष उदाहरणों से वे इस कान खड़े करने वाले सर्वेक्षण से प्रसन्नता के क्षण भी ढूंढ लेते हैं ( उनकी दृष्टि में संभावित आतंकवादी खतरों से सावधान करने की 73 प्रतिशत मुसलमानों की प्रवृत्ति प्रभावशाली है ).
ब्रिटेन के समाचार पत्रों और प्रोफेसरों के ऐसे भावुक व्यवहार किसी को भी चकित कर सकते हैं कि आखिर ब्रिटेन के भीतर पल रहे इस्लामवादी नर्क को देख कर ये लोग कब जागेंगे.