इस प्रश्न के उत्तर में कि क्या मुसलमान भी उसी सर्वशक्तिमान की उपासना करते हैं जिसकी यहूदी और
ईसाई इसपर राष्ट्रपति बुश ने कुछ महीने पहले उत्तर दिया- “ मेरा विश्वास है कि हम सभी एक ही ईश्वर की पूजा करते हैं.” जो इस्लामिक देवता अल्लाह के नाम से जाना जाता है वही परम् शक्ति है जिसकी पूजा ईसाई और यहूदी करते हैं.
राष्ट्रपति के इस वक्तव्य ने धर्मांतरण समर्थकों को काफी हतोत्साहित कर दिया . इन धर्मांतरण समर्थकों के मध्य किये गए मतदान के अनुसार उनके नेतृत्व का 79 प्रतिशत इस मत से सहमत नहीं हैं. पैट रोबर्टसन् ने तीव्र शब्दों में व्याख्या करते हुए कहा कि संपूर्ण विश्व एक प्रकार के भावनात्मक धार्मिक संघर्ष में लगा है कि क्या मक्का के चंद्रमा के देवता हूबल जिन्हें अल्लाह के नाम से जानते हैं वे सर्वोच्च हैं या फिर यहूदी ईसाई जेहोवा, बाइबल के गॉड सर्वोच्च हैं.
मुसलमान भी इस बात से सहमत हैं कि अल्लाह और गॉड अलग –अलग हैं. इरशाद मंजी इस बात का उल्लेख करते हैं कि किस प्रकार कनाडा के मदरसे में उनके शिक्षक ने यह बात सिखाई थी . इसी प्रकार यहूदी विद्वान जॉन डी लेवनशन भी मानते हैं कि -यह दावा कि मुसलमान और ईसाई एक ही ईश्वर की पूजा करते हैं यदि गलत नहीं तो यह विश्लेषण एकतरफा और स्थिति का सामान्यीकरण करने जैसा है . यह बहस कई स्तरों पर चल रही है . अमेरिका के स्काउटिंग मूवमेंट में मुसलमान वादा करता है “ मैं गॉड के कर्तव्य के लिए कुछ भी करुंगा” जबकि ब्रिटिश साथी “अल्लाह के कर्तव्य के लिए” कहता है .
वैसे तो यह भाषा विज्ञान का मामूली झगड़ा दिखता है लेकिन अल्लाह की परिभाषा काफी व्यापक है .इस्लाम में आस्था की मूल उदघोषणा के अनुवाद करने के दो वैक्लपिक रास्ते लीजिए (अरबी में ला इल्लाह इल्ला –ला ) के अनुसार “मैं प्रमाणित करता हूं कि अन्य कोई गॉड नहीं केवल अल्लाह ” और दूसरा “ मैं प्रमाणित करता हूं कि अन्य कोई देवता नहीं केवल गॉड”.
पहली धारणा के अनुसार इस्लाम का पृथक ईश्वर जिसे अल्लाह के नाम से जाना जाता है और इसमें यह बात छुपी है कि यहूदी और ईसाई झूठे गॉड की पूजा करते हैं. दूसरी धारणा के अनुसार अल्लाह एक अरबी शब्द है जो समान रुप से एक देव गॉड के लिए प्रयुक्त होता है और इसमें छुपी हुई बात यह है कि यहूदी ,ईसाई भी मुसलमान के समान ही हैं.
गुगल खोज में पहला अनुवाद दूसरे अनुवाद की तुलना में 40 गुणा अधिक उपयोग में है . फिर भी दूसरा उचित है. बुश का कहना ठीक है. और भी अनेक कारण हैं. जिनके आधार पर अनुवाद अल्लाह की समानता गॉड से करता है . ग्रंथ के आधार पर - कुरान में स्वयं अनेक स्थानों पर कहा गया है कि उसका भगवान भी वही है जो यहूदियों और ईसाइयों का है . एक सीधा वक्त्वय वह है जब मुसलमान बड़ी दृढ़ता से ईसाई और यहूदियों से कहते हैं , “ हम उसमें विश्वास करते हैं जिसका उदघाट्न हमारे और तुम्हारे समक्ष हुआ है , हमारे और तुम्हारे गॉड एक ही हैं, और जिसके समक्ष हम समर्पित होते हैं ”.
(इ.एच.पाल्मर अनुवाद सुरा 29 : 46 ) इस आयत की व्याख्या ऐसे भी हो सकती है जैसा कुख्यात अबदुल्लाह यूसुफी अली के अनुवाद में है . “ हमारे और तुम्हारे अल्लाह एक हैं.”
ऐतिहासिक – काल गणना के क्रम से इस्लाम यहूदी और ईसाई धर्म के बाद आता है . लेकिन कुरान का दावा है कि इस्लाम अन्य एकेश्वरवादी धर्मों से पहले का है . इस्लामी सिद्धांत के अनुसार ( सुरा 3 :67 ) अब्राहम पहला मुसलमान था . मोसेज़ और जीसस ने गॉड शब्दों को गलत कर दिया . और मोहम्मद ने इसे दुरुस्त किया . इस्लाम यहूदी और ईसाईयत को अपना ही बिगड़ा हुआ स्वरुप मानता है . अनिवार्य तत्वों में तो ठीक है लेकिन कुछ महत्वपूर्ण विवरणों में गलत है . इस धारणा में यह बात अंतर्निहीत है कि तीनों ही धर्म अब्राहम के गॉड से समान रुप से जुड़े हुए हैं .
भाषा विज्ञान के आधार पर – जैसे फ्रेंच और जर्मन में गॉड के लिए Dieu और Gott शब्दों का प्रयोग किया जाता है उसी प्रकार अरबी में अल्लाह शब्द का प्रयोग होता है . जीसस जिस अर्माइक भाषा का प्रयोग करते थे उसमें गॉड को अल्लाह कहते हैं . इसी प्रकार है अरबी आधारित कैथोलिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली मौल्टेज भाषा में भी गॉड को अल्लाह कहते हैं. इसी प्रकार अधिकांश यहूदी और ईसाई जो दैनिक जीवन में अरबी भाषा का प्रयोग करते हैं वे गॉड के लिए अल्लाह शब्द का प्रयोग करते हैं. ( मिस्र के ईसाई काप्ट ऐसा नहीं करते ) अरबी भाषा के ओल्ड टेस्टामेंट और न्यू टेस्टामेंट में भी इस शब्द का प्रयोग हुआ है .अरबी भाषा की बाइबिल में जीसस को अल्लाह का पुत्र बताया गया है . ईसाई मिशनरियों द्वारा किये गए अनुवादों में भी अल्लाह का प्रयोग हुआ है . जैसो 1865 में कार्नेलियस वान डिक ने किया था और मिशनरियों की बात चीत में भी इसका प्रयोग होता है .
गॉड और अल्लाह का यह समीकरण स्पष्ट करता है कि राजनीतिक स्तर पर कटुता के बाद भी “ अब्राहम की संतानों ” के मध्य कोई समान रिश्ता है और इसकी खोज से अंतर्धार्मिक संबंधों का आधार बनेगा. यहूदी ईसाई संवाद ने काफी सफलता प्राप्त की है इसी प्रकार यहूदी, ईसाई और मुस्लिम त्रिपक्षीय संवाद भी सफलता प्राप्त कर सकता है .
ऐसा घटित हो इसके पूर्व मुसलमानों को एक गॉड की मान्यता के वैकल्पिक तरीकों को स्वीकार करना ही होगा. इसका अर्थ है कि वर्तमान इस्लामवादी चरण के सर्वोच्चता के , अतिवाद और हिंसा को पीछे छोड़ना होगा.