1991 में कनाडा के ओंटारियो प्रांत ने एक ऐसा कानून पारित किया जिसे विविधता पूर्ण संस्कृति की दिशा में एक बुद्धिमता पूर्ण कदम माना गया . इस कदम के द्वारा पंचाट अधिनियम के अंतर्गत व्यवस्था की गई की यदि दो लोग परस्पर किसी व्यापारिक , धार्मिक या अन्य आपसी विवाद के लिए पंचाट की मदद लेकर विवाद का समाधान करना चाहते हैं तो प्रांतीय सरकार ऐसे पंचाटों का निर्णय कनाडा के कानून की परिधि में होने की दिशा में लागू करायेगी .
ओंटारियो मंत्रालय के महाधिवक्ता प्रवक्ता ब्रांडेन क्रावले ने बताया कि यदि परस्पर सहमति हो तो लोग किसी भी पंचाट या धार्मिक पद्धति का प्रयोग कर सकते हैं .यदि पंचाट का निर्णय कनाडा के कानून से असंगत होगा तो अदालत इसे लागू नहीं करेगी क्योंकि आपको कनाडा के कानून के उल्लंघन की अनुमति नहीं दी जा सकती .
सालों तक यहूदियों , कैथोलिक ईसाइयों सहित अनेक आदिवासी अपने पारिवारिक मामलों के निपटारे के लिए ओंटारियो की अदालत प्रणाली का उपयोग किए बिना पंचाट का सहारा लेते रहे . यह प्रणाली सुचारु रुप से संपादित होती रही . कनाडियन यहूदी कांग्रेस के ओंटारियो प्रांत के अध्यक्ष जोयेल रिचलर ने बताया कि उन्हें नहीं याद है कि रब्बी (यहूदी धर्म गुरु ) अदालत के फैसलों से कोई समस्या आई हो .
इसके बाद अक्टूबर 2003 में इस्लामिक इंस्टीट्यूट ऑफ सिविल जस्टिस ने मुस्लिम पंचाट बोर्ड ( इस्लाम की शब्दावली में दारुल कदा ) की स्थापना करने की मांग की . इस संस्थान के संस्थापक सैयद मोमताज़ अली ने ब्योरा देते हुए बताया कि इस बोर्ड के अनुसार पंचाट इस्लामी कानून, शरीयत के आधार पर मुसलमानों को इस्लाम के अनुसार जीवन जीने का आदेश देगा. इस पहल को लेकर नवंबर 2003 में पहला लेख समाचार पत्रों में आया और कुछ ही दिनों ने WorldNetDaily.com के इस लेख के कारण काफी विवाद खड़ा हो गया . ओंटारियो की इस भ्रामक स्थिति से देश भर में बहस छिड़ गई ...तथा कनाडा और यूरोप के बारह शहरों में लोग सड़कों पर प्रदर्शन करने लगे . रोचक तथ्य यह है कि प्रमुख विरोध मुस्लिम महिलाओं ने किया जिन्हें भय था कि अज्ञानी और अलग-थलग पड़ी मुस्लिम महिलायें इस महिला विरोधी कानून के समक्ष समर्पण कर देंगी जो यौन दृष्टि से अपरिपक्व स्त्रियों के विवाह की अनुमति देता है , एक से अधिक महिलाओं से विवाह की अनुमति पुरुष को देता है, अकेले पुरुष को तलाक लेने की छूट देता है , एक विशेष आयु में पिता को स्वाभाविक रुप से संतान को संरक्षण में लेने का अधिकार देता है तथा पुत्र को पुत्रियों से अधिक उत्तराधिकार संबंधी अधिकार देता है .
शरीयत विरोधी यह अभियान सफल रहा . दो वर्ष की बहस के बाद ओंटारियो के प्रधानमंत्री डॉनटन मैग्विनिटी ने 11 सितंबर को घोषणा की कि धर्म आधारित पंचाट हमारे सामान्य आधार के लिए खतरा हैं. उन्होंने घोषणा की कि ओंटारियो में कोई शरीयत कानून लागू नहीं होगा. ओंटारियो में धार्मिक पंचाट नहीं होगा और ओंटारियो के सभी लोगों के लिए समान कानून होगा.
इस निर्णय का अर्थ हुआ कि आस्था आधारित पंचाट 1991 की भांति ही काम करते रहेंगे लेकिन इन पंचाटों के निर्णय को सरकार लागू नहीं करायेगी .
शरीयत विरोधी शक्तियों के लिए यह उत्साहजनक समाचार था . होमा अर्जोमान ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में उन्हें सबसे अच्छी खबर सुनने को मिली है. नुज़हत जाफरी ने तो कहा कि उन्हें अब भी विश्वास नहीं हो रहा है ..जान से मारने की धमकी मिलने से पहले तारिक फतह ने इसे रोमांचक बताया.
जो भी हो मैग्विनीटी के निर्णय में एक और बात देखने वाली है .उन्होंने इस विचार पर कार्य करते हुए कि इस्लाम के साथ अन्य धर्मों जैसा ही व्यवहार होना चाहिए ..निश्चय किया कि यदि मुसलमान राज्य की ओर से आस्था आधारित पंचाट के निर्णय को लागू नहीं करा सकते तो अन्य किसी को भी इसकी इज़ाजत नहीं मिलनी चाहिए अत: मैग्वीनिटी ने कहा कि जितना शीघ्र संभव होगा उनकी सरकार 1991 के अधिनियम को समाप्त करने के लिए कानून लायेगी.
इस निर्णय ने निश्चय ही उन लोगों को पीड़ा पहुंचाई जो पंचाट के निर्णयों को राज्य से लागू करवाते थे. रिचलर ने इसे शरीयत के मुद्दे के विरुद्ध एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया बताया.मौन्ट्रियल के रब्बी रियूबेन पापको ने दुखी होकर कहा कि ओंटारियो की सरकार को ऐसा निर्णय लेने को विवश होना पड़ा है .
इससे मुसलमानों को पश्चिम में आत्मसात् करने के प्रयास को धक्का लगेगा साथ ही परंपरागत यहूदियों सहित अन्य लोगों को इस नए रुझान से नुकसान होगा.इसके अतिरिक्त इसके और भी कुछ परिणाम होंगे उदाहरण के लिए
- मुसलमानों के हिज़ाब विरोधी कानून के कारण पहली बार फ्रांस में ननों को पहचान पत्र या पासपोर्ट चित्र के लिए सिर का आवरण हटाना पड़ेगा इसी प्रकार फ्रांस के स्कूली छात्र क्रॉस या स्टार ऑफ डेविड पहन कर स्कूल न जा सकेंगे.
- मुस्लिम आतंकवादियों के कारण ब्रिटेन में भूमिगत रेल या बसों में सवार , अमेरिका में एयरपोर्ट के यात्रियों और रुस में थियेटर जाने वालों को कड़ी सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ेगा.
- मुसलमानों द्वारा अप्रवासी वीज़ा का दुरुपयोग करने के कारण अब डेनमार्क से बाहर शादी करने वाले डेनिश लोगों को अपने साथ पति या पत्नी लाने में अनेक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा.
- मुसलमानों की भावनाओं को आहत होने से बचाने के लिए क्रिसमस के कार्यक्रम , सांताक्लाज तथा ईसा मसीह के जन्मदिन के कार्यक्रम और बाईबिल को भी पश्चिमी देशों में प्रतिबंधित किया जा सकता है.
पश्चिम के लोग जिस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं वह यह कि इस्लाम की उपस्थिति ने उनकी जीवन पद्धति को बदलना शुरु कर दिया है .