फिलीस्तीन नियंत्रण वाले गाज़ा क्षेत्र में पिछले दिनों हुई हिंसा को मध्य एशिया के शीर्ष विशेषज्ञ ने एक शुरुआत बताया है .उनके अनुसार इस हिंसा के बाद इजरायल फिलीस्तीन विवाद में गोली-बारी का एक और दौर शुरु हो सकता है .
फिलाडेल्फिया स्थित मिडिल इस्ट फोरम के निदेशक डैनियल पाइप्स ने कहा कि कल इजरायल की सीमा से गाजा क्षेत्र में रॉकेट और गोला-बारुद से किया गया हमला दो सप्ताह पूर्व इजरायल द्वारा इस क्षेत्र को खाली करने का सीधा परिणाम है . उन्होंने कहा कि आज तो हम गाज़ा वापसी का सीधा परिणाम देख रहे हैं आगे हम हिंसा के इस दौर का और विस्तार देखेंगे .
मध्य एशिया , इस्लामी अतिवाद और इजरायल फिलीस्तीनी विवाद पर 14 पुस्तकों के इस लेखक ने कहा कि हवाई हमला और गोला-बारी इस बात का प्रमाण है कि गाज़ा से इजरायल के हटने से शांति प्रयासों में सुधार नहीं आएगा . उन्होंने कहा कि वास्तव में तो इस क्षेत्र से हटकर इजरायल ने अबतक की सबसे बड़ी भूल की है .
फिलीस्तीनी संघर्ष से स्वयं को अलग करने की प्रधानमंत्री एरियल शेरोन की नीति के अंतर्गत गाज़ा क्षेत्र से सेना की वापसी 12 सितंबर को संपन्न हुई . इससे फिलीस्तीनी समाज के कट्टरपंथी तत्वों को और बल मिला है . श्री पाईप्स ने कहा कि इजरायल ने जो कुछ किया है उससे आतंकवादियों को बढ़ावा मिलेगा. इससे पुष्ट होता है कि आतंकवाद सफल था जिसका प्रयोग वे पश्चिमी तट और गाज़ा के शेष क्षेत्र को प्राप्त करने के लिए भी करेंगे . अब आतंकवादी हार नहीं मानेंगे और हम देख ही रहे हैं कि हिंसा का नया दौर आरंभ हो गया है . इजरायल ने अपना आक्रामक अभियान हमास द्वारा एक इजरायली निवासी के अपहरण और फिर उसकी हत्या तथा गाज़ा से काम चलाउ रॉकेट से दक्षिण इजरायल के शहर सडरकोट में हमला करने से शुरु किया .
उत्तरी गाज़ा शहर बेतहनून में इजरायल की अनेक मिसाईलों के गिरने के बाद स्थानिय निवासियों ने आतंकवादियों से अनुरोध किया कि वे इजरायल में रॉकेट न दागें ताकि वे पांच वर्ष के इजरायल के छापों और हिंसक विरोधों के बाद क्षत-विक्षत हुए घरों और दुकानों की मरम्मत कर सकें .
हमास और कम प्रभावशाली इस्लामिक जेहाद ने वैसे तो कह दिया कि इजरायल के बड़े हमले से बचने के लिए उन्होंने रॉकेट दागना बंद कर दिया है लेकिन पाईप्स की राय में यहूदी राज्य को नष्ट करने का उनका लक्ष्य परिवर्तित नहीं हुआ है . उनका यह लक्ष्य अनेक बार भाषणों में , प्रवचनों में , पाठ्यपुस्तकों में और मीडिया में प्रकट होता रहा है . समझौता करने के अनेक प्रयास विफल रहे हैं और समझौता करने के वास्तविक प्रयास भी विफल रहे हैं.
पाईप्स के अनुसार गाज़ा की वापसी से फिलीस्तीनी क्षेत्र में हमास तथा अतिवादी संगठनों ने यह संदेश दिया है कि इजरायल के विरुद्ध उनकी आत्मघाती हमलों , छापा मार हमलों तथा रॉकेट हमलों की नीति सफल रही है . उन्होंने कहा कि गाज़ा से इजरायल की वापसी भले ही रणनीतिक कारणों से रही हो लेकिन अधिक महत्व इस बात का है कि फिलीस्तीनी इसकी व्याख्या किस प्रकार करते हैं.
फिलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि अगले महीने अपनी वाशिंगटन यात्रा में वे जारी हिंसा को रोकने के लिए अमेरिका से सहायता मांगेंगे. श्री पाईप्स का मानना है कि वे इसमें सफल भी होंगे. यह स्पष्ट है कि सीधे युद्ध में फिलीस्तीन को परास्त करने के लिए इजरायल के पास अधिक शक्ति है लेकिन यह भी सत्य है कि सीधी टक्कर में कदम खींचने का अधिक दबाव इजरायल पर होगा.लेकिन आतंकवादियों द्वारा इजरायल में हमले न रोक पाने के कारण महमूद अब्बास को अमेरिका की आलोचना का सामना करना पड़ेगा. पाईप्स के अनुसार फिलीस्तीनी नेता महमूद अब्बास वास्तव में वर्षों के संघर्ष की समाप्ति चाहते हैं लेकिन अपने ही गुट के सदस्यों को हथियार डालने के लिए मना पाने में सक्षम होते नहीं दिखते .
पाईप्स के अनुसार अपने शांति उद्देश्य के प्रति वे गंभीर तो हैं लेकिन उनमें इतनी शक्ति कभी नहीं आएगी कि वे संघर्ष समाप्त कर सकें और न ही इसका कोई जवाब दे पायेंगे .वह यह भी नहीं कह सकते कि देखो आतंकवाद काम नहीं कर रहा है , देखो हमलोग कहां खड़े हैं , देखो अराफात की रणनीति ने हमें कहां लाकर खड़ा कर दिया है ..देखो हम कितना पीछे छूट गए हैं. लेकिन आतंकवादियों का यह तर्क जरुर काम करेगा कि हमारी नीति सफल रही और इजरायल ने गाज़ा वापस कर दिया.