पिछले सप्ताङ जार्ज डब्लयू बुश द्वारा दिए गए उनके साहसिक भाषण ने आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध में एक नये युग की शुरुआत की है .इसके संपूर्ण महत्व को समझने के लिए कुछ पृष्ठभूमि समझने की आवश्यकता है .
कट्टरपंथी इस्लाम के समर्थक इस्लामवादियों ने 1979 में अमेरिका के विरुद्ध युद्ध की घोषणा 1979 में की जब ईरान में अयातोल्ला खोमैनी का शासन आया और बाद में उसी वर्ष उसके समर्थकों ने तेहरान में अमेरिकी दूतावास पर बलपूर्वक कब्जा कर लिया.
अगले 22 वर्षों तक अमेरिका के लोग यह समझने में असफल रहे कि उनके विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी गई है .और उन्होंने इसे आपराधिक समस्या ही माना .उगाहरण के लिए 1998 में जब उत्तरी अफ्रीका में इस्लामवादियों ने जब अमेरिका के दो दूतावोसें पर हमला किया तो इसके उत्तर में वाशिंगटन ने दो जासूसों को रिहा करते हुए घटना को अंजाम देने वालों को गिरफ्तार कर न्यूयार्क लाकर उन्हें सफाई वकील उपलब्ध कराया फिर उन्हें सज़ा देकर जेल भेज दिया .
दूसरा युग 11 सितंबर 2001 को प्रारेभ हुआ ..इस दिन सायंकाल को बुश ने आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी तथा अमेरिका की सरकार ने युद्ध का रवैया अपना लिया तथा USA Patriot Act पारित किया .इस परिवर्तन का स्वागत करते हुए भी पिछले चार वर्षों में मैंने युद्ध को अस्पष्ट , अनुपयुक्त और बाधाजनक पाते हुए इसे सैन्य रणनीति के रुप में लेने के कारण इसकी आलोचना की है .इसके बजाए बार –बार मैंने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि वे कट्टरपंथी इस्लाम के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर एक नए युग की शुरुआत करें.
बुश ने कुछ अवसोरं पर कट्टरपंथी इस्लाम का जिक्र किया जैसे 11 सितंबर से 9 दिन पूर्व ..लेकिन इसका उल्लेख बार-बार या विस्तार से नहीं किया ताकि दृष्टिकोण में परिवर्तन किया जा सके.
जुलाई में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर इस बहस को आगे बढ़ाते हुए लंदन परिवहन बम कांड के बाद धार्मिक विचारधारा और विश्व स्तर पर इस्लाम धर्म में आए ताव का उल्लेख किया .
लेकिन तीसरे युग की शुरुआत सही अर्थों में 6 अक्टूबर को National Endowment and democracy में बुश के भाषण से हुई .न केवल उन्होंने आतंकवाद के पीछे की शक्तियों को विविध नाम दिए वरन् इसका विस्तृत विवेचन भी किया.कुछ लोग इसे बुरा इस्लामी कट्टरपंथ , कुछ उग्रवादी जिहादवाद और कुछ इस्लामी फासीवाद कहते हैं.विशेष रुप से बुश ने इन चीजों का विवेचन किया .
- कटट्रपंथी इस्लाम की हत्या की विचारधारा ने हमारी नई शताब्दी के सामने बड़ी चुनौती प्रस्तुत कर दी है.
- इस्लाम धर्म से इसका विभेद किया.
- कट्टरपंथी इस्लाम और कम्यूनिजम के मध्य समानता स्थापित करते हुए इसका उल्लेख किया कि अनेक प्रकार से कट्टरपंथी इस्लाम के विरुद्ध अमेरिका का युद्ध पिछली शताब्दी में कम्यूनिजम के विरुद्ध उसेक संघर्ष के समान है .
- उन तीन चरणों का उल्लेख किया जिससे इस्लामवादी सत्ता की ओर बढ़ते हैं.- मुस्लिम विश्व में पश्चिमी प्रभाव की समाप्ति , मुस्लिम सरोकारों का नियंत्रण प्राप्त करना और स्पेन से इन्डोनेशिया तक एक कट्टरपंथी इस्लामी साम्राज्य की स्थापना.
- कट्टरपंथी इस्लाम की आक्रामक राजनीतिक दृष्टि की चर्चा करते हुए कहा कि यह एजेन्डा “ सामूहिक संहार के शस्त्र विकसीत करना , इजरायल को नष्ट करना , यूरोप को धमकाना , अमेरिकी नागरिकों पर हमला करना तथा अकेले में हमारी सरकार को ब्लैकमेल करना.
- इसके अंतिम लक्ष्य की ओर इशारा करते हुए कहा..सम्पूर्ण राष्ट्रों को दास बनाकार पूरी दुनिया को धमकाना .
- निष्कर्ष निकाला कि मुसलमानों पर यह जिम्मेवारी है कि वे इस्लामवाद से लड़ें.
- जिम्मेदार इस्लामी नेताओं का आह्वान किया ..इस विचारधारा को अस्वीकार करने के लिए और इसके विरुद्ध कदम उठाने के लिए संगठित हों.
बुश के भाषण का विस्तृत पाठ आधिकारिक रुप से शत्रु के प्रति अमेरिकी समझ को संकेतित करता है जो कृत्रिम और अपर्याप्त आतेकवाद के विचार से इस्लामी कट्टरपंथ के विचार की ओर बढ़ रहा है .
यह परिवर्तन दीर्घकालीन महत्व का है यदि 26 वर्षों बाद यह समाज को सही शत्रु को समझने में सहायता करता है .उदाहरण के लिए ऐसा करने का अर्थ हुआ कि आप्रवासी अधिकारी और कानून प्रवर्तक संस्थायें देश में किसी को प्रवेश देने के मामले में या फिर आतंकवाद की घटनाओं की जांच करते समय अपने कर्तव्य का निर्वाह मुसलमानों को इस्लामिक आतंकवाद के एक मात्र स्रोत के रुप में मान कर कर सकेंगे.
इस नयेपन के बाद भी बुश का भाषण पूरी तरह उपयुक्त नहीं था .कुरान के बारे में उनका उद्धरण 2001 के उनके वक्तव्य की याद दिलाता है जब उन्होंने मुसलमानों को उनकी आस्था के वास्तविक स्वरुप की याद दिलाई थी . एक बार फिर उनकी टिप्पणी कि कट्टरपंथी जिहाद के विचार को तोड़ –मरोड़ रहे हैं एक अंतर्निहित संदेश देता है कि जिहाद एक अच्छी चीज है.
अधिक गंभीर बात यह है कि उन्होंने कट्टरपंथी इस्लाम के साम्राज्य को (खिलाफ़त) को स्पेन से इंडोनेशिया तक सीमित कर दिया है जब
कि इस्लामवादियों की दृष्टि एक वैश्विक दृष्टि है जिसमें संपूर्ण गैर – मुसलमान देश और विशेषकर अमेरिका आता है .उनकी वैश्विक महत्वाकांक्षा को रोका जा सकता है परंतु पहले उसे समझा जाए और फिर उसका विरोध किया जाए .जब अमेरिका इसे स्वीकार करेगा कि इस्लामवादी अमेरिका के संविधान को शरीयत से बदलना चाहते हैं तभी वह युद्ध के चतुर्थ और अंतिम चरण में प्रवेश करेगा.