26 अक्टूबर को इजरायल में हदेरा नामक स्थान पर हुए आत्मघाती हमले में पांच इजरायलवासियों के मरने पर फिलीस्तीनी सदैव की भांति अत्यंत प्रसन्न हुए. अल्लाहो अकबर का नारा लगाते हुए कोई 3000 फिलीस्तीनी इस हमले का जश्न मना रहे थे और आत्मघाती हमलावर के परिजनों को बधाई दे रहे थे .लेकिन 9 नवंबर को जार्डन देश के अम्मान में 57 व्यक्तियों को मौत के घाट उतारने वाले विस्फोट पर फिलीस्तीनी अरबवासी काफी चिड़चिड़े दिखे.ऐसा इसलिए क्योंकि पहली बार उन्होंने इस्लामी आत्मघाती हमलों के निशाने पर स्वयं को पाया.
रैडिसन होटल के नृत्य मंडप में एक विवाह समारोह में भाग ले रहे 17 परिवारों के सदस्य इस हत्याकांड के शिकार बने.लंदन टाइम्स के अनुसार ये सदस्य फिलीस्तीन के महत्वपूर्ण परिवारों के सदस्य और उनके प्रियजन थे.इस बम कांड में पश्चिमी तट के सैन्य खुफिया विभाग के प्रमुख बशीर नाफेह सहित फिलीस्तीनी अथॉरिटी के चार सदस्य भी मौत के मुंह में समा गए.
दो दशकों तक इजरायल के विरुद्ध दुखदायी खौफ का वातावरण निर्मित करने के बाद जार्डन की जनसंख्या के बहुसंख्यक फिलीस्तीनियों ने अन-अपेक्षित रुप से स्वयं को निरीह अवस्था में पाया और उन्होंने इसे पसंद नहीं किया .
हमले में घायल एक महिला के भाई ने संवाददाता से कहा , “मैं अपनी बहन को बहुत प्यार करता हूं , अगर उसे कुछ हो गया तो मैं भी ....”..इतना कहकर वह फूट-फूट कर रोने लगा.एक और रिश्तेदार ने आतंकवादियों को दुष्ट अपराधी बताया . तीसरे ने रोते हुए कहा, “हे भगवान, क्या यह संभव है कि अरबवासी ही अरबवासियों को मार रहे हैं, मुसलमान ही मुसलमान को मार रहे हैं.”
इन परिवारों के प्रति मैं गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं. इसके साथ ही मैं आशा करता हूं कि आत्मघाती हत्याओं का समर्थन करने वाले और इन्हें अंजाम देने वाले फिलीस्तीनी अरबवासी इस घटना से कुछ सीखने का प्रयास करेंगे .इन्हें छोड़कर दुनिया का कोई दूसरा प्रेस या विद्यालय प्रणाली आत्मघाती हमलावरों का सिद्धांत नहीं पढ़ाता . दुनिया के और कोई दुसरे लोग मृत आत्मघाती हमलावरों के कृत्य पर खुशियां नहीं मनाते . दूसरे माता –पिता अपेक्षा नहीं करते कि उनकी संतान स्वयं को बम के साथ उड़ाये. और कोई दूसरे लोग नहीं है जिन्होंने आर्थिक सहायता प्राप्त कर उसका उपयोग आतंकवाद के लिए किया हो और न ही दूसरे लोगों ने ऐसा नेता पैदा किया है..जो यासर आराफात की भांति आतंकवाद से जुड़ा हो और न ही दूसरे लोगों ने आतंकवाद से इतना लगाव रखा है .
11 नवंबर को उनकी मृत्यू के स्मरण दिवस पर लोगों ने वक्तव्य दिए .“कैसे वो हमारे ह्दय में जीवित रहेंगे ” और उनके कार्य कैसे जारी रख सकते हैं..”
अल-कायदा द्वारा अम्मान में किये गए विस्फोट की इस घटना के पश्चात् फिलीस्तीनी और उनके समर्थकों का ढ़ोंग प्रकट होकर सामने आया गया है कि अपने विरुद्ध हुई आतंकवादी घटना की भर्तस्ना करते हैं ...लेकिन यही घटना अगर इजरायल के साथ होती है तो उसकी निंदा नहीं करते .
वर्जिनिया स्थित दारुल हिजरा मस्जिद के इमाम शकीर अलसयेद ने अम्मान में विवाह सामरोह में हुए हमले को “अविवेकपूर्ण कृत्य” बताया है .. बहूतखुब ...लेकिन जांच प्रक्लपों के ब्रायन हेच के अनुसार इजरायल के विरुद्ध आतेकवादी हमलों को न्यायसंगत ठहराने का एलसायेद का पुराना इतिहास रहा है .
उनके शब्दों में , “जिहाद सबके लिए आवश्यक है..चाहे वो बच्चा है , स्त्री हो या फिर पुरुष हो” . उनके अनुसार “उन्हें जो भी उपलब्ध हो उसके साथ जिहाद करना चाहिए ”.
जार्डन की रानी नूर ने इस ढोंग उस तरह मूर्त रुप दिया जब उन्होंने कहा कि अम्मान के आतंकवादियों ने निरपराध नागरिकों विशेषकर मुसलमानों पर हमला कर एक व्यावहारिक भूल कर दी है .
उनके वक्तव्य में अंतर्निहीत था कि गैर-मुसलमानों की हत्या पर उन्हें आपत्ति नहीं है .
क्या अम्मान की इस क्रूरता के बाद फिलीस्तीनी अरबवासियों का आत्मघाती हत्याओं के साथ चल रहा प्रेम संबंध कम होगा? संभवत: अपनी ही दवा का स्वाद चखने के बाद उन्हें अनुभव हो गया कि जैसा बोया जाता है वैसा ही काटा जाता है .बर्बरता अंत में बर्बर लोगों को भी निशाना बनाती है .
दृष्टिकोण में कुछ परिवर्तन का संकेत भी मिलने लगा है .जार्डन विश्वविद्यालय में 2004 में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार जार्डन के एक तिहाई व्यस्कों का मानना था कि इराक में अल-कायदा का प्रतिरोध जायज है.बम विस्फोट के बाद किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि दस में से नौ लोगों का अलकायदा का समर्थन करने का विचार बदल गया.
फिलीस्तीनी अरबवासियों का व्यवहार परिवर्तित होने के लिए आवश्यक है कि सभ्य लोग आत्मघाती आतंकवाद के विरुद्ध कठोर कदम उठायें. इसका अर्थ हुआ कि हमास को राजनीतिक संगठन के रुप में मान्यता न दी जाए . इसका अर्थ हुआ कि फिलीस्तीनी आत्मघाती हमलों का अच्छा चित्रण करने वाली Paradise Now जैसी फिल्मों का प्रदर्शन बंद किया जाये.इसका अर्थ हुआ सामी –अल अरियन जैसे फिलीस्तीनी इस्लामिक जिहादियों और फ्लोरिडा में उनके सहयोगियों को दंडित किया जाये . फिलीस्तीनी अरबवासियों को सामान्य , लगातार और सार्वभौमिक संदेश दिया जाए .सभी लोग बिना अपवाद के स्पष्ट रुप से आत्मघाती आतंकवाद की निंदा करें.निर्वाचन के स्तर पर , कूटनीतिक , शैक्षिक स्तर पर या फिर अम्मान या हरेदा बम कांड ही क्यों न हो .