पिछले सप्ताह आतंकवाद प्रतिरोध के कार्य का बड़ा उत्साहवर्द्धन हुआ. जब अमेरिका की एक जिला अदालत ने शिकागो स्थित तीन मुस्लिम संगठनों और एक व्यक्ति को हमास को आर्थिक सहायता प्रदान करने का दोषी करार देते हुए उसपर 156 मिलियन अमेरिकी डॉलर का जुर्माना किया .
13 मई 1996 को जेरुसलम के निकट एक बस स्टेशन पर हमास कार्यकर्ताओं द्वारा अमेरिका के टीन एज डेविड बोयम के हत्या के संबंध में भूमिका के लिए इन चारों पर मुकदमा चलाया गया था .यह मामला अपने आप में इसलिए तो महत्वपूर्ण है ही कि इसने बोयम परिवार को कुछ मात्रा में राहत पहुंचाई है, इससे परे यह मामला आतंकवाद से लड़ने में चार प्रकार से सहायता पहुंचा सकता है.
पहला तो यह 1992 के अमेरिका के एक कानून को वैधानिकता और सक्रियता प्रदान करता है जिसके अंतर्गत किसी भी आतंकवादी संगठन को विशेषकर ( हिंसा में लिप्त ) पैसा भेजना प्रतिबंधित होगा .यहां तक की ऐसी सहायता भेजना भी जो चिकित्सिय देखभाल या शिक्षा के लिए हो जो अंत में हिंसा की ओर ही जाती है.
इस मामले के जज अरलाण्डर किज ने स्थापित किया कि बोयम को केवल इतना ही दिखाना है कि बचाव पक्ष के लोग एक गैर – कानूनी कार्य करने के लिए सहमत थे और जिस हमले में डेविड बोयम की हत्या हुई वह षडयंत्र का परिणाम था . इस निर्णय से दीवानी के कुछ और मामलों में भी सहायता मिलेगी जिसमें सबसे प्रमुख 11 सितंबर 2001 कांड से सउदी राजघराने को जोड़ने वाला है जिसके लिए तमाम कानूनी आधार हैं.
दूसरा यह जूरी का पहला ऐसा निर्णय है जिसमें विदेश में आतंकवाद का समर्थन करने के लिए अमेरिका के नागरिक को दोषी मानते हुए उसपर जुर्माना किया गया है .
तीसरा बोयम के वकील स्टीफन जे लैण्डसे ने व्याख्या की कि ऐसा लगता है मानों अमेरिका की अदालत प्रणाली इस्लामी आतंकवादी नटवर्क को दीवालिया बनाने को तैयार है जैसा कि पहले भी उन्होंने कू क्लक्स क्लान और आर्यन नेशन जैसे दो कट्टरपंथी संगठनों के विरुद्ध बड़े निर्णयों के द्वारा किया है.
अन्तिम इस मामले से पहले यह पुष्ट होता है कि निर्दोष दिखने वाले इस्लामिक संगठन भी दोषी हैं. तीन दोषी गुटों में से दो हमास से संबंद्ध हैं जो कि फिलीस्तीनी इस्लामवादियों का गुट है . होली लैण्ड फाउंडेशन इसके लिए चंदा एकत्र करने का काम करता है जबकि इस्लामिक एशोसियेशन फॉर फिलीस्तीन इसके राजनीतिक मंच के रुप में कार्यरत है . लेकिन कुरानिक लिटरेशी इंस्टीट्यूट पूरी तरह हमास से असंबद्ध संगठन प्रतीत होता है . शिकागो के बाहरी इलाके में स्थित यह संगठन पवित्र धार्मिक संगठन है जो 1991 से पवित्र इस्लामिक पुस्तकों का अरबी से अन्य भाषाओं में भाषान्तर के कार्य में लगा है जिसका प्रकाशन फिर अंग्रेजी में किया जाता है .
लेकिन जो कुछ दिखता है वह धोखा देने के लिए है.जून 1998 में संघीय अधिकारियों ने क्यू एल आई (कुरानिक लिटरेशी इंस्टीट्यूट )को 9 वर्षों से अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों गतिविधियों के षड्यंत्र और गतिविधियों के समर्थन में घरेलू क्षेत्र में लोगों की भर्ती और उनका प्रशिक्षण करने का दोषी पाते हुए इसकी 11 मिलियन डॉलर की नकदी और संपत्ति को जब्त कर लिया था . एफ बी आई ने पाया कि सउदी आधारित वित्तीय सहायता देने वाला यासिन कादी जो ओसामा बिन लादेन से संबंधित है , ने क्यू एल आई को 1991 में 820 हजार डॉलर उधार दिया था .जिससे क्यू एल आई( कुरानिक लिटरेशी इंस्टीट्यूट) ने अनेक संपत्तियों को खरीदा. शिकागो ट्रिब्यून के शब्दों में इन संपत्तियों में एक अजीबोगरीब इमारत है जिसके लिए कुरानिक लिटरेशी इंस्टीट्यूट ने तकरीबन 1.4 मिलियन डॉलर खर्च किए . जांचकर्ताओं की नजर में इस पैसे का उपयोग 1993 में हमास के पुनर्गठन किया गया.
आतंकवाद के संबंध में कुरानिक लिटरेशी इंस्टीट्यूट की जटिलता के अनेक मायने हैं. यह कोई दुष्ट संगठन नहीं है लेकिन अमेरिका में सउदी समर्थित वहावी लॉबी का भारी भरकम नाम है . कुरानिक लिटरेशी इंस्टीट्यूट के संस्थापक अध्यक्ष अहमद जाकी हम्माद इस्लाम कि प्रशंसा करने वाले विद्वान हैं और कैरो के प्रतिष्ठित अल – अजहर विश्वविद्यालय और शिकागो विश्वविद्यालय से उपाधि प्राप्त हैं. उन्होंने इस लॉबी के सबसे बड़े संगठन इस्लामिक सोसाईटी ऑफ नार्थ अमेरिका के अध्यक्ष के रुप में काम किया है तथा नार्थ अमेरिकन इस्लामिक ट्रस्ट के बोर्ड के सदस्य भी रहे हैं.
जब 1998 में कुरानिक लिटरेशी इंस्टीट्यूट की परिसंपत्तियों को जब्त कर लिया गया तो वहावी लॉबी के अग्रणी संगठनों आई एस एन ए ,इस्लामिक सर्किल ऑफ नार्थ अमेरिका , काउंसिल ऑन अमेरिकन इस्लामिक रिलेश्न्स , मुस्लिम स्टूडेन्ट्स एशोसियेशन जैसे संगठनों ने इसे मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के विरुद्ध लिया गया चौंकाने वाला निर्णय बताया और कुरानिक लिटरेशी इंस्टीट्यूट के समर्थन में हजारों लोग अल्लाहो- अकबर का नारा लगाते हुए सड़कों पर आ गए और हम अब भी जानते हैं कि मासूम से दिखने वाले इन संगठनों की हमास को आर्थिक सहायता प्रदान करने में अहम् भूमिका है . मुस्लिम संगठन प्राय: जैसे दिखते हैं वैसे होते नहीं. प्रोगेसिव मुस्लिम यूनियन वास्तव में एक प्रतिक्रियावादी संगठन है . मस्जिदों में अपराधियों को संरक्षण दिया जाता है . अनेक कंपनियां और इस्लामी प्रदाता संगठन आतंकवादियों को पैसा देते हैं.मुख्यधारा के एक मुस्लिम नेता की हत्या की योजना में दोषी
ठहराने के लिए मुकदमा चलता है .सबक साफ है , कुरानिक लिटरेशी इंस्टीट्यूट जैसे वहावी संगठनों की सूरत पर नहीं जाना चाहिए वरन् उनके आतंकवादी, अपराधी और कट्टरपंथी संबंधों के लिए उनकी जांच होनी चाहिए . खुफिया ऑपरेशन सहित व्यापक जांच पड़ताल के द्वारा इनके पीछे छिपी वास्तविकता को सामने लाना चाहिए.