व्हाइट हाउस में 9 नवंबर को जार्ज डब्ल्यू बुश ने प्रसिद्ध मुक्केबाज मोहमम्द अली तथा अन्य 13 लोगों को सबसे बड़े नागरिक सम्मान Presidential Medal of Freedom से सम्मानित किया . राष्ट्रपति ने खेल की उपलब्धियों के लिए अली की सराहना की और उन्हें महानतम् की संज्ञा दी .यह तो ठीक रहा लेकिन इसके उपरांत उन्होंने अली के चरित्र की प्रशंसा आरंभ कर दी राष्ट्रपति के शब्दों में “वास्तविक रहस्य जिसके बारे में मैं अनुमान लगाता हूं वह यह कि ये अब भी इतने सुंदर कैसे हैं.शायद ऐसा उनकी खुबसूरत आत्मा के कारण है . यह अत्यंत खुंखार लड़ाके थे और यह शांति पुरुष भी हैं.संपूर्ण विश्व में करोड़ों लोग मुहम्मद अली को एक बहादुर ,दयालु और आकर्षक व्यक्ति के रुप में जानते हैं तथा अमेरिका के लोगों को यह कहने में गर्व का अनुभव होता है कि मोहम्मद अली हममे से एक हैं.”
वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार इस संकुचित दायरे में चाटुकारिता के अंतर्गत श्री बुश ने इस बात का उल्लेख नहीं किया कि मोहम्मद अली ने सार्वजनिक रुप से वियतनाम युद्ध की निंदा की थी तथा सेना में सेवा के प्रस्ताव को अस्वीकार करने के कारण इस पुरस्कार प्राप्त मुक्केबाज को मुक्केबाजी के लाइसेंस से हाथ धोना पड़ा था .इससे भी बुरी बात यह कि उन्होंने उस युद्ध में भाग लेने की बात से इंकार इसलिए नहीं किया कि वे शांति पुरुष हैं वरन् इसलिए किया कि उनका लगाव अमेरिका विरोधी Nation of Islam नामक संगठन से था जिसका अध्यक्ष बदनाम एलीजाह मोहम्मद है .
चालीस वर्ष पहले सेना में भर्ती से बचने की व्याख्या करते हुए अली ने कहा – युद्ध पवित्र कुरान की शिक्षाओं के विपरीत है .मैं भर्ती को चकमा नहीं देना चाहता .हम तब तक युद्ध में भाग नहीं ले सकते जबतक उसे अल्लाह द्वारा या उसके संदेशवाहक द्वारा घोषित न किया गया हो .
हम ईसाइयों या गैर- विश्वावासियों के युद्ध में भाग नहीं लेते.सेना में भर्ती से बचने वाले व्यक्ति को संयोगवश उस स्वतंत्रता के पदक के लिए चुना गया जिसकी स्थापना 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध में उल्लेखनीय सेवाओं को मान्यता देने के लिए की गई थी .
राष्ट्रपति ने अली के धार्मिक पक्ष को भी नहीं चुना परंतु मार्क क्रैम ने 2001 में अपनी पुस्तक Ghosts of Manilla: The Fateful Blood Feud Between Muhammad Ali and Joe Frazier में कहा है अली ने मुस्लिम कानून के प्रत्येक सिद्धांत को तोड़ा है.मंदिर की सेवा करने की नीच और भगोड़ी हरकत , वह एक ढ़ोंगी धार्मिक है.जिसने काले मुसलमानों को अपने स्वार्थ और सेना में भर्ती से बचने के कारण अपनी सारी संपत्ति दे दी और स्वयं को नकली साबित कर दिया . अवस्था बढ़ने के साथ ही अली अधिक भक्त होता गया लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण दिशा में . उसने स्वयं को अमेरिका के संपूर्ण शासन संरचना के विरोधी के रुप में घोषित किया जो उसकी नजर में इस्लाम धर्म के विरोधी यहूदियों द्वारा संचालित है. वह अत्यंत कट्टर मुसलमान हो गया कि जून 2004 में उत्तरी अमेरिका के कुख्यात और बड़े शक्तिशाली मुस्लिम गुट काउंसिल ऑन अमेरिकन इस्लामिक रिलेश्न्स ने उसे सम्मानित किया . संगठन की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार मैल्कल एक्स की पुत्री इलियास शाबाज ने मोहम्मद अली को पहला मैल्कल एक्स पुरस्कार प्रदान किया .
अली इस पुरस्कार के लिए भी उपयुक्त व्यक्ति नहीं था . मैल्कल एक्स 1964 तक उनका आदर्श रहा लेकिन एलीजाह मोहम्मद ने मैल्कल एक्स को नेशन ऑफ इस्लाम से बाहर निकाल दिया तो अली ने मैल्कल एक्स की उपेक्षा आरंभ कर दी और उसका विरोधी बन गया. पत्रकार सुन्नी खालिद के शब्दों में उसने मैल्कल एक्स को कटे हुए सूअर की भांति फेंक दिया .
श्री बुश ने अली की दयालुता , आकर्षक और सुंदर आत्मा की प्रशंसा गलत जगह की ( जैसे संत जीवनी लेखक अली केन्द्र को General Electric और Ford द्वारा आर्थिक सहायता देना जो कि कुछ ही दिनों बाद लुइसविले में खुला ) अली की विरासत खुले रुप में एक शोषण करने वाले व्यक्ति के रुप में है.
व्हाईट हाउस में अपनी संक्षिप्त मुलाकात में श्री बुश को अली के वास्तविक व्यक्तित्व की अनअपेक्षित झलक देखने को मिली .वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार इस घटना का वर्णन किया गया है .
बुश जो लगभग खेलने की मनोदशा में थे उन्होंने भारी भरकम पदक मोहम्मद अली के गले में कस कर बांधा और फिर हैवीवेट चैंपियन के कानों में कुछ फूंका .उसके बाद मानों कह रहे हों चलो आ जाओ..ऐसा कह कर राष्ट्रपति ने अपना मुक्का बांध लिया .
63 वर्ष के अली जो कि पारकिन्सन रोग से पीड़ित हैं धीरे-धीरे आये , राष्ट्रपति की आंखों में आंख डालकर देखा फिर अपनी कनपटी पर उंगली रखकर उसे कुछ क्षण घुमाया . कैबिनेट सचिवों सहित 200 लोगों का यह कमरा हंसी से गुंज उठा . वापस अपनी कुर्सी पर जा कर बैठते हुए अली ने फिर अपनी उंगली वैसे ही घुमायी .
इस पर राष्ट्रपति स्तब्ध रह गए और सशंकित होकर मुस्कराने लगे .
क्या अली के इशारों में राजनीतिक मतलब था. राष्ट्रपति का स्वतंत्रता पद मुहम्मद अली को देकर ऐसे व्यक्ति का सम्मान किया गया है जो स्वयं बुश का , उनके दल का और देश की नीतियों का विरोधी है . मेरा मत है कि यह उनके राष्ट्रपति काल का अधोबिन्दु है.