न्यूरिपब्लिक की आज की कवर स्टोरी पर स्पेन्सर एकरमैन ने दावा किया है कि यह चौंकाने वाला है कि कैसे कुछ कट्टरपंथी मुसलमान अमेरिका में हैं .
“Religious Protection: Why American Muslims haven't turned to terrorism.” शीर्षक के लेख में उन्होंने अमेरिका के मुसलमानों को यूरोप के उन मुसलमानों से भिन्न बताया है जो आतंकवाद की ओर मुड़ गए हैं.
एकरमैन जो कुछ सोच रहे हैं वह यह कि अमेरिका के मुसलमान आतंकवादी नहीं हैं. अभी पिछले सप्ताह एक लेख में और एक ब्लौग ( Blog )
में मैंने अमेरिका के 15 मुस्लिम धर्मान्तरितों की सूची दी थी जो या तो आतंकवाद में लिप्त थे या फिर ऐसा करने के प्रयास में सजा प्राप्त कर चुके थे . इसके बाद एक और लेख में मैंने फिर ऐसे 15 अमेरिकनों की सूची दी थी जो या तो पकड़े गए या संदिग्ध
माने गए . कुल मिलाकर ये 30 धर्मान्तरित हैं .मैंने आप्रवासी मुसलमानों की गिनती नहीं की और न ही आतंकवाद पर उनके प्रभाव का अध्ययन किया लेकिन यहां कुछ जानकारी है जो उनकी संख्या की ओर संकेत करती है –
अल-कायदा के प्रमुख व्यक्ति रोहन गुणारत्ना के अनुसार 1995 में ओक्लाहामा शहर की बम बारी के अपवाद को छोड़ दें तो पिछले एक दशक में पश्चिम में किए गए प्रमुख आतंकवादी हमले आप्रवासियों द्वारा किए गए हैं . काफी बारीकी से देखने पर पता चलता है कि ये केवल आप्रवासी ही नहीं थे वरन् एक विशेष पृष्ठभूमि से भी आते थे . 1993 से 2003 के मध्य आतंकवाद फैलाने के दोषी या संदिग्ध 212 लोगों में से 86 प्रतिशत मुस्लिम आप्रवासी थे तथा शेष इस्लाम में धर्मान्तरित लोग थे . राष्ट्रीय सुरक्षा और आप्रवासी विषयों के विशेषज्ञ रॉबर्ट एस लिकेन ने उपर्युक्त आंकडों के अलावा अपने नए निबंध Bearers of Global Jihad: Immigration and National Security after 9/11 में निष्कर्ष निकाला है कि पश्चिमी देशों में जेहाद का विस्तार मुस्लिम आप्रवासियों के कारण हुआ है या फिर उस निष्कर्ष को उद्धृत किया जा सकता है जिसपर मैं और खालिद दुरान 2002 में पहुंचे थे कि अमेरिका ने आप्रावासियों के अपने इतिहास में 1965 में देश में प्रवेश करने वाले मुसलमानों से अधिक हिंसक और कट्टरपंथी समुदाय पहले कभी नहीं देखा .उपर्युक्त 86 प्रतिशत के आंकड़े में आतंकवाद से संबद्ध 175 आप्रवासी तो अमेरिका के ही हैं . चलिए हम पूरे अमेरिका में यह आंकड़ा 200 का मान लेते हैं जो आतंकवाद की ओर मुड़ गए हैं यह अत्यंत संगत लगता है .
एकरमैन इन सैकड़ों मामलों को अप्रासांगिक मानते हैं . उनके अनुसार “यह सत्य है कि अमेरिका के मुस्लिम समुदाय में अतिवादी संदेश देखा जाता है और अमेरिका के कुछ मुसलमानों के आतंकवादी बनने के उदाहरण भी उपस्थित हैं ऐसे मामले काफी दुर्लभ हैं जिन्हें व्यक्तिगत् रुझान की तरह व्याख्यायित करना चाहिए न कि एक वर्ग के असंतोष के कारण इस्लामिक उग्रवाद में वृद्धि के तौर पर ..” हां अमेरिका के मुसलमानों की 30 लाख की जनसंख्या में ऐसे मामले निकालना दुर्लभ है तो यही अनुपात तो यूरोप में भी लागू होता है जहां भी आतंकवादी बहुत दुर्लभ हैं.
संक्षेप में एकरमैन का आधार शुरुआत से ही कमजोर है और इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि उनका विश्लेषण भी इसी प्रकार का है . उनका कहना है कि अमेरिका द्वारा इस्लाम को आत्मसात करने की उसकी क्षमता तथा अमेरिका के मुसलमानों के लिए बेहतर आर्थिक और सामाजिक अवसर उपलब्ध होने के कारण अमेरिका की स्थिति सौम्य है .
अमेरिका और यूरोप के मुसलमानों के बीच अंतर उनकी सामाजिक स्थिति के कारण नहीं वरन् उनकी जनसंख्या के कारण है . अमेरिका के मुसलमान डॉक्टर और इंजीनियर हैं जबकि यूरोप के मुसलमान फैक्ट्री में काम करते हैं या सड़कों की सफाई करते हैं .
एकरमैन सोचते हैं कि अमेरिका के मुसलमानों ने कुछ आतंकवादी हमले किए हैं. वास्तव में 1980 के बाद उन्होंने हमलों के प्रयास किए हैं और उसमें शामिल रहे हैं . उनके बारे में जानकारी इसलिए कम हो पाती है क्योंकि सज़ा देने वाले उनपर आतंकवादी होने का लेबल नहीं लगाते और मीडिया उनकी उपेक्षा करता है . लेकिन वे हैं..11 सितंबर से पहले ऐसे 12 हमले अमेरिका की धरती पर किए गए . भले ही उनमें लोगों की हत्यायें न हुई हों या उन्हें टाला जा सका हो. 11 सितंबर के बाद से ऐसे अनेक हमले हुए हैं जिनमें अमेरिका के मुस्लिम आतंकवादियों की भूमिका रही है.
- जुलाई 2002 – लॉस एन्जेल्स हवाई अड्डे पर ई. आई. ए .आई काउंटर पर हेसाम मोहम्मद अली हादायेत द्वारा की गई दोहरी हत्या .
- अक्टूबर 2002 वाशिंगटन डी सी में बेंट वे स्नीपर से अनेकों हत्यायें .
- मार्च 2003 हसन अकबर द्वारा अपने दो अफसरों को काट डालना ( विदेश की अमेरिकी सेना कैंप में )
- अगस्त 2003 – मोहम्मद अली अलायेद द्वारा ह्यूस्टन में एरियल शेलूक की हत्या
- जनवरी 2005 आर्मीनियस परिवार का नरसंहार
- मई- जुलाई 2005 जमायत उल इस्लाम इस शहीह द्वारा भविष्य की आतंकवादी घटनाओं के लिए डकैती का क्रम .
अंत में अमेरिका में जन्म लेने वाले आप्रवासियों के मध्य बढ़ रही कट्टरता एक चिंताजनक तथ्य है . स्थानाभाव के कारण बहुत से उदाहरण दे पाना संभव नहीं है लेकिन हाल के दो मामले ऐसे हैं – अहमद उमर अबू अली को अल –कायदा से संबंध रखने और राष्टट्रपति बुश की हत्या का षड्यंत्र रचने के आरोप में नवंबर में दोष सिद्ध किया गया और उसे आजीवन कारावास की सज़ा मिल सकती है . अली तमीमी को जुलाई में विदेश के आतंकवादी शिविरों के लिए आतंकवादियों की भर्ती के लिए आजीवन जेल हुई . अभीभावकों को इससे चिंतित होना चाहिए . अहमद हरबबाब नाम के अमेरिकी पिता ने एक इस्लामवादी फोरम से लिखित रुप से मांग की कि उसके पुत्र को शेष दो भाईयों की तरह शहादत के रास्ते पर जाने से रोका जाए.
श्रीमान् एकरमैन स्वयं को बधाई भले दे लें लेकिन काफी शोध और चिंतायें आनी शेष हैं .
12 दिसंबर 2005 अपडेट – उपर्युक्त लेख में मैंने आर्मिनियन परिवार की हत्या को इस्लामवादी आतंकवाद का एक उदाहऱण बताया है . मैं इस बात से अवगत हूं कि न्यूजर्सी की पुलिस द्वारा प्राप्त निष्कर्षों से यह मेल नहीं खाता है . पुलिस ने इस अपराध के सिलसिले में 3 मार्च को ड्रग डीलर एडवर्ड मैक्डोनल्ड और हैमिल्टन सांचेज को पकड़ा है . मैंने यह 2005 से पूर्व के अपने लेख “Denying Islamist Terrorism” और ब्लॉग द आर्मन फैमिली मैसेकर की संगति में लिखा है . मेरे साक्ष्यों का आधार रॉबर्ट स्पेन्सर की रिपोर्ट “Inside information on the New Jersey Murders” था. प्रात: काल मेरा लेख प्रकाशित होने के बाद रॉबर्ट स्पेन्सर ने इसी पेज पर यह अपडेट दिया-
डैनियल पाईप्स के एक नए लेख के कारण मैं अपना स्पष्टीकरण दे रहा हूं . विभिन्न स्रोतों द्वारा प्राप्त जानकारी की गुणवत्ता के बारे में मैं कुछ नहीं जानता यह काफी परेशान करने वाला विषय है कि मैंने इन साक्ष्यों की गहराई नहीं जानी . अनेक लोगों द्वारा यह प्रस्तुत किया गया . मैंने इसे सद्भावना के साथ बिना यह कहे कि उचित है या नहीं प्रस्तुत किया . लेकिन यह कहानी न्यूजर्सी में कॉप्ट लोगों की मुसलमानों के प्रति नाराजगी का बयान करती है . जहां तक मुझे पता है पुलिस ने इस साक्ष्य का परीक्षण किया और इसे उपयोगी पाया . मुझे यह नहीं पता कि आर्मीनियन परिवार के उन मित्रों का आशय क्या था जिन्होंने यह साक्ष्य मुझे दिया और ये तो 2 ठगों के पकड़े जाने के बाद भी इस बात पर जोर दे रहे हैं. मेरे सामने अभी भी अनेक अनुत्तरित प्रश्न हैं लेकिन मुझे इसमें आगे नहीं जाना है.
उस समय मुझे यह पता नहीं था कि रॉबर्ट स्पेन्सर जिस सामग्री को सार्वजनिक कर रहे हैं उसके संबंध में उन्हें आत्मविश्वास नहीं है हमे बहुत कुछ पता तब चलेगा जब मैक्डोनल्ड और सांचेज का परीक्षण होगा .