पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के वाल्टर ए.मैकडुगल ने अमेरिका के अपने नये इतिहास Freedom Just Around the Corner के प्रथम खंड में दावा किया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका का निर्माण पिछले चार सौ वर्षों की केन्द्रीय घटना है.
इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि इस केन्द्रीय घटना के सम्बन्ध में विभिन्न प्रकार के विचार आते रहे हैं.लाखों प्रवासियों ने पूरे उत्साह से मतदान करते हुये अपनी पुरानी निष्ठा को परे रखकर उस नये प्रयोग में भाग लिया जो जीवन, स्वतन्त्रता और प्रसन्नता के रुप में इसका आधिकारिक लक्ष्य है.
इसका परिणाम काफी सफलतादायक रहा है. “हम मानव प्रयास के प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी हैं, फैशन और फिल्म से लेकर वित्तीय.क्षेत्र तक.ऐसा कहना है अमेरिका के स्तंभकार चार्ल्स क्रावथामर का .हमने विश्व पर सामाजिक, आर्थिक , कूटनीतिक और सैन्य तरीके से शासन किया है जो रोमन साम्राज्य के बाद किसी के लिए भी संभव न हो सका.” इस प्रभाव का एक प्रतीक भी है कि अमेरिका के राष्ट्रपति के आगामी चुनाव से बाहरी विश्व भी प्रभावित है .एक जनमत सर्वेक्षण हुआ कि यदि गैर-अमेरिकन लोगों को मत देने का अधिकार होता तो वे किसे मत देते.
लेकिन इस असाधरण सफलता का एक अंधकारपूर्ण पक्ष भी है और उसमें शामिल है जलन , डर और विरोध .बैरी रुडिन और जुबिल कोल्प रुबिन ने एक बुद्धिमतापूर्ण, कठोर और आनंददायक अध्ययन अपनी पुस्तक – Hating America: A History में किया है .इसमें उन्होंने दूसरे पक्ष का वर्णन किया है .उन्होंने तीन प्रमुख बिन्दुओं की ओर ध्यान दिया है –
पहला उन्होंने अमेरिका के संबंध में भूतकाल में लोगों की टिप्पणियों का संकलन किया है . कुछ बेतुकी हैं और कुछ दुष्टतापूर्ण .
- प्रसिद्ध फ्रांसीसी वैज्ञानिक काम्टे डि बफोन ने 1749 में कहा अमेरिका के लोगों का ह्रदय जम चुका है . उनका समाज शीतल है और उनका साम्राज्य क्रूर.
- फ्रांसीसी राजनेता टेलीरैंड ने 1790 में कहा कि यह 32 धर्मों का देश है और एक ही खाद्य है और वह भी खाने योग्य नहीं है .
- फ्रांसीसी सामाजिक दार्शनिक एलेक्सिस डी टोक्वी विले ने 1835 में कहा मैं ऐसे और किसी भी देश के बारे में नहीं जानता जहां मष्तिस्क को इतनी कम स्वतंत्रता हो और तर्क वितर्क की इतनी कम स्वतंत्रता .
- ऑस्ट्रिया के मनोविज्ञानी सिगमण्ड फ्रायड ने 1930 में कहा , “अमेरिका एक भारी भूल है.”
- आयरलैंड के नाटककार जार्ज बर्नाड शॉ ने 1933 में कहा , “ संतुलित व्यक्तित्व वाले व्यक्ति को अमेरिका में शरण मिलनी मुश्किल है ..”
- अमेरिका के उपन्यासकार हेनरी मिलर ने 1945 में कहा कि अमेरिका ऐसा फल है जो पकने से पहले ही सड़ गया .
- ब्रिटेन के नाटककार हेराल्ड पिन्टर ने लिखा “अमेरिका दुनिया की सबसे खतरनाक शक्ति है .”
दूसरा रुबिन पांच अंकों के नाटक में समय- समय पर अमेरिका विरोध के इतिहास को पकड़ने में सफल रहे हैं . 11 वीं शताब्दी में एक व्यापक सिद्धांत खराब नस्ल का सिद्दांत चला जिसमें अमेरिका के प्रति हीन भावना अंतर्निहित थी .यूरोप के मानव और जानवरों को आगे कर कहा गया कि नई दुनिया के लोग इनके मुकाबले हीन हैं. 1830 से 1880 का समय अमेरिका के प्रयोग की असफलता के काल के रुप में चित्रित हुआ. लोकतंत्र ने एक घातक विनम्रता , समाज और संस्कृति का विकास कर लिया है जो ध्वस्त होने की कगार पर है ऐसा कहा गया. अमेरिका एक ऐसा बुरा उदाहरण था जिसे अपनाया नहीं जाना चाहिए .
1880 से 1945 के मध्य अमेरिका की शक्ति में हुई वृद्धि से यह भय बढ़ा कि अमेरिका का मॉडल पूरे विश्व पर हावी हो जाएगा . अमेरिका की प्रत्येक सैनिक विजय 1898 में स्पेन , 1918 में प्रथम विश्व युद्ध और 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध से यह बेचैनी और बढ़ती गई.
1945 से 1990 के मध्य शीत-युद्ध में अमेरिका का कद एक सुपर पावर का हो गया तो यह भय और भी बढ़ा. एक ओर सोवियत संघ का प्रभाव उसकी सैन्य शक्ति तक ही सीमित रहा तो अमेरिका का प्रभाव फास्ट फूड , फिल्मों ,कपड़ों और कंप्यूटर प्रोग्राम से विस्तृत होता गया .
शीत –युद्ध के उपरांत 1990 में अमेरिका का एक मात्र शक्ति के रुप में उभरना अमेरिका विरोधियों के लिए एक सदमा था जिनकी दृष्टि में विश्व की सभी बुराईयों का जनक अमेरिका है .
अंत में लेखक ने सैकड़ों पृष्ठों में उस आशय को स्पष्ट किया है जो अमेरिका विरोधी भावना के पीछे है .बहुत आरंभ से विस्तृत आकाश और संपन्नता ने एक मुक्त संपन्न और अधिक प्रलोभन वाले विकल्प सुझाये जिससे वे लोग पीछे रह गए जिन्होंने अपनी पसंद को तार्किक नहीं बनाया था . अमेरिका की शक्ति के साथ अमेरिका विरोध भी जुड़ा हुआ है. 1950 में फ्रांस में कोकाकोला के विरुद्ध अभियान ने पश्चिमी यूरोप में उस वर्ष कोका कोला की खपत को सबसे नीचे ला दिया था .आज भी जनमत सर्वेक्षण बताते हैं कि पूरी दुनिया में अमेरिका की अस्वीकृति है . अंत में सभी नारों और अपमानों के बीच अमेरिका विश्व पटल पर एक शक्ति बनकर उभरा है और अपने नागरिकों को प्रसन्नता का आभास कराने में सफल रहा है.