पिछले सप्ताह फिलीस्तीनी अथारिटी के चुनाव में फतह पर हमास की एकतरफा विजय पर मुख्य ऱूप से तीन प्रकार से प्रतिक्रिया हुई है. अमेरिकन इजरायल पब्लिक अफेयर्स कमेटी ने भय व्यक्त करते हुये चिन्ता प्रकट की है कि हमास ने खुले तौर पर यहूदी राज्य को नष्ट करने के अपने उद्देश्य का बखान किया है इसलिए उनके अनुसार हमास की विजय शान्ति प्रक्रिया के समापन का आरम्भ है.
दूसरी श्रेणी भूतपूर्व राष्ट्रपति जिम कार्टर जैसे लोगों की है जिन्होंने अधिक बोलते हुये सामान्य दिमाग का भी प्रयोग नहीं किया और आशा व्यक्त कर दी कि विधान परिषद की 132 सीटों में से फतह के 45 मुकाबले 74 सीटें जीतने के बाद हमास काबू में आ जायेगा और इजरायल के साथ शान्ति में साझीदार हो जायेगा.
तीसरे वर्ग में बोस्टन ग्लोब के स्तम्भकार जेफ जेकोबी सम्मिलित हैं जो मानते हैं कि हमास की सफलता काफी हद तक सबसे अच्छा परिणाम है क्योंकि यह फिलीस्तीनी समाज के स्वभाव की वास्तविकता को देखने का अवसर है.
और मैं अरब-इजरायल संघर्ष के सम्बन्ध में हमास की विजय को लेकर तटस्थ हूं.
फतह के यहूदी विरोधी स्वभाव और हमास के यहूदी विरोधी स्वभाव में अधिक अन्तर नहीं है. हमास के आतंकवादी हर पखवाड़े बोलते हैं जबकि फतह के आतंकवादी अस्पष्ट रहते हैं. यहां तक कि दोनों रणनीति में भी एक दूसरे से आगे हैं. फतह इजरायल के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करता जबकि हमास इजरायलवासियों से बातचीत करता है. इजरायल के प्रति व्यवहार मे उनमें कोई तात्विक अन्तर नहीं है केवल शैली और प्रकार में अन्तर है.
मैं हमास से घ्रणा करता हूं और उसे नष्ट करने की बात कर चुका हूं परन्तु यह भी मानता हूं कि चुनावों से कुछ लाभ भी होगा. यह इजरायलवासियों को समझने के लिये प्रेरित करेगा कि फिलीस्तीनी अरब राजनीति में यहूदी विरोधी भाव कितना गहरा और व्यापक है. हमास और फतह ने मिलकर विधान परिषद की 13 सीटों को छोड.कर सभी सीटें जीत ली हैं. एक वामपंथी आतंकवादी गुट पापुलर फ्रन्ट फार द लिबरेशन आफ फिलीस्तीन को तीन सीटें मिली हैं. तीन वामपंथी दलों- अल बदील, इन्डेपेन्डेन्ट लिस्ट और थर्ड वे लिस्ट को क्रमश: दो सीटें मिली हैं तथा चार स्वतन्त्र प्रत्याशी विजयी रहे हैं. बहुत मामूली अपवाद के आंकङो को छोङकर विधान परिषद इजरायल के अस्तित्व के अधिकार को अस्वीकार करती है या फिर डेविड होरोविट्ज के तीखे विश्लेषण के अनुसार फिलीस्तीनी अरब प्रथम आतंकवादी जन हैं.फिलीस्तीनी चुनाव परिणाम के लिये कुछ हद तक यासर अराफात उनके घनिष्ठ मित्रों द्वारा अपनी प्रजा पर किया कुशासन भी उत्तरदायी है. इसके विपरीत हमास ने लोगों की सेवा की, अपेक्षाकृत सदाचार और विनम्रता का पालन किया. यदि सकारात्मक पहलू की ओर देखें तो हमास की विजय में अन्तर्निहित है कि फिलीस्तीनी अरब इजरायल को नष्ट करने के अतिरिक्त अन्य विषयों की ओर भी ध्यान देते हैं. यदि नकारात्मक पहलू की ओर देखें तो वे बेईमान आतंकवादियों पर ईमानदार आतंकवादियों को प्राथमिकता देते हैं.
हैफा विश्विद्यालय के स्टीवन प्लाट ने लिखा है कि हमास की विजय ही इजरायलवासियों के लिये अपनी आंखें खोलने और जागने का एक अवसर है. यह कुछ और लोगों के भी जागने का अवसर है. क्या स्पेन की आंख मींचने वाली सरकार हमास के बाल प्रकाशन में सेविले प्रान्त मुसलमानों के शासन में वापस करनी की बात पर जागेगी. हो सकता है. परन्तु मैं एक अपुष्ट आशा पर कायम हूं कि हमास की सत्ता प्राप्ति से वास्तविकता से सामना होगा.
शान्ति प्रक्रिया में जुटे लोग अपने पोषित समझौते को केवल इसलिये नहीं छोङ देंगे कि एक हत्यारा अधिनायकवादी संगठन सत्ता में आ गया है. जैसाकि 1993 से निरन्तर होता आया है इस झटके की भी अवहेलना कर इजरायल से अधिक छूट लेने की दिशा में प्रयास होंगे.
मेरी भविष्यवाणी है कि 1982-88 में अराफात पर आतंकवाद छोङने के लिये जैसा दबाव था वही पुनरावृत्ति होगी परन्तु अरब-इजरायल संघर्ष के तीव्र पर्यवेक्षक Washington Institute for Near East Policy के राबर्ट सैटलाफ को सन्देह है कि हमास को अराफात की भांति छूट देने के लिये विवश किया जा सकेगा.
मेरी भी अपेक्षा है कि हमास द्वारा परिवर्तित न होने के साहसिक वक्तव्य के बाद भी यह आवश्यकता के अनुसार चलेगा. आर्थिक चुभन और कूटनीतिक दबावों के चलते ये नेता भी अराफात की आदत अपनाकर अस्पष्ट संकेत देते हुये अंग्रेजी में कुछ कहेंगे और अरबी में कुछ और. ये भी आतंकवाद छोङ देंगे और उसे कुछ और नाम दे देंगे.
वास्तव में तो जैसा योसी क्लेन हालेवी कहते हैं कि इशारों और संकेतों का दौर तो अभी शुरू हो गया है. हमास ने 2005 में तहदिया (नरम होना) की घोषणा कर आतंकवाद से स्वयं को अलग कर लिया और अपनी लफ्फाजी में भी पिछले सप्ताहों में नरमी लाई है. उदाहरण के लिये इसने इजरायल के साथ 15 वर्षों के युद्ध विराम का प्रस्ताव किया. इस बदलाव में सफलता के चिन्ह दिख रहे हैं. पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन जो प्राय: विचार प्रकट करते हैं, उन्होंने बुश प्रशासन से आग्रह किया है कि बुश प्रशासन को हमास के साथ कार्य व्यापार पर विचार करना चाहिये.
मेरी भविष्यवाणी है कि इजरायल और फिलीस्तीन की बातचीत अपने स्वर्णिम अध्याय में पहुंचेगी जो परस्पर सौहार्द, शान्ति और बन्धुत्व लायेगी क्योंकि इस बार इजरायल के समक्ष महमूद अब्बास और यासर अराफात की भांति अभागे नहीं वरन् चालाक और संकल्पित शत्रु हैं.