पिछले सप्ताह उत्तरी अमेरिका के अग्रणी इस्लामवादी संगठन काउंसिल आँन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशन्स ने एक टी.वी शो में एफ.बी.आई की मेजबानी कर प्राय: मान्यता ही प्राप्त कर ली. परन्तु यदि अमेरिका की व्यवस्था के लोग तथा उच्च कानून प्रवर्तक संस्थायें शत्रु के प्रति सी.ए.आई.आऱ की सहानुभूति से अनभिज्ञ हैं तो Government Emergency Telecommunications Service (GETS) को इस समस्या को बेहतर ढंग से समझना चाहिये.
GETS की पृष्ठभूमि-राष्ट्रीय आपातकाल जैसी संचार व्यवस्था की भीड़ के अवसरों पर राष्ट्रीय सुरक्षा और आपातकालीन स्थितियों का प्रबन्धन करने के लिये उत्तरदायी लोगों को एक कार्ड देकर उन्हें बात करने में प्राथमिकता दी जायेगी. इन लोगों में कांग्रेस के सदस्य, कानून प्रवर्तक और सेना के लोग शामिल होंगे. राष्ट्रीय आपातकाल के अवसर पर कुछ भूमिका निभाने वाले व्यक्तिगत संगठनों को भी यह कार्ड दिया जायेगा.
वाशिंगटन के स्थानीय संगठनों में अच्छी प्रतिष्ठा रखने वाले सी.ए.आई.आऱ ने भी इस उन्मुक्ति का दावा इस आधार पर किया कि 11सितम्बर 2001 के बाद मुसलमानों से सम्पर्क रखना उसके लिये आवश्यक है. सी.ए.आई.आऱ का आवेदन तीन घण्टे में ही निरस्त कर दिया गया. पता चला है कि सी.ए.आई.आऱ का आवेदन इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि उसकी अहर्ता उस स्तर की नही है कि उसे यह सुविधा प्रदान की जाये. परन्तु यह अस्वीकृति सी.ए.आई.आर द्वारा आतंकवादियों से सम्पर्क रखने वाले संदिग्ध व्यक्तियों के साथ दूरभाषिक सम्पर्क रखने का परिणाम है. सी.ए.आई.आर ने अपने अदालती मामले में यह विवरण देकर इसे पुष्ट किया है.
और अधिक पृष्ठभूमि- सी.ए.आई.आर ने अपने संगठन द्वारा दायर किये गये एक मुकदमे के सम्बन्ध में जनवरी 2006 में न्यायालय में दस्तावेज प्रस्तुत किये. इसमें दावा किया गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा एजेन्सी ने राष्ट्रपति बुश द्वारा 2002 में अधिकृत किये गये एक असंवैधानिक कानून के तहत विदेश में की गयी उसकी बातचीत को सुना है. इस कानून के अन्तर्गत राष्ट्रीय सुरक्षा एजेन्सी युद्ध के समय बिना वारण्ट के शत्रुओं के फोन टेप कर सकती है. अपने मकदमे में सी.ए.आई.आर ने आतंकवादियों के साथ सम्पर्क के आरोपी व्यक्तियों के साथ अपने संचार सम्बन्धी दस्तावेज प्रस्तुत किये. विशेष रूप से चार नामों का उल्लेख किया गया-
तारिक रमादान- एक स्विस इस्लामादी जो 2004 में इण्डियाना में नात्रेदाम विश्वविद्यालय में पद ग्रहण ही करने वाला था कि गृहभूमि सुरक्षा विभाग ने उस कानून के अन्तर्गत उसका वीजा रद्द कर दिया जिसमें किसी भी विदेशी व्यक्ति का देश में प्रवेश प्रतिबन्धित कर दिया जाता है जो आतंकवादियों से किसी भी प्रकार सम्बन्धित है. यद्यपि हाल में जमा किये गये दस्तावेज पहले के निष्कर्षों के विरोधाभासी हैं परन्तु उस समय गृहभूमि सुरक्षा के एक अधिकारी ने मुझसे कहा था कि उसके विरूद्ध पर्याप्त साक्ष्य हैं. पहले भी रमादान को एक अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर प्रवेश करने से रोक दिया गया था. फ्रांस के अधिकारियों ने उसे पेरिस में बम विस्फोट करने वाले अल्जीरिया के आतंकवादियों के साथ जुड़ा मानकर 1995 में देश से बाहर रखा था.
युसुफ इस्लाम- इस्लाम में धर्मान्तरित होने से पूर्व कैट स्टीवेन्स के नाम से प्रसिद्ध इस व्यक्ति को 2004 मे अमेरिका जाने वाले एक विमान से हटा दिया गया और इसे वापस ब्रिटेन आना पड़ा, क्योंकि अमेरिकी अधिकारियों को पता चला कि उसका नाम ‘नो फ्लाई’ सूची में है. गृहभूमि सुरक्षा के प्रवक्ता ब्रायन डोयल के अनुसार एक समय के लोक गायक को आतंकवाद के साथ सम्भावित सम्पर्कों के कारण उसे इस सूची में डाला गया था. इससे पहले इजायल के अधिकारियों ने उसे इस्लामवादी संगठन हमास को आर्थिक सहायता देने के आरोप में देश में घुसने से दो बार मना कर दिया था.
राबीह हदाद-सी.ए.आई.आर के लिये धन एकत्र करने वाले इस व्यक्ति ने ग्लोबल रिलीफ फाउण्डेशन नामक प्रदाय संगठन की स्थापना की जिसे अमेरिकी सरकार ने ओसामा बिन लादेन और अल-कायदा का प्रायोजक घोषित कर बन्द कर दिया.
इस्लाम अलमुरावित- इस्लामिक असेम्बली आँफ नार्थ अमेरिका का पूर्व प्रमुख इस समय सउदी अरब में रहता है और सी.ए.आई.आर की शिकायत के अनुसार एफ.बी.आई की सतत् प्रताड़ना से बचने का प्रयास कर रहा है. यह सतत् प्रताड़ना अल्मुरावित के संगठन की गतिविधियाँ या अभियोजन पक्ष के अनुसार कट्टरपंथी इस्लामी विचारधारा के लिये सदस्यों क भर्ती, उन्हें प्रोत्साहन तथा हिंसा और आतंकवाद में संलिप्तता है. विशेष रूप से इस संगठन ने अल-कायदा के लिये भर्ती करने वाले वरिष्ठ व्यक्ति अब्दुलर्रहमान अल दोसारी की मेजबानी की और अमेरिका के विरूद्ध आत्मघाती हमलों की वकालत करते हुये साहित्य वितरित किये.
निष्कर्ष रूप में सी.ए.आई.आर ने अपने अदालती दस्तावेजों में स्वयं आतंकवादियों के साथ सम्पर्क के संदिग्ध व्यक्तियों के साथ सम्पर्क की बात स्वीकार की है. अमेरिकी प्रशासन को सी.ए.आई.आर की GETS की उन्मुक्ति को तो अस्वीकार करना ही चाहिये राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में उसकी टेलीफोन लाइन काटने पर भी विचार करना चाहिये.