26 अप्रैल को अमेरिका की कैबिनेट के दो मन्त्रियों ने जब ईराक के नवनिर्वाचित नियुक्त प्रधानमन्त्री नूरी कमाल अल मलिकी से मुलाकात की तो यह मुझे उल्टा असर करने वाला कदम ही लगा.
न्यूयार्क टाइम्स के शब्दों में अमेरिका के लोगों की इस यात्रा का छुपा उद्देश्य “ सरकार में जनता के विश्वास को पुनर्स्थापित करना तथा सुरक्षा बल में जातीय लड़ाकों की घुसपैठ से देश को मुक्त कराना रहा ” परन्तु वास्तव में उन्होंने अल मलिकी की पीठ थपथपाई . रक्षा मन्त्री डोनाल्ड एच.रम्सफेल्ड ने कहा “मैं काफी उत्साहित हूँ ” गृहमन्त्री कोन्डालेजा राइस भी काफी उत्साहित दिखीं “ वह काफी प्रभावी हैं, वह अपनी भूमिका को समझते हैं कि नई सरकार को दिखाना है कि यह राष्ट्रीय एकता वाली सरकार है जिसमें सभी ईराकियों का विश्वास है”.
उसके बाद अल मलिकी ने विद्युत शक्ति को बहाल कर तथा पुलिस बल में लड़ाकों के प्रभाव को समाप्त कर ईराक के लोंगो में पुन: विश्वास कायम करने के अपने उद्देश्य के प्रति राइस को आश्वस्त किया. उनकी इस भेंट से मुझे ऐसा लगा मानों मुख्यालय समस्याग्रस्त शाखा के लिये प्रबन्धकों को भेज रहा हो.
निश्चित रूप से अमेरिका के अधिकारियों ने इसका खंडन किया है .यह पूछे जाने पर अल-मलिकी के प्रधानमंत्री निर्वाचित होने के तत्काल बाद नाटकीय ढंग से सचिवों का संयुक्त रुप से वहां प्रकट होना कहीं यह संकेत तो नहीं देगा कि वे अमेरिका के कठपुतली प्रधानमंत्री हैं, राइस ने इराकी सरकार को अब तक की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया कहकर प्रश्न को ही टाल दिया .यह पूछे जाने पर कि अमेरिका की सेना लड़ाकों के प्रभाव को कैसे कम करेगी रम्सफेल्ड ने काफी असहनीय उत्तर दिया . “पहली बात मैं यह कहना चाहता हूं कि ये हम नहीं ईराकी करेंगे ..”
अमेरिका की भूमिका को लेकर यह उलझन स्वाभाविक है जब अमेरिकी नेता अपने आश्रित ईराकी नेताओं को कस कर गले लगाएंगे जिसने पिछले तीन वर्षों में अनेक स्वरुप ग्रहण किए हैं . इसे स्पष्ट करने के लिए दिसंबर 2003 का उदाहरण पर्याप्त है जब राज्य विभाग ( ईराकी नेशनल सिंपनी ) ऑर्केस्ट्रा को ईराक से वाशिंगटन लाया और उस कार्यक्रम में बुश भी उपस्थित रहे . इस संरक्षण से ईराकियों ने ऑर्केस्ट्रा को रखैल संस्था मान लिया .
ईराकी सरकार को सार्वजनिक रुप से गले लगाने को अमेरिका प्रशासन अति के रुप में नहीं देखता लेकिन मैं देखता हूं. चार कारणों से यह सहायता के बजाए बाधा पहुंचाने वाला है .
पहला इस धारणा के बाद कि अमेरिका के लोगों का कार्यभार है, शासन के शत्रुओं को उग्रवाद के लिये समर्थन जुटाने में सरलता होती है.
दूसरा किसी गैर मुसलमान द्वारा उनकी सम्प्रभुता में हस्तक्षेप से मुसलमानों को अतिशय चिढ़ है. पश्चिम के एजेन्ट की छवि वाले मुस्लिम नेता के लिये अपनी मान्यता के सभी प्रयास व्यर्थ जाते हैं, जैसा कि जार्डन के पहले राजा अब्दुल्लाह प्रथम के साथ हुआ जो कि 30 वर्ष के अपने पूरे शासन में यही प्रयास करते रहे और उनके देश की स्थिरता कम होती रही.
ईराकी नेताओं को गले लगाने से यह तथ्य भी धुंधला हो जाता है कि बगदाद प्रमुख निर्णय बुश प्रशासन की इच्छा के विरूद्ध लेता है . जैसे तेल नीति को नियन्त्रित करना, प्रशिक्षण हेतु ईरानी सेनाओं का प्रवेश और विदेशी संविदाकर्ताओं को ईराकी कानून से उन्मुक्ति की माँग को अस्वीकार करना. कभी-कभी ईराकी नेता स्पष्ट रूप से अपनी स्वतन्त्रता की बात कहते भी हैं. उदाहरण के लिये 2005 के मध्य में जब रक्षा मन्त्री सादोन अल दुलायमी से पूछा गया कि क्या तेहरान के साथ समझौते से वाशिंगटन असन्तुष्ट होगा उन्होंने उत्तर में कहा कि दूसरे देशों के साथ ईराक के सम्बन्ध के मामले में उसे कोई निर्देशित नहीं कर सकता. परन्तु ऐसे तनाव अधीनस्थ ईराक पर स्वामी का आधिपत्य जैसी कहानियों के नीचे दब जाते हैं.
चौथा, ईराक के घटिया निर्णयों के लिये अमेरिका स्वयं को उत्तरदायी बना रहा है. फरवरी 2004 में एक सुन्नी नेता ने कहा अमेरिका इस समय देश का स्वामी है और उसका उत्तरदायित्व है.
नये ईराकी नेतृत्व के साथ बहुत गर्मजोशी दिखाने के बजाय यह नीति उचित होगी कि इसे सीमित आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाये, थोड़ी सैन्य सहायता दी जाये और दूर से ही इसकी भलाई की कामना की जाये. जैसा कि ईराकी मूल के एली केदौरी के शब्दों में ईराक के खून खराबे, देशद्रोह और बदला लेने वाले ऐतिहासिक रूप से हिंसक और ईराकी राजनीति के अक्षम्य युग के साथ ईराकी सरकार को डूबने या तैर कर निकल आने की स्थिति में छोड़ देना चाहिये. यदि सरकार सफल होती है तो ऐसा गठबन्धन सेनाओं के सहयोग से न होकर स्वयं उनके द्वारा करने से लाभ होगा. और यदि असफल होती है तो राजनीतिक वयस्क ईराकियों पर अपने भविष्य को निर्धारित करने का भार होगा न कि गठबन्धन के पाल्यों पर. यह देखते हुये कि स्थिति हाथ से निकलने न पाये विदेशी सेनाओं की भूमिका सीमित होनी चाहिये.
1 मई अपडेट- इस लेख के प्रकाशित होने तक राष्ट्रपति बुश ने राइस और रम्सफेल्ड के ईराक से वापस लौटने पर उनसे भेंट की. अपने बयानों से उन्होंने ईराकी नेताओं को और कसकर बाहों में जकड़ लिया.
उन्होंने कहा, “ मेरी दृष्टि में दोनों सचिवों के लिये वहाँ प्राथमिक तौर पर जाकर नेताओं से कहना कि हम आपके साथ हैं आवश्यक था. इन दोनों वरिष्ठ अधिकारियों के लिये आवश्यक है कि इन लोक नेताओं के साथ बैठे और कहें आपको हमारा समर्थन है और हम आपकी सफलता चाहते हैं”. राष्ट्रपति ने ईराकी नेतृत्व की सराहना की, “ हमें अपने प्रयास में नये साथी मिले हैं जो एकताबद्ध ईराक और ईराक की जनता के उचित प्रतिनिधित्व वाली सरकार को साथ लाने को प्रतिबद्ध हैं. देश के नये प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति और संसद अध्यक्ष को पता है कि उन्हें कठिनाइयों का सामना करना है”