क्या मुस्लिम इजरायलवाद यहूदी इजरायलवाद से सशक्त है.हालांकि यह प्रश्न सुनने में बेतुका जरूर है परन्तु ऐसा है नहीं.
यहूदी इजरायलवाद जेरूसलम के प्रति उनके तीन सहस्राब्दी पुराने लगाव का परिणाम है जो इस प्राचीन शहर से अलग सुदूर क्षेत्रों में यहूदियों के बसने के बाद भी फलता-फूलता रहा. इजरायल के प्रति( प्रसिद्ध डेविड का पर्वत) इस प्रेम के कारण 20वीं शताब्दी के एक असाधारण राष्ट्रीय आन्दोलन ने जन्म लिया, जिसने सुदूर क्षेत्रों में बसी जनसंख्या को अपनी मातृभूमि में पुन: बसने को प्रेरित किया, एक भाषा को पुनर्जीवित किया तथा एक नई राजनीति को स्थापित किया और यह सब किया भारी विरोध के बीच.
इसके विपरीत मुस्लिम इजरायलवाद का इतिहास सशर्त और अनियमित है जो इस शहर की उपयोगिता पर आधारित है. सातवीं शताब्दी से जब भी जेरूसलम मुस्लिम धार्मिक और राजनीतिक हित के केन्द्रबिन्दु के रूप में उभरा है तो यह उपयोगितावादी प्रतिक्रया स्वरूप रहा है. जब जेरूसलम से मुस्लिम धार्मिक या राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति हुई है तो यह शहर मुसलमानों की श्रद्धा और भावना का कारण बना. जब ये आवश्यकतायें नहीं रहीं तो मुसलमानों की रूचि भी समाप्त हो गई.14 शताब्दियों में छह बार इस परिपाटी का चक्र घूमा है.
ऐसे पहले उदाहरण में कुरान में वर्णन आता है कि ईश्वर ने 622 ई. में मोहम्मद से जेरूसलम की ओर मुँह करके प्रार्थना करने को कहा फिर 17 महीने बाद मक्का की ओर ही मुँह करके प्रार्थना करने का आदेश दिया. अरबी साहित्यिक स्रोत इस बात से सहमत हैं कि जेरूसलम के माध्यम से नये इस्लामी धर्म का यहूदियों को अपनी ओर करने का प्रयास असफल रहा.
यही उपयोगितावाद की परिपाटी आधुनिक समय में भी जारी रही. तुर्की साम्राज्य द्वारा 19वीं शताब्दी में जेरूसलम की उपेक्षा ने फ्रांसीसी उपन्यासकार गुस्ताव फ्लावर्ट को ये बातें कहने पर विवश किया, “सर्वत्र भग्नावशेष और कब्रगाहों के अवशेष हैं-----तीन धर्मों का पवित्र शहर विनाश और उपेक्षा से सड़ रहा है ”. 1917 में ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा इसे विजित करने पर फिलीस्तीनी अरबवासियों ने इसे साम्राज्यवादी नियन्त्रण के विरूद्ध मुस्लिम जनभावनायें भड़काने के लिये खोज निकाला. 1948 में जार्डन की सेनाओं द्वारा इस शहर पर नियन्त्रण कर लेने के बाद मुस्लिम रूचि पुन: क्षीण हो गई.
1967 में यह भावना पुन: प्रकट हुई जब पूरा शहर इजरायल के नियन्त्रण में आ गया. पिछले चार दशकों में जेरूसलम के लिये मुस्लिम भावनायें फिर उफान पर हैं कि मुस्लिम इजरायलवाद और यहूदी इजरायलवाद की समानता सटीक है.दो समानतायें ध्यान देने योग्य हैं-
भावनात्मक महत्व- इजरायल के आज के प्रधानमन्त्री येहुद ओलमर्ट ने 1997 में कहा था, “सेकेण्ड टेम्पल के विध्वंस के बाद 2,000 बर्षों की यहूदियों की प्रार्थना,स्वप्न,क्रन्दन और बलिदान के पवित्रतम भाव का प्रकटीकरण जेरूसलम है ”. 2000 में फिलीस्तीनी अथॉरिटी के यासर अराफात ने इन्हीं शब्दों को प्रतिध्वनित किया, “जेरूसलम सभी अरबवासियों,मुसलमानों और ईसाइयों की भावनाओं की गहराई में विद्यमान है ”.
शाश्वत राजधानी-इजरायल के प्रधानमन्त्री अजर बेजमान ने मार्च 2000 में पोप जॉन पॉल की जेरूसलम की यात्रा के दौरान उनसे कहा था कि यह शहर इजरायल की शाश्वत राजधानी है. एक दिन पश्चात अराफात ने पोप का स्वागत फिलीस्तीन और उसकी शाश्वत राजधानी जेरूसलम में किया. पोप से मुलाकात करने वाले यहूदी और मुस्लिम धार्मिक नेताओं ने भी इसी प्रकार जेरूसलम को अपनी शाश्वत राजधानी बताया.
सामान्य तौर पर विश्लेषक खालिद दुरान ने 1999 में पाया कि इजरायलवाद के इस्लामीकरण का प्रयास इस अर्थ में हो रहा है कि यहूदियों के लिये जेरूसलम के लगाव और महत्व पर जबरन फिलीस्तीनी मुसलमानों द्वारा कब्जा किया जा रहा है.(रोचक ढंग से यह फिलीस्तीनी अरब राष्ट्रवाद को यहूदी राष्ट्रवाद के समकक्ष खड़ा करने की व्यापक परिपाटी का अंग है).
यह प्रयास पूरी तरह सफल हो रहा है क्योंकि सेकुलर इजरायली जेरूसलम को लेकर गतिहीन हैं जबकि मुस्लिम इजरायलवाद इसके यहूदी मूल से कहीं अधिक राजनीतिक और भावनात्मक रूप से जुड़ा रहा है. प्रतिद्वन्दी जेरूसलम दिवस के उदाहरण से यह बात समझी जा सकती है.
इजरायल का जेरुसलम दिवस 1967 में इसके नियंत्रण में शहर की आने की जयंती मनाता है लेकिन जैसा कि हार्टेज में इजरायल हारेल ने लिखा है कि यह श्रद्धांजलि राष्ट्रीय अवकाश से घटकर धार्मिक समुदाय के अवकाश तक सीमित हो गई है इसके विपरीत 1979 में 11 वर्ष बाद अयातोला खोमैनी द्वारा आरंभ किए गए जेरुसलम दिवस के मुस्लिम संस्करण में सुदूर तेहरान में तीन लाख की भीड़ एकत्र होती है यह अवसर न केवल आक्रामक भाषण के लिए आधारभूमि तैयार करता है वरन् समस्त मुस्लिम विश्व का समर्थन भी प्राप्त करता है .
2001 में एक जनमत सर्वेक्षण ने पाया कि इजरायली जेरुसलम को विभाजित करना चाहते हैं और पिछले महीने ही ओल्मर्ट सरकार ने थोड़े से प्रतिरोध के बीच शहर को विभाजित करने की योजना की घोषणा कर दी .
इसलिए मैं समापन करता हूं कि आज इजरायल (डेविड पर्वत ) का मुस्लिम उपयोग यहूदियों के इजरायल प्रेम से अधिक सशक्त है .