मेरा अनुमान है कि फालुजा में अमेरिकी और ईराकियों के मध्य जारी संघर्ष और बढ़ेगा. इसके बाद दो कल्पनाओं के आधार पर मेरा अनुमान है कि ईराकी शक्तिशाली बनकर उभरेंगे, एक तो ईराकी नहीं चाहते कि अमेरिका के लोग उन पर शासन करें और अपने देश के भविष्य की चिन्ता ईराकियों को अमेरिका से कहीं अधिक है.
यदि तर्क के लिये मान लिया जाये कि मेरी कल्पना सत्य है और अमेरिकी सरकार मुक्त और शान्तिपूर्ण ईराक के अपने लक्ष्य को छोड़ देती है और गठबन्धन सेना मामूली शर्तों पर ईराक छोड़ भी देती है तो इसके कम से कम बुरे परिणाम क्या हो सकते हैं.
केन्द्रीय सत्ता समस्त देश पर नियन्त्रण करते हुये इसकी सीमाओं पर पहरा देते हुये , पड़ोसियों पर आक्रमण न करते हुये नस्ली तनाव और कट्टरपंथी विचारधारा पर लगाम लगायेगी. फिर यह सटीक स्वतन्त्रता को सुनिश्चित करते हुये अर्थव्यवस्था और संस्कृति का विकास करेगी, बाहरी विश्व को तेल और गैस निर्यात करेगी तथा अधिक राजनीतिक भागीदारी की ओर प्रवृत्त होगी.
यह तो ठीक है परन्तु इसे कैसे प्राप्त किया जाये ?
एक वर्ष पहले पहली बार टेलीविजन पर एक बहस में और पुन: लेखों के माध्यम से ‘ लोकतान्त्रिक मस्तिष्क वाले शक्तिशाली ईराकी’ के अपने तर्क पर पिछले कुछ महीनों में फिर लौट रहा हूँ. इसमें अनेक तत्वों का संयोजन होगा.
- सद्दाम हुसैन के शासन काल के अपराध या प्रताड़ना का कोई इतिहास नहीं होगा
- इस्लामवादियों ,बाथवादियों सहित कोई भी कट्टरपंथी विचारधारा नहीं होगी.
- एक मान्यताप्राप्त स्थाई समाज
- सत्ता के माध्यमों तक पहुँच और सत्ता का एक आधार जो सुन्नी, शियाओं य कुर्द जनसंख्या तक सीमित न होकर समस्त देश का नेता बनने की पात्रता रखता हो.
इस श्रेणी के लिये कौन उपयुक्त है ? एक उच्च श्रेणी का सैन्य अधिकारी जो कि पूर्व शासन के जनसंहार का दोषी नहीं है, ऐसा कोई जो गठबन्धन को हटाकर स्वयं ईराक पर शासन करने के प्रयास में इसकी अवहेलना करते हुये भी इसके साथ कामचलाऊ सम्बन्ध स्थापित कर सके.
अभी पिछले सप्ताह तक यह ऐसा विवरण था जिसके लिये कोई पात्र नहीं था.
उसके बाद पिछले सप्ताह एक आश्चर्यजनक समाचार आया कि सद्दाम हुसैन के रिश्तेदार 49 वर्षीय फालुजा निवासी सुरक्षा सेना प्रमुख पूर्व मेजर जनरल जासिम मोहम्मद सालेह अल दुलैमी ने फालुजा सुरक्षा सेना नामक एक नवीनतम सेना बनाई जो गठबन्धन और फालुजा के उग्रवादियों के मध्य टकराव रोकने के लिये गठबन्धन सेना के साथ काम कर रही है. मुख्य रूप से असन्तुष्ट पूर्व अधिकारी और फालुजा क्षेत्र के सैनिकों वाला 100 स्वयंसेवकों का यह दल नाकों पर तैनात है और अमेरिका की नौसेना को सूचनायें देता है. सालेह ने 30 अप्रैल को सद्दाम शैली की मूँछों के साथ सद्दाम युग के गणवेश के साथ कमान सँभाली. ईराक से बाहर प्रसारित चित्रों में उन्होंने नौसेना के सेनापतियों से हाथ मिलाते हुये पुराने ईराकी ध्वज को फहराते हुये देखने वालों को गदगद किया. उन्होंने फालुजा के लोगों द्वारा निरस्त अमेरिकी सेना के सहयोग के बिना फालुजा में सुरक्षा और स्थायित्व स्थापित करने की मन्शा जताई है.
जैसे ही उनकी सेनाओं ने मोर्चा सँभाला फालुजावासियों ने अमेरिका की वापसी को विजय के रूप में देखा. एक ने वाशिंगटन पोस्ट से चिल्लाकर कहा कि हम जीत गये. हम नहीं चाहते थे कि कोई अमेरिकी शहर में प्रवेश करे और हम इसमें सफल हो गये.
ऐसा लगता है कि सालेह फालुजा में काफी लोकप्रिय हैं, क्योंकि उनके आगमन को काफी स्वीकृति मिली है. निवासियों ने अमेरिका की वापसी पर विजयी हाव-भाव दिखाया. एसोसियेटेड प्रेस ने एक पुलिसकर्मी को उद्धृत किया, “ हम जनरल सालेह का काफी सम्मान करते हैं . वह एक वास्तविक अधिकारी और गम्भीर मुसलमान हैं. उन्होंने किसी को क्षति नहीं पहुँचाई है.”
सालेह अनेक वरिष्ठ पदों पर रह चुके हैं . एक पूर्व जनरल ने याद करते हुये कहा कि समस्त ईराकी पैदल सेना की 38 वीं डिवीजन की कमान सँभाली, रिपब्लकन गार्ड में डिवीजनल स्टाफ रहे और अल-कद्स सेना में काम किया. उनके एक रिश्तेदार ने कहा कि सालेह राजनीतिक नहीं थे इस कारण बॉथ पार्टी में आगे नहीं बढ़ सके. इसकी पुष्टि नौसेना के कर्नल ब्रेनान वायर्न ने करते हुये कहा कि सालेह ने सद्दाम शासन का विरोध किया और इसकी व्यक्तिगत तौर पर कीमत भी चुकाई.
यद्यपि संयुक्त चीफ ऑफ स्टॉफ के सभापति जनरल रिचर्ड मायर्स ने माना कि अभी सालेह चुके नहीं हैं और सम्भवत: वह कमान में अकेले नहीं होंगे. बाद में समाचार आया कि एक और पूर्व मेजर जनरल मोहम्मद लतीफ सम्भवत: फालुजा सुरक्षा सेना के प्रमुख के रूप में सालेह को स्थानान्तरित कर देंगे
इस भ्रम से और सालेह तथा लतीफ जैसे लोगों के उदय से स्पष्ट है कि ताकतवर की जगह भरने की होड़ आरम्भ हो गई है. मैं यह भविष्यवाणी तो नहीं कर सकता कि वास्तव में कौन इस स्थान को भरेगा परन्तु निराशापूर्वक कह सकता हूँ कि उसी सामान्य वर्णन का कोई व्यक्ति ईराक की सबसे सार्थक आशा है.