कुछ वर्ष पूर्व इजरायल के एक अग्रणी दार्शनिक ने अपने देश के लोगों को थका हुआ, दिग्भ्रमित और दिशाहीन बताया था. येहुद ओलमर्ट ने भी प्रधानमन्त्री बनने से पूर्व सार्वजनिक रूप से कुछ असाधारण शब्द कहे थे, “ हम लड़ते-लड़ते थक चुके हैं , हम जीतते-जीतते थक चुके हैं, हम अपने शत्रुओं को पराजित करते-करते थक चुके हैं”. इसी गिरे हुये मनोबल की भावना के अन्तर्गत लेबनान और गाजा से पिछले पाँच वर्षों के अन्दर इजरायल दो बार पीछे हटा और इसी का परिणाम है कि उन्हीं क्षेत्रों में वह आज युद्ध कर रहा है.
अमेरिकन कांग्रेस के सदस्यों ने व्यक्तिगत रूप से इस समस्या पर ध्यान दिया : मेरा सुझाव है कि ओलमर्ट के इन शब्दों पर कार्यपालक शाखा को ध्यान देना चाहिये और इस अपवादात्मक निकटतम थके हुये मित्र का उत्साहवर्धन करना चाहिये.
यद्यपि इजरायल अत्यन्त सक्षम ढंग से अपनी रक्षा करने में समर्थ है ( जैसा कि हाल के घटनाक्रम ने दिखाया है), परन्तु अपने शत्रुओं को दीर्घकाल के लिये परास्त करने की इच्छा का इसमें अभाव है. इजरायल के शत्रु हमास , हिज्बुल्लाह और इरान अमेरिका के भी शत्रु भी हैं .
अपने मूल्यांकन के आधार पर मेरे सुझाव में प्रशासन को जेरुसलम के निम्नलिखित सुझावों पर ध्यान देना चाहिए ताकि अमेरिका के हितों की रक्षा की जा सके .
- आतंकवादी गुटों के साथ अदला बदली में नहीं पड़ना चाहिए जैसा कि 2004 में एक दुष्ट इजरायली नागरिक और तीन सैनिकों के बदले 429 जीवित आतंकवादी और अपराधी छोड़े गए . इससे आतंकवादी पुन: क्षेत्र में पहुंच जाते हैं तथा और अधिक अपहरण के लिए प्रोत्साहित होते हैं .
- हिजबुल्लाह को ईरान से कैटीउषा राकेटों को प्राप्त कर उन्हें दक्षिणी लेबनान में रखने की अनुमति नहीं देनी चाहिए . अनुमानत: 12,000 कैटीउषा अस्त्र न केवल समस्त उत्तरी इजरायल के लिए खतरा हैं जैसा कि हाल के दिनों में सिद्ध हुआ है वरन् यह ईरान की ओर से समस्त क्षेत्र के लिए रणनीतिक खतरा उत्पन्न करता है .
- आतंकवादी फतह संगठन को अस्त्र न दिए जायें जैसा कि जेरुसलेम पोस्ट के अनुसार हाल में हुआ जब अनुमानत: 3000 अमेरिकी रायफल और लाखों राउंड के हथियार एक दिशाहीन महत्वकांक्षा के अंतर्गत फिलीस्तीन के एक गुट के विरुद्ध दूसरे को लड़ाने के लिए उपलब्ध कराए गए.
- पश्चिमी तट हमास आतंकवादियों की ओर नहीं मोड़ना चाहिए . इससे अमेरिका के हित को अनेक प्रकार से खतरा है क्योंकि इससे जार्डन में हेशमाइट शासन को खतरा उत्पन्न होगा .
अमेरिका नीत आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध में इजरायल की महत्वपूर्ण भूमिका है . यह अपनी जिद्दी शत्रु के साथ समझौतों के द्वारा नहीं वरन् उन्हें यह समझाकर कि इजरायल स्थायी और अजेय है निपट सकता है और अपनी तथा अमेरिका के मित्रों की सहायता कर सकता है . इस उद्देश्य के लिए श्रृंखलात्मक हिंसा की नहीं वरन् स्थिर और योजनाबद्ध प्रयास के द्वारा क्षेत्र की मानसिकता को परिवर्तित करने की आवश्यकता है इसलिए अमेरिका के नीति निर्धारकों को अमेरिका को सलाह देनी चाहिए कि वे वर्तमान लड़ाई को तात्कालिक कूटनीतिक अपवाद के रुप में न देखकर दीर्घकालिक संघर्ष के अंग के रुप में देखें.
एक आक्रामक और सम्भवत: शीघ्र ही परमाणु अस्त्र सम्पन्न होने वाले ईरान के अभ्युदय से मध्यपूर्व के रणनीतिक मानचित्र में मौलिक परिवर्तन का संकट उत्पन्न हो गया है .
इस विशाल संकट की पृष्ठभूमि में इजरायल का आगे बढ़ने का निर्णय होगा चाहे वह गाजा के राज्य क्षेत्र को वापस लेना हो लेबनान में लक्ष्य साधना हो या फिर सीरिया के विरुद्ध सैन्य कारवाई करनी हो .
अजीब विडंबना ही है कि पिछले सप्ताह की कुछ गतिविधियां सुखद रही हैं . केवल इजरायल ही नहीं अनेक मध्यपूर्व के राज्य ईरान की महत्वाकांक्षा से भयभीत हैं . ईरान से चिंतित सउदी राज्य ने हमास और हिजबुल्लाह द्वारा इजरायल पर आक्रमण की आगे बढ़ कर निंदा की और इसे उतावलापन बताया . जैसा कि जेरुसलम पोस्ट के खालिद अबू तोआमेह ने अभिलेखित किया है कि इजरायल के प्रत्याक्रमण ने हिजबुल्लाह विरोधी गठबंधन को प्रेरित किया है . ठोस इजरायली नीतियां इस उदीयमान शक्ति के विकास को प्रभावित करेंगी .
जब अरब इजरायली यहूदियों से अधिक इरानी इस्लामवादियों से चिंतित है तो यह अपने आप में एक अवसर है . इस समय इजरायल को समय समय पर याद दिलाते हुए कि उन्हें एक युद्ध जीतना है वाशिंगटन और जेरुसलम के मध्य निकट समन्वय की आवश्यकता है .