इजरायल और उसके शत्रुओं के मध्य का वर्तमान संघर्ष पूर्ववर्ती संघर्षों से भिन्न है, क्योंकि यह अरब-इजरायल युद्ध न होकर इजरायल तथा ईरान के प्रच्छन्न इस्लामवादियों हमास और हिजबुल्लाह के मध्य का संघर्ष है.
पहला तो यह कट्टरपंथी इस्लाम की बढ़ती शक्ति की ओर संकेत करता है. पिछली बार इजरायली सेनाओं ने 1982 में जब इस स्तर पर लेबनान के आतंकवादी संगठन से लोहा लिया था तो उन्होंने सोवियत संघ और अरब राज्यों द्वारा सहायता प्राप्त फिलीस्तीनी मुक्ति संगठन के साथ युद्ध किया था.
अब हिजबुल्लाह इस्लामी कानून लागू करना चाहता है तथा जेहाद के द्वारा इजरायल को नष्ट करना चाहता है और इसकी पृष्ठभूमि में इस्लामी गणतन्त्र ईरान हठधर्मिता पूर्वक परमाणु अस्त्र बना रहा है.
गैर इस्लामवादी अरब और मुसलमान स्वयं को दरकिनार अनुभव कर रहे हैं. अपने देश में स्थापित नियमों की अवहेलना या तेहरान के द्वारा आक्रमण के साथ इस्लामवाद के विस्तार से भयभीत ये लोग उसी बुराई का सामना कर रहे हैं जो कि इजरायल. इसके परिणामस्वरूप उनकी अचेतन इजरायल विरोधी प्रतिक्रया पर रोक लग गई है . यद्यपि अस्थाई ही सही जेरूसलम पोस्ट के खालेद अबू तोआमेह के अनुसार हिजबुल्लाह विरोधी गठबन्धन अस्पष्ट तौर पर इजरायल के पक्ष में अस्तित्व में आ रहा है.
इसका आरम्भ 13 जुलाई को आश्चर्यजनक सउदी वक्तव्य से हुआ जिसमें हिजबुल्लाह के कार्य की निन्दा करते हुये उसे उतावलेपन की संज्ञा देते हुये कहा गया कि इसने गम्भीर रूप से खतरनाक स्थिति उत्पन्न कर दी है . रियाद ने शिकायती लहजे में कहा कि इस विनाश से उन अरब देशों का भी सामना हो रहा है जिनका इससे कोई लेना-देना नहीं है. सउदी राज्य ने अन्त में कहा “ ये तत्व अपने अनुत्तरदायित्वपूर्ण कृत्य का पूर्ण उत्तरदायित्व अकेले वहन करें और जिस समस्या का आरम्भ उन्होंने किया है उसे समाप्त करने का दायित्व भी उनके कन्धों पर ही है”. एक दिन पश्चात जार्ज डब्ल्यू बुश के प्रवक्ता टोनी स्नो ने बताया कि इस वक्तव्य से राष्ट्रपति प्रसन्न हुये.
15 जुलाई को सउदी तथा अन्य अरब राज्यों ने अरब लीग की आपात बैठक आयोजित की और हिजबुल्लाह का नाम लेकर उसके अनपेक्षित, असंगत और अनुत्तरदायित्वपूर्ण कार्य के लिये उसकी निन्दा की. 17 जुलाई को जार्डन के राजा अब्दुल्लाह ने चेतावनी दी कि ऐसे किसी रोमांच से बचने की आवश्यकता है जो अरब हित में नहीं है.
बहुत से विश्लेषकों ने इसी तर्क को आधार बनाया और उनमें से विशेष उल्लेखनीय कुवैत के अरब टाइम्स के मुख्य सम्पादक अहमद अल जरल्लाह हैं जिन्होंने किसी भी अरब समाचार पत्र के सबसे उल्लेखनीय शब्द प्रकाशित किये “ गाजा और लेबनान में इजरायल की कार्रवाई अरब देश के लोगों और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के हित में है” .
मिस्र के पत्रकार खालेद सलाह ने ड्रीम 2 टेलीविजन पर साक्षात्कार के दौरान हिजबुल्लाह के हसन नसरूल्लाह की निन्दा की, “ अरब और लेबनान के बच्चों का खून हिजबुल्लाह के पीले झण्डे और खोमैनी के चित्र उठाने से अधिक कीमती है”.
सउदी अरब के अग्रणी वहाबी व्यक्ति ने घोषणा की कि सुन्नी मुसलमानों द्वारा हिजबुल्लाह की सहायता करना, उसके लिये प्रार्थना करना या उसमें सम्मिलित होना इस्लामी कानून के विरूद्ध है. किसी भी प्रमुख तेल निर्यातक अरब देश ने ऐसी मन्शा प्रकट नहीं की कि वे हिजबुल्लाह के साथ एकता प्रदर्शित करते हुये तेल या गैस का निर्यात रोक देंगे.
बहुत से लेबनानियों ने इस बात पर सन्तोष व्यक्त किया कि अहंकारी और जिद्दी हिजबुल्लाह संगठन पर हमला हो रहा है. बेरूत के डेली स्टार के माइकल यंग के साथ बातचीत में एक लेबनानी राजनेता ने कहा, “इजरायल को अब नहीं रूकना चाहिये तथा लेबनान की बेहतरी के लिये नसरूल्लाह का और कमजोर होना आवश्यक है ”. लेबनान के प्रधानमन्त्री फौद सानिओरा को शिकायत करते हुये उद्धृत किया गया कि हिजबुल्लाह राज्य के अन्दर एक और राज्य बन चुका है. बीबीसी ने लेबनान के ईसाई शहर बिकफाया के एक नागरिक को उद्धृत किया कि शहर की प्राय: 95 प्रतिशत जनता हिजबुल्लाह से क्रुद्ध है.
फिलीस्तीनी विधायिका परिषद ने अरब देशों की इन दब्बू प्रतिक्रियाओं पर निराशा प्रकट की है तो महिलाओं के एक गुट ने गाजा की सड़कों पर अरब देशों के झण्डे जलाये. नसरूल्लाह ने शिकायत की कि, “कुछ अरबों ने इजरायल को युद्ध जारी रखने के लिये प्रेरित किया ” नसरूल्लाह ने युद्ध की कालावधि बढ़ाने के लिये भी इनकी निन्दा की.
इन विचारों का सर्वेक्षण कर युसुफ इब्राहिम ने न्यूयार्क सन् के एक स्तम्भ में लिखा छोटी पगड़ी और दाढ़ी वाले लोगों के विरूद्ध इन्तिफादा और इजरायल के विरूद्ध सम्पूर्ण युद्ध के हिजबुल्लाह के प्रयास के विरूद्ध जबर्दस्त ना. उन्होंने समाप्ति में कहा, “ इजरायल ने आश्चर्यजनक ढंग से एक मुखर बहुसंख्यक अरबवासियों को पाया है जो सहमत हैं कि अब बहुत हो गया”.
लोग आशा कर सकते हैं कि इब्राहिम ठीक हैं लेकिन मैं सतर्क हूं . पहला हिजबुल्लाह के पास अब भी व्यापक समर्थन है दूसरा इजरायल के विरुद्ध लोगों का आक्रोश और संकट गहराने के साथ ही ये आलोचनाएं रद्द होती चली जायेंगी.
अन्त में जैसा कि माईकल रुबिन ने वाल स्ट्रीट जर्नल में कहा है कि हिजबुल्लाह के प्रति इस ठंडे रैवेये में इजरायल की स्वीकृति अंतर्निहित नहीं है.रियाद, कैरो और कुवैत के ह्रदय में कोई परिवर्तन नहीं आया है विशेषरुप से सउदी राजकुमार अभी भी इस्लामवादी आतंकवाद को आर्थिक सहायता प्रदान कर रहे हैं .
हिजबुल्लाह से अरबों का पल्ला झाड़ना ऐसा आधार नहीं है जिसपर आगे बढ़ा जाए यह केवल छोटी सी वास्तविकता है जिसका इस अतार्किक युग में स्वागत होना चाहिए .