फोएनिक्स में 25 अप्रैल को जब अमेरिकन इस्लामिक फोरम फॉर डेमोक्रेसी ने आतंकवाद के विरूद्ध एक रैली आयोजित की तो इसके प्रमुख आरीजोना के पेशे से डॉक्टर डॉ. जुहदी जासेर ने कहा कि उनका उद्देश्य नरमपंथी मुसलमानों को सार्वजनिक रूप से बोलने का अवसर प्रदान करना है. जासेर ने रैली को उन आलोचकों की कड़ी प्रतिक्रिया के रूप में प्रस्तुत किया जिनके अनुसार अमेरिका के मुसलमानों ने आतंकवाद की व्यापक निन्दा नहीं की है.
स्वाभाविक तौर पर उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बदले की भावना से, घृणा की भावना से या प्रबल प्रतिशोध के भाव से निर्दोष लोगों को मारना पूरी तरह इस्लाम के कानून के विरूद्ध है. आत्महत्या पूरी तरह इस्लामी कानून के विरूद्ध है. लोग अपने कार्य को सदैव न्यायसंगत ठहरा सकते हैं, परन्तु यहाँ मुसलमानों के तौर पर एकत्र होकर हम स्पष्ट रूप से कह सकते हैं कि उनका प्रत्येक कार्य हमारी समस्त आस्थाओं के विरूद्ध है.
जासेर ने आरीजोना रिपब्लिक में सम्पादकीय पृष्ठ पर लेख लिखकर अमेरिकी मुसलमानों के प्रति उभरे अविश्वास की पूरी जिम्मेदारी मुसलमान के तौर पर अपने ऊपर ली और इसे पूर्वाग्रहपूर्ण बताकर नहीं उड़ाया.
उन्होंने आगे लिखा एक अमेरिकी के तौर पर मुस्लिम समुदाय के प्रति बढ़ रहे अविश्वास को अनुभव न करना असम्भव है. समस्त विश्व में निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाये से दु:खद रूप से अब यह गर्वोक्ति काफी दूर की चीज हो गई है कि मुसलमानों को निशाना क्यों बनाया जा रहा है.यह समय केवल त्रुटिहीन जबर्दस्त उत्तर देने का है.
मस्तिष्क में इन विचारों के साथ उन्होंने इस रैली के दो उद्देश्य निर्धारित किये-
हम अमेरिका के लोगों को पुन: आश्वस्त करना चाहते हैं कि बहुसंख्यक मुसलमान अपनी आस्था के सिद्धान्तों के कारण निर्दोष लोगों को निशाना बनाये जाने की निन्दा करते हैं. हम पूरी दुनिया के आस्थावान मुसलमानों को आशा और प्रेरणा देना चाहते हैं कि इस प्रकार की रैली का आयोजन सम्भव है.
जासेर को अपने इस प्रयास के लिये समर्थन मिला जब उनके निकट के आरीजोना रिपब्लिक ने इस कार्यक्रम के सम्बन्ध में सच ही कहा, “ आतंकवाद के विरूद्ध देश की पहली मुस्लिम रैली ” तो सुदूर देश की राजधानी में वाशिंगटन टाइम्स ने अपने सम्पादकीय में कहा, “ हम अमेरिकी देशभक्त डॉ. जासेर को नमस्कार करते हैं”
फोएनिक्स का मुस्लिम समुदाय 50,000 लोगों का है. जासेर ने वैली काउन्सिल ऑफ इमाम, घाटी की मस्जिदों और घाटी के प्रमुख मुस्लिम संगठनों तक तक पहुँचने में काफी श्रम किया तथा फोएनिक्स के प्रमुख समाचार पत्र ने इस रैली को पूरा समर्थन दिया. इस प्रबल समर्थन के बीच जासेर ने आशावादी ढंग से कहा कि 500 से 1000 लोग इस कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे. परन्तु कार्यक्रम सम्पन्न हुआ और वास्तविकता सामने आई. संख्या के सम्बन्ध में अनेक अनुमान सामने आये. आरीजोना रिपब्लिक ने 250 लोगों की उपस्थिति बताई तो पुलिस ने 400. मैंने सुना कि इस कार्यक्रम में 30 से 100 लोग उपस्थित थे और भाग लेने वालों में अधिकांश मुसलमान नहीं थे ( आरीजोना रिपब्लिक के अनुसार) माइकल फिश्चेर जो कि मुसलमानों को सामान्य रूप से आतंक से जोड़े जाने का विरोध करने आये थे और अपेक जंक्शन के ग्रेस क्लार्क जो कि शान्ति को बढ़ावा देना चाहते थे भी कार्यक्रम में सम्मिलित थे. मेरे एक संवाददाता ने पूरे कार्यक्रम को घोर असफल बताया.
परन्तु ऐसी टिप्पणी अतिवादी होगी. यह एक विनम्र प्रयास था जो आगे चलकर कुछ विस्तृत और सशक्त हो सकता है. जासेर ने मेरी ओर संकेत करते हुये कहा, “ हमारे देश के स्वतन्त्र इतिहास के महान क्षण का आरम्भ बहुत छोटे तरीके से होता है.” उन्हें यह भी लगा कि अमेरिकी मुसलमान जो कि प्राय: प्रथम पीढ़ी के आप्रवासी हैं अभी भी खुलकर नहीं आ रहे हैं परन्तु उनकी अपेक्षा है कि बहुसंख्यक अमेरिकी मुसलमान रैली के इस सन्देश को सुनेगा और आस्था के इस वक्तव्य से पूरी तरह सहमति व्यक्त करेगा.
यद्यपि तब तक यही वास्तविकता है कि थोड़े से मुसलमान सामने आयेंगे. और जो आगे आयेंगे भी वे शान्ति समर्थक और युद्ध विरोधी संकेतों के साथ न कि आतंकवाद विरोधी या इस्लामवादी विरोधी संकेतों के साथ. इस निराशाजनक परिणाम की व्याख्या के पीछे दो कारण हैं-
पहला इस कार्यक्रम का सन्देश अधिकतर मुसलमानों की सोच के अनुरूप नहीं है. दुर्भाग्यवश इस समुदाय की मनोदशा कट्टरपंथी है और उनका झुकाव आतंकवाद की निन्दा की ओर नहीं है.
दूसरा जुहदी ने कार्यक्रम की योजना में C.A.I.R जैसे इस्लामवादी ढाँचे को सम्मिलित नहीं किया. इस बात में कोई सन्देह नहीं है कि ये कट्टरपंथी बड़ी भीड़ एकत्र कर सकते हैं परन्तु इजरायल या अमेरिकी नीतियों के विरोध में.
फोएनिक्स रैली अमेरिकी मुस्लिम जनमानस की वर्तमान वास्तविकता की ओर संकेत करती है. इस समस्या से निबटने की आवश्यकता है. यदि ऐसा नहीं हुआ तो मैं कल्पना कर सकता हूँ कि अमेरिका को जिहाद और इस्लामी शासन की वैसी ही स्पष्ट आवाज सुननी पड़ेगी जैसा पश्चिमी यूरोप को सुनाई पड़ रही है.