इटली निवासी 25 वर्षीय एन्जेलो फ्रैमर्टीनो ने 2006 में एक समाचार पत्र को लिखे अपने पत्र में कट्टर वामपंथी इजरायल विरोधी विचारों को व्यक्त किया था, “ हमें इस तथ्य का सामना करना चाहिये कि अहिंसा की स्थिति विश्व के अनेक देशों में विलासिता के समकक्ष है परन्तु हमें वैधानिक रक्षात्मक कृत्यों की भी अवहेलना नहीं करनी चाहिये. मैं वियतनाम के लोगों, औपनिवेशिक अधीनता में रहे लोगों और प्रथम इन्तिफादा से फिलीस्तीनी युवकों के प्रतिरोध की निन्दा की कल्पना भी नहीं कर सकता ”
अपने विचारों के अनुरूप एन्जेलो अगस्त 2006 में जेरूसलम के फिलीस्तीनी बालकों के सामुदायिक केन्द्र बुर्ज अल लुकलुक में कट्टर वामपंथी स्वयंसेवी संगठन ARCI के साथ कार्य करने के लिये इजरायल गया. परन्तु 10 अगस्त को जेरूसलम में हेरोड गेट के निकट सुल्तान सुलेमान स्ट्रीट में उस पर आतंकवादी हमला किया गया और उसकी पीठ पर और गर्दन पर चाकू से वार किया गया. दो दिन पश्चात् इटली की अपनी प्रस्तावित यात्रा से पूर्व ही हमले के कुछ देर बाद उसकी मृत्यु हो गई. हत्यारे की पहचान फिलीस्तीनी इस्लामिक जिहाद से जुड़े 25 वर्षीय फिलीस्तीनी अशरफ हनायशा के रूप में की गई. जेनिन क्षेत्र में कबातिया गाँव के इस निवासी ने इजरायली यहूदी पर आक्रमण की योजना बनाई थी परन्तु उससे भूल हो गई.
इसके बाद क्षतिपूर्ति के प्रयास आरम्भ हो गये. फिलीस्तीनी समाचार एजेन्सी WAFA ने बुर्ज अल लुकलुक सामुदायिक केन्द्र की ओर से घटना की निन्दा करते हुये वक्तव्य प्रकाशित किया, “ जो कुछ हुआ उस पर अपनी भावनायें व्यक्त करने के लिये हमारे पास शब्द नहीं हैं. हमारे विचार और संवेदनायें एन्जेलो के परिवार और उनके मित्रों के साथ हैं”. इसके बाद अनेक फिलीस्तीनी स्वयंसेवी संगठनों ने फ्रैमर्टीनो की याद में प्रार्थनायें आयोजित कीं. हनायशा की माँ ने इटली के समाचार पत्र ला रिपब्लिका के माध्यम से एक अपील जारी करते हुये अपने पुत्र को क्षमा करने की माँग की. इस भावुक अपील के बदले फ्रैमर्टीनो के माता-पिता ने हनायशा को क्षमा कर दिया. फ्रैमर्टीनो के पिता मिचेलान्जेलो ने मोन्टेरोटोण्डो से कहा, “ अविस्मणीय दुख के बाद भी वह हत्यारे की माँ की क्षमा की अपील का स्वागत और सराहना करते हैं और उन्हें आशा है कि अभिभावकों के इस व्यवहार से इस दुखद कथा का अन्त हो जायेगा” . यही नहीं पिता ने और आगे बढ़कर Corriere della Sera समाचार पत्र से कहा कि, “ उनके पुत्र के हत्यारे से उन्हें कोई घृणा नहीं है. एन्जेलो शान्ति को बढ़ाने में लगा था . जो सन्देश वह देना चाहता था वह अन्य किसी भी सन्देश से बड़ा था. परिस्थितियों के आधार पर स्पष्ट होता है कि एन्जेलो युद्ध का और विश्व के अन्याय का शिकार हो गया.जब हम तनाव की स्थिति की बात करते हैं तो सामान्य बुद्धि का अभाव रहता है. मुझे बिल्कुल घृणा नहीं है, क्योंकि जिन सिद्धान्तों या विचारों ने सदैव एन्जेलो को प्रेरित किया वे निश्चय ही घृणा या बदले के नहीं थे.”
टिप्पणियाँ -
1 - कबातिया से लेकर मोन्टेरोटोण्डो तक प्रत्येक पक्ष यही सन्देश देता है कि यदि हनायशा ने अपने इच्छित शिकार को मारा होता तो सब कुछ ठीक रहता. ला स्टैम्पा ने अपने शीर्षक में प्रकाशित किया, “ भूल हुई मैंने उसे यहूदी समझा”. फिलीस्तीनियों ने एक सन्देश भेजा कि, ‘ हमें क्षमा कर दें हमारा उद्देश्य आपके पुत्र की हत्या का नहीं था”. और परिवार ने इसके उत्तर में कहा, “ हम समझ सकते हैं कि आपसे भूल हुई है ”.
2 - बारबरा साफर ने एन्जेलो फ्रैमर्टीनो की याद को सम्मानित करने का एक शानदार मार्ग सुझाते हुये जेरूसलम पोस्ट में लिखा कि “उसका परिवार एक उच्च रूपरेखा वाले फिलीस्तीनी हिंसा से प्रभावित परिवार के साथ अपनी एकजुटता दिखाये. उन्होंने याद दिलाया कि कोवी मण्डेला फाउण्डेशन ने फिलीस्तीनी आतंकवादियों द्वारा हत एक और नवयुवक का नाम बताया है. इससे आतंक से बच गये लोगों या आतंकवादियों का शिकार बने व्यक्तियों के परिजनों की पीड़ा पर मरहम लगेगा. यह एक गैर राजनीतिक संगठन है जो यहूदी और गैर यहूदी सबकी मेजबानी करते हुये चरित्र निर्माण का कार्य करता है”. साफर ने सुझाव दिया कि जो लोग फ्रैमर्टीनो की याद को सम्मानित करना चाहते हैं उन्हें इस शिविर का सहयोग करना चाहिये जो उसके पुत्र को मारने वालों का दुख कम करना चाहते हैं.
3 - यद्यपि वह एक राजनीतिक अतिवादी था परन्तु सर्वत्र फ्रैमर्टीनो को भद्र पुरूष के रूप में चित्रित किया जा रहा है. यदि ऐसा ही था तो इससे सिद्ध होता है कि वह जेरूसलम को कितनी कम गहराई से जानता था. जैसा कि कालेव बेन डेविड ने उसकी मौत की ओर इशारा करते हुये जेरूसलम पोस्ट में लिखा है कि उसकी मौत यह याद दिलाती है, “ जो भी इस क्षेत्र में आता है उसके उद्देश्य कितने ही भले क्यों न हों वह इजरायलवासी से कम कुछ नहीं है या फिर इसी प्रकार अरब विश्व में जो वास्तव में शान्ति चाहते हैं वे भी आसानी से उनका शिकार हो सकते हैं जिनके उद्देश्य बहुत बुरे हैं”.
4 - फ्रैमर्टीनो के विचार (मैं प्रतिरोध की बात की स्वप्न में भी कल्पना नहीं कर सकता) के बाद यदि होकर कठोर होकर सोचा जाये तो यदि वह इस चाकू के वार के बाद बच जाता तो सम्भवत: पूरी तरह लकवे का शिकार हो जाता तो फिर इस आक्रमण को आतंकवाद मानता, इससे कुछ सीखता या फिर इसे भी आत्मरक्षा का वैधानिक कृत्य ही मानता.